युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का 15 वां पट्टोंत्सव दिवस
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का 15 वां पट्टोंत्सव दिवस -
परम आराध्य प्रातः स्मरणीय पूज्य गुरूदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के 15 वां पट्टोत्सव दिवस पर भावों से मेरा गुरुदेव को शत - शत वन्दन व इस अवसर पर मेरे मन के उदगार श्री चरणो में - धर्म की ज्योति जला ले हम । साधना पथ पर निरंतर कदम बढ़ाएं हम । ज्ञान को पुष्ट कर ले हम । धर्म से मन सदा बंधा रहे ।
लक्ष्य से इधर - उधर ना भटके । दुनिया की चकाचौंध में न फँसे । मोहक विषयों में न उलझे । कही कभी न यह अटके । ग्रंथि विमोचन सारतत्व है । सोई शक्ति जगाएं हम । धर्म की ज्योति जला ले हम । अहं रूपी दुर्भेद दीवार को ना बनाये । जो बनी है उसको अब हम तोड़े । जो घूम रहा मन सतत व्यर्थ ।
उस मन के धोड़े को मोड़े । हो पहचान स्वयं की स्वयं से । दिल में यह भाव जगाएं हम । धर्म की ज्योति जला ले हम । अपना हित अपने द्वारा हो । एक लक्ष्य ऐसा हो हमारा । जब मिल जाये भीतर में उजियारा । मिट जाये सारा अंधियारा । दुसरों की उन्नति देखकर । कण - कण विकसाएं हम । धर्म की ज्योति जला ले हम ।
इच्छायें आकांक्षाये असीम होती । हो प्रतिपल सबका सीमांकन । समता क्षमता मृदुता से ओत- प्रोत । सुखमय जीवन बन जाएँ । आलस्य और प्रमोद को त्याग कर । सत्पथ पर हम बढ़ जाएं । धर्म की ज्योति जला ले हम । प्रदीप छाजेड़