पवित्र रिश्ते के बंधन
पवित्र रिश्ते के बंधन
चारहजार आबादी बाले केशवपुर गांवमे ठाकुर शाक्य वैश्य परिवार जहां भारी संख्या में रह रहे थे ।उस गांव में दो ही ब्राह्मणों के परिवारभी रहतेथे ।जो सभी जातियों में घुलमिल कर रे रहे थे । पंडित बलदेव दुबे अच्छे भागवत कथा वाचक थे और संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। हस्त रेखा का अच्छा ज्ञान रखते थे ।इसीलिए गांव वाले उनका बहुत सम्मान करते थे। पंडित बलदेव के दोस्त सत्यदेव मिश्रा एक इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल होने के नाते उनका भी गांव में लोग काफी सम्मान करते थे ।
पडित बलदेव का 25 वर्षीय पुत्र रमाकांत बीए पास करने के बाद ब्लॉक में नौकरी पर लग था । प्रिंसिपल पंडित सत्यदेव का 21 वर्षीय पुत्र विश्व देव भी अपने पिता के स्कूल में ही इंटर पास करने के बाद क्लर्क हो गया था ।दोनों ब्राह्मण परिवारों में काफी आपसी मेल जोल था।कथावाचक बलदेव प्रिंसिपल सत्यदेव को अपना बड़ा भाई मानते थे। इसीलिए अपने सुख-दुख के हर परामर्श उनसे ही लेते थे ।संस्कृत का विद्वान होने के नाते बलदेव को प्रिंसिपल सत्य देव भी काफी मानते थे ।
कथा वाचक बलदेव के पुत्र रमाकांत की शादी प्रिंसिपल सत्यदेव ने अपने स्कूल की 23 वर्षीय क्लर्क कल्पना करा दी थी। इसी लिए कथावाचक बलदेव की बहू कल्पना स्कूलकेप्रिंसिपल सत्यदेव देव की पत्नी कलाबत्ती के पास अक्सर आया करती थी। ,कल्पना के आकर्षक रूप सौंदर्य को देख कर प्रिंसिपलसत्यदेव का 21 वर्षीय पुत्र विश्व देव कल्पना को अपनी भाभी मान करउनसे बातचीत करता रहता था । एक ही स्कूल के दोनों कर्मचारी होने के नाते स्कूल में भी खूब बाते किया करतेथे ।
कभी-कभी एक दूसरसे मजाक भी कर लेते थे। कल्पनाा अक्सर विश्व देव की मोटरसाइकिल पर भी बैठकर स्कूल जाया करती थी ।कल्पना का रंग रूप विश्व देव के मन में इतना बस गया था । जब कभी भी उसके शादी के लिए लोग अपनी लड़की का प्रस्ताव लेकर आते थे तो वह लड़की को देखकर मना कर देता था। बहुत बार कल्पना ने उसे समझाया भी लेकिन हर बार वह यही कहता था ।मुझे तुम जैसे ही रंग रूप की लड़की चाहिए । इसीलिए विश्व देव की शादी नहीं हो पा रही थी। समय गति काल चक्र को कोई नहीं जानता है क्या होने वाला है ?
पंडित बलदेव ज्योतिषी होने के बाद भी यह नहीं जान सके कि कल क्या होने वाला है ?जब उनका पुत्र रमाकांत मोटरसाइकिल से घर आ रहा था तो रास्ते में नील गाय से मोटरसाइकिल टकराने से रमाकांत की घटनास्थल पर ही मौत हो गई ।रूप सुंदरी कल्पना छोटी सी उम्र में विधवा हो गई।पुत्र के आकस्मिक निधन से दुखी होकर पंडित बलदेव का एक दिन हार्ट अटैक से उनकी भी मौत हो गई । प्रिंसिपल सत्यदेव ने मित्रता का दायित्व निभाते हुए स्वर्गीय कथा वाचक पंडित बलदेव के परिवार को हर प्रकार का सहयोग देकर ढाढस बंधाया ।
स्वर्गीबलदेव पंडित के परिवार पर आया हुआ दुख 7 माह के बाद उस दिन खुशीमेंबदल गया । जब विधवा कल्पना ने एक सुंदर पुत्र रत्न को जन्म दिया और कल्पना की सास को अपना पुत्र नाती के रूप में मिल गया । रक्षा बंधन के दिन जब पंडित बलदेव का पूरा परिवार पुत्र रत्न प्राप्त कर खुशी में था। विश्व देव ने स्वर्गीय पंडित बलदेव के घर आकर कल्पना से कहा तुम मेरी मोटरसाइकिल पर बैठकर मेरे साथ स्कूल जाने के लिए संकोच करती हो इसलिए भाभी अब हमारा तुम्हारा रिश्ता नए रूप में आने वाला है। मैं तुमसे एक नया रिश्ता जोड़ना चाहता हूं ।
क्या तुम यह रिश्ता स्वीकार करोगी? बच्चे को लिए हुए कल्पना तथा कल्पना की सास विश्व देव की बात सुनकर एकदम चौक पड़ी ।कल तक विश्व देव कैसी आदर्श बातें कर रहा था और आज क्या कहने जा रहा है? कल्पना और कल्पना की सास को आश्चर्य चकित देखकर विश्वनाथ बोला -आज रक्षाबंधन का त्यौहार है । मैं कल्पना से भाभी का रिश्ता समाप्त करके इससे बहन का रिश्ता सेजोड़ना चाहता हूं । कल्पना से राखी के बंधन से जकडना चाहता हूं जिससेेे मेरे साथ आनेेे जाने में संकोच नहींं हो ।
कल्पना और कल्पना कीसास के मुख पर खुशी दौड़ गई । कल्पना और उसकी सास सोचने लगी मैं क्या सोच बैठी थी? कितनी गलत सोच में पड़ गई थी । विश्वदेव वास्तव में देवता है । उसके कितने उच्च विचार हैं । विश्व देव ने पेंट की जेब से राखी निकाली और कल्पना को पकड़ा दी । कल्पना की सास कमरे में जाकर एक थाली में रोली चावल लाई और कल्पना के हाथ थाली पकड़ा दी ।कल्पना उठी और उसने विश्व देव को तिलक करते हुए राखी बांध दी और भाई बहन के रिश्ते में जुड़ गये । समय जाते देर नहीं लगती है । आज होली का त्यौहार था । कल्पना का बच्चा 2 वर्ष का हो चुका था ।
स्वर्गीय बलदेव तथा पंडित सत्यदेव दोनों परिवार का एक खिलौना था । विधवा कल्पना की चचेरी बहन ज्योति होली के त्यौहार में आई हुई थी ।बहन का इशारा पाकर ज्योति ने विश्व देव के साथ जमकर होली खेली ।कल्पना ने अपनी सास की ओर देखते हुए विश्व देव से कहा- तुमने मेरी चचेरी बहन से जमकर होली खेली है । अब मैं चाहती हूं तुम मेरी बहन से इसी तरह से सात जन्म होली खेलते रहो । यह मेरी तरह से रंग रूप सौंदर्य रखती है ।
मैं चाहूंगी होली के दिन तुम इसकी मांग भर दो । मैं अपनी चचेरी बहन से देवरानी जेठानी का संबंध जोड़ना चाहती हूं क्या तुम मेरी बात स्वीकार करोगे ? विश्व देव बोला~ बहन की बात कौन टाल सकता है,? विश्व देव ने हंसते हुए लाल अबीर ज्योति की मांग भर दी। जब यह बात प्रिंसिपल सत्यदेव को पता चली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । विश्वदेव ज्योति की विधि विधान से फिर शादी हुई । फिर दोनों मित्र परिवारों में खुशी छा गई । बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी