तेरापंथ संघ के दशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के 15 वां महाप्रयाण दिवस पर मेरे भाव -
तेरापंथ संघ के दशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के 15 वां महाप्रयाण दिवस पर मेरे भाव --
आचार्य श्री महाप्रज्ञ के 15 वां महाप्रयाण दिवस पर सभक्ति श्रद्धासिक्त भावांजलि। महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले । अपनी नैया भव से हम पार लगा ले | खेवैया बनकर जीवन का लाभ कमा ले । महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले । बहुत भयंकर है भव सागर, डूब गये यहां कितने ही नर , सावधान होकर आगे बढ़े, हम अपने साहस के बल पर , जीवन की ज्योति जगा ले । महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
काल अनन्त से भटक रहे जन , पता न कितने बदल चुके तन , पर न किसी का हो पाया है , अब तक अनुशासित यह जीवन आत्म - दमन में हम नहा ले । महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
लक्ष्य न होता निश्चित जब तक , केवल भटकन रहती तब तक , पर हम सोचे जरा स्थिरता से , भटके जायेंगे यो कब तक ? निश्चित लक्ष्य बना ले । महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले । अपनी नैया भव से हम पार लगा ले | खेवैया बनकर जीवन का लाभ कमा ले । महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )