Loksabha Election Story: परिसीमन ने बदल दिया था दोनों संसदीय सीटों का भूगोल
Loksabha Election Story: परिसीमन ने बदल दिया था दोनों संसदीय सीटों का भूगोल
2009 में 15वीं लोकसभा चुनाव कई महत्वपूर्ण बदलाव लाया। परिसीमन ने जिले के दोनों सीटों के भूगोल को पूरी तरह से बदल दिया। शहर के तीन में से दो विधानसभा क्षेत्र अब शहर उत्तरी और शहर पश्चिमी फूलपुर संसदीय क्षेत्र में शामिल हो गए। गंगापार में तीन सोरांव, फूलपुर और फाफामऊ विधानसभा क्षेत्र अब फूलपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बन गए। प्रतापपुर और हंड़िया को पड़ोसी जिले की भदोही संसदीय सीट में जोड़ दिया गया। इलाहाबाद संसदीय सीट में यमुनापार के विधानसभा क्षेत्र करछना, बारा, मेजा और कोरांव के साथ शहर का एक मात्र विधानसभा क्षेत्र शहर दक्षिणी बन गया।
इलाहाबाद सीट पर सपा ने निवर्तमान सांसद रेवती रमण सिंह को फिर से उम्मीदवार बनाया, जबकि उनके खिलाफ बसपा से अशोक बाजपेई उतरे थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेंद्री कुमारी बाजपेयी के पुत्र अशोक बाजपेई बसपा में शामिल हो गए थे। भाजपा से योगेश शुक्ला और कांग्रेस से श्यामकृष्ण पांडेय ने भी चुनाव में भाग लिया। तीन ब्राह्मण उम्मीदवारों के बीच वोट बंट जाने का सीधा लाभ रेवती रमण सिंह को मिला और वह दोबारा सांसद बने।
इस बार फूलपुर में पहली बार बसपा को कामयाबी मिली थी. हालांकि बसपा ने दोनों सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे थे पर सफलता कपिलमुनि करवरिया को ही मिली थी. उनसे मुकाबले को सपा से श्यामाचरण गुप्ता उतरे थे. 2009 के चुनाव में सपा का टिकट न मिलने पर पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने उन्हें फूलपुर से चुनाव मैदान में उतारा था जबकि भाजपा ने करन सिंह पटेल पर दांव लगाया था. कपिल मुनि करवरिया कड़े मुकाबले में श्यामाचरण से साढ़े चौदह हजार मतों से ही जीत सके थे. ऐसा कहा जाता है कि इस चुनाव में तीन पटेल उम्मीदवारों की वजह से सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा था.
Read Also: BJP-Congress कार्यकर्ता हुए आमने-सामने, मौके पर पुलिस ने हालात को संभाला
शेष चरणों में मतदान प्रतिशत और बढाने के लिए मतदाता जागरूकता कार्यक्रम संचालित
चायल सीट हुई कौशाम्बी, जीती सपा
परिसीमन के बाद चायल सीट का नाम बदलकर कौशाम्बी कर दिया गया. 2009 में हुए चुनाव में इस सीट पर सपा के शैलेंद्र कुमार का कब्जा बरकरार रहा.
स्थान | चायल सीट (कौशाम्बी) |
---|---|
परिसीमन | जीती सपा |
चुनाव वर्ष | 2009 |
विजेता | शैलेंद्र कुमार (सपा) |
विरोधी | गिरीश चंद पासी (बसपा) |
अन्य प्रतियोगिता | राम निहोर राकेश (कांग्रेस), गौतम चौधरी (भाजपा) |
इलाहाबाद, जीती सपा
स्थान | इलाहाबाद |
---|---|
प्रतिस्थापित | सपा |
कुंवर रेवती रमण सिंह | 209,431 |
अशोक कुमार (बाजपेई) | 174,511 |
योगेश शुक्ला (भाजपा) | 60,997 |
श्याम कृष्ण पांडेय (कांग्रेस) | 37,028 |
बिहारी लाल शर्मा (अपना दल) | 22,086 |
फूलपुर, जीती बसपा
स्थान | फूलपुर |
---|---|
प्रतिस्थापित | बसपा |
कपिलमुनि करवरिया (बसपा) | 167,542 |
श्यामा चरण गुप्त (सपा) | 152,964 |
धर्मराज सिंह पटेल (कांग्रेस) | 67,623 |
करन सिंह पटेल (भाजपा) | 44,828 |
डॉ. सोने लाल पटेल (निर्दल) | 76,699 |
प्रदीप श्रीवास्तव (अपना दल) | 1,438 |
राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गए थे निर्दल
इस चुनाव का एक रोचक तथ्य यह रहा कि अपना दल के मुखिया डॉ. सोने लाल पटेल को इस बार स्वतंत्र उम्मीदवार यानी निर्दल चुनाव लड़ना पड़ा था. पहले अपना दल की ओर से प्रदीप श्रीवास्तव को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया था. पार्टी ने उन्हें सिंबल एलॉट कर दिया था, जिसके आधार पर उन्होंने नामांकन कर दिया था. बाद में डॉ. सोने लाल पटेल अचानक मैदान में आ गए, पार्टी ने पूर्व में प्रदीप पटेल को सिंबल एलॉट कर दिया था इसलिए यह विवाद निर्वाचन अधिकारी की कोर्ट में पहुंचा. निर्वाचन अधिकारी ने प्रदीप को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सोने लाल पटेल को निर्दल घोषित कर दिया था.