दिल्ली HC का फैसला: POCSO के तहत सामान्य छूने को यौन अपराध नहीं
दिल्ली HC ने एक मामले में नाबालिग को सामान्य तरीके से छूना POCSO एक्ट के तहत यौन अपराध नहीं माना।
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उन्होंने नाबालिग को सामान्य तरीके से छूना यौन अपराध नहीं माना है, जो कि Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) एक्ट के तहत आता है। हाई कोर्ट ने बताया कि यदि किसी नाबालिग के शरीर के सामान्य स्पर्श को पेनिट्रेटिव यौन अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता।
मामले का विवरण बताते हुए, एक शख्स को उसके भाई से ट्यूशन पढ़ाने वाली एक 6 साल की बच्ची के निजी अंगों को छूने के मामले में दोषी ठहराया गया था। हाई कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे छूने को POCSO एक्ट के तहत एक अलग तरह का अपराध मानना उचित नहीं है।
साल 2020 में एक निजी अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो कानून की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था। उसे 5 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, साथ ही 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। हाई कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा है।
इसके अलावा, हाई कोर्ट ने बताया कि नाबालिग की गवाही को अकेले ही दोषसिद्धि की आधार नहीं माना जा सकता है, और गवाही की उत्कृष्ट गुणवत्ता होनी चाहिए। इस फैसले से समाज में यौन अपराधों के मामलों में स्पष्टता आ सकेगी।