आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के निदेशक मंडल ने आईडीएफसी लिमिटेड और आईडीएफसी फाइनेंशियल होल्डिंग्स के अपने साथ विलय को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि इसका बैंक के ग्राहकों और शेयरधारकों पर क्या असर पड़ेगा? लोन का ब्याज और शेयरहोल्डिंग पैटर्न कैसे बदलेगा? आइए यहां हम आपकी इस मुश्किल को आसान बना देते हैं...बता दें कि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने इस विलय को 2023 में ही पूरा करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, इसके लिए उसे आरबीआई के अलावा सेबी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग जैसे प्रमुख नियामकों से मंजूरी लेनी होगी।शेयरधारकों पर विलय का प्रभावआईडीएफसी फर्स्ट बैंक द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि आईडीएफसी लिमिटेड के शेयरधारकों को प्रत्येक 100 शेयरों के लिए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के 155 शेयर मिलेंगे। शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये होगा.आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में आईडीएफसी लिमिटेड की 40 फीसदी हिस्सेदारी है। विलय के बाद, आईडीएफसी लिमिटेड के शेयरधारक सीधे आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के शेयरधारक बन जाएंगे। वहीं, यह बैंक के लिए भी फायदेमंद है, बैंक में आईडीएफसी लिमिटेड की हिस्सेदारी होने के कारण इसके शेयरधारकों के पास बैंक के शेयर 1.66 के अनुपात में हैं, जबकि विलय के बाद वे 1.55 के अनुपात में आ जाएंगे. .विलय के बाद इन सभी कंपनियों और बैंक का कारोबार एक स्ट्रीम लाइन हो जाएगा, जिससे नियामक अनुपालन का बोझ कम हो जाएगा। इससे शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न मिलेगा. वहीं, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एचडीएफसी बैंक या आईसीआईसीआई बैंक जैसे बड़े निजी बैंक के रूप में काम कर सकेगा।विलय से ग्राहकों पर इस तरह पड़ेगा असर!आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के एमडी और सीईओ वी. वैद्यनाथन का कहना है कि इस विलय के बाद बैंक का पूंजी आधार बढ़ेगा. बैंक की बुक वैल्यू प्रति शेयर 5 फीसदी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही आईडीएफसी लिमिटेड का 600 करोड़ रुपये का कैश भी आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के खाते में डाला जाएगा.साथ ही, इससे बैंक को अधिक क्षेत्रों में अपनी सेवा देने, ग्राहक आधार और शाखाएं बढ़ाने में मदद मिलेगी। बैंक का शुद्ध मुनाफा अब करीब 2400 करोड़ रुपये है. इसके साथ ही पूंजी आधार बढ़ने से बैंक की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे वह ग्राहकों को प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर ऋण देने में सक्षम होगा।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के निदेशक मंडल ने आईडीएफसी लिमिटेड और आईडीएफसी फाइनेंशियल होल्डिंग्स के अपने साथ विलय को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि इसका बैंक के ग्राहकों और शेयरधारकों पर क्या असर पड़ेगा? लोन का ब्याज और शेयरहोल्डिंग पैटर्न कैसे बदलेगा? आइए यहां हम आपकी इस मुश्किल को आसान बना देते हैं...बता दें कि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने इस विलय को 2023 में ही पूरा करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, इसके लिए उसे आरबीआई के अलावा सेबी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग जैसे प्रमुख नियामकों से मंजूरी लेनी होगी।
शेयरधारकों पर विलय का प्रभाव
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि आईडीएफसी लिमिटेड के शेयरधारकों को प्रत्येक 100 शेयरों के लिए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के 155 शेयर मिलेंगे। शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये होगा.आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में आईडीएफसी लिमिटेड की 40 फीसदी हिस्सेदारी है। विलय के बाद, आईडीएफसी लिमिटेड के शेयरधारक सीधे आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के शेयरधारक बन जाएंगे। वहीं, यह बैंक के लिए भी फायदेमंद है, बैंक में आईडीएफसी लिमिटेड की हिस्सेदारी होने के कारण इसके शेयरधारकों के पास बैंक के शेयर 1.66 के अनुपात में हैं, जबकि विलय के बाद वे 1.55 के अनुपात में आ जाएंगे. .विलय के बाद इन सभी कंपनियों और बैंक का कारोबार एक स्ट्रीम लाइन हो जाएगा, जिससे नियामक अनुपालन का बोझ कम हो जाएगा। इससे शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न मिलेगा. वहीं, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एचडीएफसी बैंक या आईसीआईसीआई बैंक जैसे बड़े निजी बैंक के रूप में काम कर सकेगा।
विलय से ग्राहकों पर इस तरह पड़ेगा असर!
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के एमडी और सीईओ वी. वैद्यनाथन का कहना है कि इस विलय के बाद बैंक का पूंजी आधार बढ़ेगा. बैंक की बुक वैल्यू प्रति शेयर 5 फीसदी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही आईडीएफसी लिमिटेड का 600 करोड़ रुपये का कैश भी आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के खाते में डाला जाएगा.साथ ही, इससे बैंक को अधिक क्षेत्रों में अपनी सेवा देने, ग्राहक आधार और शाखाएं बढ़ाने में मदद मिलेगी। बैंक का शुद्ध मुनाफा अब करीब 2400 करोड़ रुपये है. इसके साथ ही पूंजी आधार बढ़ने से बैंक की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे वह ग्राहकों को प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर ऋण देने में सक्षम होगा।