221 वां आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव दिवस
221 वां आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव दिवस -
प्रातः स्मरणीय महामना आचार्य श्री भिक्षु को शत - शत श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए चरमोत्सव दिवस पर मेरे भाव........…. आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ दुर्लभ मानव जीवन को सफल बनाओ ।
आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ जंग जीवन की जीत रे , जीवन में फूल खिला रे , सत्य धर्म से प्रीत लगा रे , जीवन से जीना सिख रे , आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ जो पल बीत गया यहाँ रे , वह न लगे फिर हाथ रे , आना - जाना एकाकी रे , होता कोई न साथ रे , आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ जो लाया खाया यहाँ रे , अब आगे की कुछ सोच रे , खाली हाथ गया क्या होगा रे , पग - पग पर संकोच कर रे , आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥
धर्म का पुरुषार्थ करो रे , सदगुण का धन जोड़ो रे , साथ यही सबके जायेगा रे , तन कब चाहे छोड़ दे रे , आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ अपने पर अपना रहे रे , अनुशासन भरपूर रे , पर अनुशासन गलत रे , खुद से खुद हो जाये दूर रे , आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ अपने मन को मारना रे , बहुत कठिन हैं काम रे , इसके बिना जीवन का रे , किन्तु न एक छदाम रे , आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ दुर्लभ मानव जीवन को सफल बनाओ । आचार्य श्री भिक्षु की वाणी को अपनाओ ।।ध्रुव ॥ प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)