अब 60 नहीं, हाईकोर्ट के आदेश से 55 पर होगी विदाई, कर्मचारियों में हड़कंप
उच्च न्यायालय ने नया नियम हटाया - देशभर के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका सामने आया है। हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने लाखों कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। नए नियम के तहत अब कर्मचारियों को 60 साल नहीं बल्कि 55 साल की उम्र में ही रिटायर किया जाएगा। कोर्ट का कहना है कि प्रशासनिक ढांचे में युवाओं को अधिक अवसर देने और कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए यह कदम आवश्यक है।
2025 से लागू होने वाले इस नियम के बाद कई कर्मचारियों की रिटायरमेंट योजना और पेंशन कैलकुलेशन पर असर पड़ेगा। इससे सरकारी दफ्तरों में नई भर्ती के अवसर तो बढ़ेंगे, लेकिन पहले से कार्यरत कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। कई यूनियनों ने इसे "अन्यायपूर्ण" करार देते हुए इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार की मांग की है। उच्च न्यायालय ने नया नियम हटाया हाईकोर्ट के इस निर्णय से लाखों सरकारी कर्मचारी प्रभावित होंगे जो अगले कुछ वर्षों में 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले हैं। अब उन्हें तय समय से 5 वर्ष पहले ही सेवा निवृत्त होना पड़ेगा। इससे न केवल उनकी पेंशन की राशि पर असर पड़ेगा बल्कि भविष्य की वित्तीय योजनाएं भी प्रभावित होंगी। कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से सरकार को युवाओं को नौकरी देने का मौका मिलेगा, लेकिन अनुभवी कर्मचारियों की कमी भी महसूस होगी। वहीं, रिटायरमेंट के बाद नई पेंशन स्कीम के नियमों में बदलाव की संभावना भी जताई जा रही है ताकि प्रभावित कर्मचारियों को राहत मिल सके।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम प्रशासनिक कार्यक्षमता बढ़ाने और युवाओं को अवसर देने के उद्देश्य से उठाया गया है। 2025 से लागू होने वाली इस नीति पर पहले ही कई मंत्रालयों में मंथन चल रहा था। केंद्र सरकार इस बदलाव को "जनरेशन ट्रांजिशन पॉलिसी" का हिस्सा बता रही है, जिससे युवा सोच और नई ऊर्जा सरकारी विभागों में लाई जा सके। हालांकि, इस फैसले के बाद सरकार को कर्मचारियों के विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है। कई राज्य सरकारें भी इस नीति को अपनाने पर विचार कर रही हैं, जिससे पूरे देश में एक समान रिटायरमेंट उम्र लागू हो सके। कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले को "जनविरोधी" बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अचानक रिटायरमेंट उम्र घटाने से कर्मचारियों के करियर और परिवार की योजनाओं पर असर पड़ेगा। यूनियन प्रतिनिधियों का तर्क है कि अगर सरकार कार्यकुशलता बढ़ाना चाहती है तो इसके लिए आधुनिक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, न कि रिटायरमेंट की उम्र घटाई जाए।
आने वाले समय में इस मुद्दे पर देशभर में प्रदर्शन और हड़ताल देखने को मिल सकते हैं। अब सबकी नजर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट पर है कि क्या इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा या इसे देशभर में लागू कर दिया जाएगा। अगर यह फैसला स्थायी रूप से लागू हुआ, तो लाखों कर्मचारियों के करियर ग्राफ में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस फैसले से पहले वैकल्पिक समाधान जैसे "वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम" या "फेज़वाइज इम्प्लिमेंटेशन" पर विचार करना चाहिए। फिलहाल, कर्मचारियों में असमंजस और चिंता दोनों का माहौल है।