पीआईबी लखनऊ ने हिन्दी राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया
पीआईबी लखनऊ ने हिन्दी राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया
कोई भाषा कठिन नहीं, वह केवल परिचित या अपरिचित होती है – डॉ. महेन्द्र पाठक
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी), लखनऊ में आज राजभाषा हिन्दी के प्रोत्साहन एवं कार्यालयीन कार्यों में इसके प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों और कर्मचारियों को हिन्दी के प्रयोग के प्रति जागरूक करना और राजभाषा के रूप में इसके महत्व पर चर्चा करना था। कार्यशाला का नेतृत्व पीआईबी लखनऊ के निदेशक श्री दिलीप कुमार शुक्ल और दूरदर्शन के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक डा. महेन्द्र पाठक ने किया। कार्यशाला में पीआईबी लखनऊ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित कुल 18 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डा. महेन्द्र पाठक ने हिन्दी भाषा की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिन्दी को राजभाषा के रूप में अपनाना बहुत आवश्यक है, क्योंकि यह हमारे राष्ट्रीय एकीकरण और सांस्कृतिक पहचान की आधारशिला है। उन्होंने यह भी कहा कि हर देश की एक साझा भाषा होनी चाहिए, जिससे प्रशासनिक कार्यों में एकरूपता और सहजता बनी रहे। डा. पाठक ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी भाषा स्वभाव से न तो कठिन होती है और न ही सरल। बल्कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति उस भाषा से कितना परिचित है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यूरोप के देशों ने अपनी भाषाओं को आत्मसम्मान और गर्व का विषय बनाया है और हमें भी अपनी भाषा के प्रति वही अनुराग और समर्पण दिखाना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे अपने दैनिक जीवन और कार्यशैली में हिन्दी का प्रयोग अधिक से अधिक बढ़ाएँ, ताकि यह केवल राजभाषा के रूप में ही नहीं, बल्कि संवाद और विचार-विनिमय की मुख्य भाषा के रूप में स्थापित हो। पीआईबी लखनऊ के निदेशक श्री दिलीप कुमार शुक्ल ने भी कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राजभाषा हिन्दी का महत्व केवल नियमों और नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पत्र सूचना कार्यालय जैसी संस्थाओं की यह जिम्मेदारी है कि वे हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाएँ। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने भी अपने विचार साझा किए और कार्यशाला के दौरान हिन्दी के प्रयोग को लेकर अपने अनुभवों और चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे कार्यालयीन कार्यों में हिन्दी के उपयोग को बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने यह अनुभव किया कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल भाषा की उपयोगिता पर बल देते हैं, बल्कि कर्मचारियों को व्यवहारिक स्तर पर हिन्दी के प्रयोग के लिए प्रेरित भी करते हैं। पीआईबी लखनऊ में आयोजित हिन्दी राजभाषा कार्यशाला सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम ने हिन्दी को केवल राजभाषा ही नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा के रूप में देखने का दृष्टिकोण दिया। निश्चित ही इस प्रकार की पहलें भविष्य में हिन्दी भाषा को और अधिक सशक्त एवं व्यवहारिक बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।





