सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 17वें उपराष्ट्रपति, विपक्ष के 15 वोट अमान्य
सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 17वें उपराष्ट्रपति, विपक्ष के 15 वोट अमान्य
नई दिल्ली। सीपी राधाकृष्णन भारत के नए उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। मंगलवार को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार, पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराया। राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता के मत मिले, जबकि रेड्डी को केवल 300 वोट ही प्राप्त हुए। निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कुल 769 सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया। मतदान का प्रतिशत 98% दर्ज किया गया। हालांकि विपक्ष का दावा था कि उसके सभी 315 सांसदों ने एकजुट होकर मतदान किया, लेकिन गिनती में केवल 300 वैध वोट ही सामने आए।
दिलचस्प बात यह रही कि **15 वोट अमान्य घोषित किए गए**, जो तकनीकी कारणों—जैसे कि गलत पेन का उपयोग—से अमान्य हो सकते हैं। यह कोई नई बात नहीं है; 2017 और 2022 के उपराष्ट्रपति चुनावों में भी क्रमशः 11 और 15 वोट अमान्य हुए थे। इस चुनाव में **लोकसभा और राज्यसभा के कुल 781 सदस्यों** को वोट डालने का अधिकार था। बीजू जनता दल (BJD), भारत राष्ट्र समिति (BRS) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) जैसे दलों ने मतदान से दूरी बनाई। मतदान प्रक्रिया संसद भवन के कमरा नंबर 101, वसुधा में आयोजित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले मतदान किया। उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, नितिन गडकरी और अन्य प्रमुख नेता भी वोट डालने पहुंचे।
दिलचस्प रूप से, **जेल में बंद निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद** को भी विशेष अनुमति के तहत मतदान की अनुमति दी गई। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं और ओबीसी समुदाय की प्रमुख जाति गौंडर से आते हैं। उनका संबंध **राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)** से रहा है। वह 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए थे। उन्हें 2023 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया, और 2024 में महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया। वे एक शांत और संतुलित राज्यपाल के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने विवादास्पद मुद्दों से दूरी बनाए रखी। विपक्ष के उम्मीदवार, **न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुदर्शन रेड्डी**, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं।
उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की सलवा जुडूम योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले ऐतिहासिक फैसले में योगदान दिया था। इसके अलावा, उन्होंने विदेशों में अवैध धन की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश भी दिया था। यह उपराष्ट्रपति चुनाव **पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के समयपूर्व इस्तीफे** के कारण आवश्यक हुआ। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा, जबकि उनका कार्यकाल अभी दो साल और शेष था।





