विधवा कल्पना सुहागिन हुई -- रूढ़ वादी प्रथा टूटी
विधवा कल्पना सुहागिन हुई -- रूढ़ वादी प्रथा टूटी
ईशन नदी पर बसा हुआ खेरागढ़ कस्बा दस हजार आबादी का विकसित धनाढ्य जनपद का प्रमुख कस्बा है।जहां ब्राह्मण ठाकुर शाक्य वैश्य परिवारों की बस्ती है । वैश्य ब्राह्मणों के उद्योग धंधे तथा व्यापारिक संस्थान होने के कारणआसपास के गांव लोगों का अच्छा मार्केट है। इस कस्बा के अधिकांश लोग मिलिट्री में अच्छे-अच्छे पदों पर है और इस कस्बा में धनाढ्य कृषक भी है।
स्वतंत्रता आंदोलन के समय इस कस्बा के बहुत से लोग अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए है । जिन की यादगार मे 26 जनवरी को हर साल बिशाल स्तर पर मेला लगता है। इस मेले में स्वतंत्रता सेनानियों की याद में हर साल विशाल स्तर पर कवि सम्मेलन दंगल भी होता है । स्वतंत्रता सेनानियों शरण स्थल के नाम से शहीद कैप्टन ठाकुर बलवीर सिंह जी की बड़े फाटक बाली कोठी आज भी मौजूद है । जिस मे शहीद बलबीर सिंह के पोते 75 वर्षीय ठाकुर बलदेव सिंह रहते हैं। ठाकुर बलदेव सिंह कस्बे के धनाढ्य व्यक्तियों में गिने जाते हैं। जिनके पास 70बीघा अच्छी उपजाऊ कृषि का बंबा किनारे प्लाट है ।
उस कृषि प्लाट में ट्यूबेल भी लगा हुआ है।आधुनिक रूप से कृषि उपज उगाई जाती है और शहरों के बाजारों में भेजी जाती है। इस कृषि कारोबार के देखने के लिए ठाकुर बलदेव सिंह का 25 वर्षीय पुत्र ठाकुर जय देव है जो कृषि विषय. में एम ए डिग्री लिए हुए हैं । इसीलिए 70 बीघा प्लाट परअच्छी वैज्ञानिक ढंग की तरह-तरह की ऊपज की खेती होती है। जो शहर की मंडियों में भेजी जाती है । पुत्र जयदेव के इस कारोबार को देखकर ठाकुर बलदेव सिंह बहुत खुश रहते हैं । शहर के मिल मालिक ठाकुर जयसिंह की इकलौती बेटी 23 वर्षीय बीए तकशिक्षित सुंदर कन्या कल्पना से ठाकुर जय देव सिंह के साथ शादी हुई है ।ठाकुर जय देव सिंह ने अच्छे दहेज के साथ अपनी बेटी कल्पना को एक कार भी दी है । जिस कार से कल्पना आए दिन अपने पिता के पास आती जाती रहती है ।ठाकुर बलदेव सिंह को अपनी बहू की आए दिन आना जाना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन मजबूरी में कुछ नहीं कहते हैं । बलदेव सिंह की पत्नी रूपवती पति को समझाती रहती है शहर की रहने वाली लड़की है ।
अभी उस के हंसने खेलने के दिन है । जब कुछ उम्र ढलेगी खुद ही सुधर जाएगी। समय चक्र बड़ी तेजी से घूम रहा था।ठा0 बलदेव सिंह का परिवार बड़ी खुशहाली से रह रहा था। तभी अचानक ठा बलदेवसिंह के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जब जय देव सिंह अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल से घर आ रहे थे ।रास्ते में नीलगाय को बचाने के चक्कर में उनकी कार एक पेड़ से जा टकराई। जिससे कार चला रहे जयदेव गंभीर रूप से घायल हो गए पत्नी के मामूली चोट आई ।बलदेव सिंह को जैसी घटना की जानकारी हुई अपने लड़के जयदेव बहू कल्पना को लेकरअस्पताल पहुंचे। अस्पताल में भर्ती कराया ।दोनों का इलाज चला ।
बहू कल्पना तो बच गई । लेकिन डॉक्टर जयदेव सिंह को नहीं बचा सके । जय देव की दुखद मौत हो गई ।बिचारी 27 वर्षीय कल्पना इस छोटी सी उमर में विधवा हो गई । ठाकुर बलदेव सिंह को बहुत बड़ा सदमा लगा । लड़के की मृत्यु से वो टूट गये । कारोबार देखने के लिए ठाकुर बलदेव सिंह ने अपनी ससुराल से दूर के लगते रिश्तेदार साले के लड़के ध्रुव सिंह को अपने यहां कारोबार को देखने के लिए के लिए बुला लिया और उसको कृषि का कारोबार सौंप दिया ।दूर के रिश्तेदार ध्रुव सिंह ने बड़ी लगन मेहनत से ठाकुर बलदेव सिंह का कृषि का कारोबार संभाल लिया ।दूर का रिश्तेदार ध्रुव सिंह देखने में हट्टा कट्टा गोरे बदन का स्वस्थ नौजवान युवक था । ध्रुव सिंह ठाकुर बलदेव सिंह उनकी पत्नी रूपवती तथा बलदेव सिंह की बहू कल्पना का इस दुख की घड़ी में हर तरह से ख्याल रखता था । ठाकुर बलदेव सिंह से पूछताछ करके उनकी आज्ञा अनुसार ही कृषि कारोबार को चलाता। कृषि कारोबार पर दिन पर दिन लाभ हो रहा था ।ठाकुर ध्रुव सिंह द्वारा कृषि कारोबार को ठीक ढंग से चलाने के कारण बलदेव सिंह उससे बहुत खुश रहते थे । समय चक्र का असूल है ।
दुख के दिनों के बाद सुख के भी दिन आते हैं। दिसंबर का महीना था । भयंकर सर्दी का मौसम था। बलदेव सिंह खाना खाने के बाद रजाई ओढ़े हीटर के सामने बैठे थे। तभी बहू कल्पना सास रूपवती के साथ ससुर बलदेव सिंह को दूध देने आई। बहू के हाथ से दूध लेकर बलदेव सिंह बहू से बोले-- बहू सच बताना अपने कृषि कारोबार को ध्रुव सिंह क्या अच्छी तरह से संभाल रहा है ।उसके काम निगाह में कोई खोट तो नहीं आ रहा है। तुम कृषि फार्म पर उसके साथ जाती भी हो। वह तुम्हारी निगाहों में कैसा आदमी है। कल्पना दबी जुबान से बोली-- ध्रुव ठीक ढंग से कृषि कारोबार संभाल रहा है। वो अच्छे स्वभाव का लग्नसील मेहनती व्यक्ति है । बलदेव सिंह अपनी पत्नी की ओर देखते हुए बहू से बोले क्या बलदेव सिंह तुम्हें पसंद है? कल्पना बिना उत्तर दिए हुए सिर झुकाए हुए चली गई। तभी ध्रुव सिंह मंडी में बेची गई उपज का हिसाब देने तथा रुपया देने के लिए आ गया ।
ठाकुर बलदेव सिंह ने बैठे हुए अपनी पत्नी की ओर देखते हुए ध्रुव सिंह से बोले -बेटा ! एक सच बात बताना ।तुम्हारे कृषि कारोबार चलाने में क्या मेरी बहू ठीक ढंग से कार्य करती है और तुम्हें क्या पूरा सहयोग देती है? ठाकुर ध्रुव सिंह ने संक्षेप मे उत्तर दिया -हां ठीक से सहयोग देती है। बलदेव सिंह ने फिर प्रश्न किया। तुम्हें हमारी बहू का आचरण स्वभाव कैसा लगता है? ध्रुव सिंह ने संक्षेप में फिर जवाब दिया- ठीक लगता है। बलदेव सिंह ने प्रश्न किया अगर मै अपनी बहू का विवाह तुम्हारे साथ कर दूं तो क्या तुम उसे निभा सको गे ? ध्रुव सिंह कुछ देर चुप रहा फिर बोला - यह प्रश्न आप अपनी बहू से भी पूछ ले। तब आपकी जैसी आज्ञा होगी मैं वही करूं गा । ठाकुर बलदेव सिंह ने संतोष की सांस ली और अपनी पत्नी रूपवती से बोले -अब मेरी इच्छा है कि इन दोनों का विवाह शीघ्र कर दूं और मैं अपने दायित्व से मुक्त हो जाऊं। ध्रुव सिंह बोला- कैसे दायित्व से मुक्त हो जाएंगे। आप मेरे पिता दाखिल है ।
आपको शायद पता नहीं मेरे बचपन में ही मेरे माता पिता कोरोना के शिकार होकर मुझे अकेला छोड़ कर चले गए ।आप के साले साहब ने मेरी हर तरह से परवरिश सहयोग किया ।आज उन्ही की बदौत मै ने. एम ए पास करके नौकरी की तलाश में था ।उन्होंने मुझे आपके पास नौकरी के लिए भेज था लेकिन आपने मुझ पर विश्वास करके अपना कारोबारों मुझे सौंप दिया। मैं तो आपका नौकर हूं ।सदैव नौकर रहूंगा ।जो आपकहेंगे वही करूंगा। बलदेव सिंह बोले-- बेटा अब तुम नौकर नहीं घर जमाई हो ।सभी कारोबार के मालिक हो। इतना सुनकर ध्रुव जब कमरे से निकल कर जा रहा था तो कमरे के बाहर खड़ी हुई कल्पना ने उसे रोक लिया और धीरे से बोली- तुम सच सच बताना शादी के बाद मेरे पति की स्मृति के सपने तो नहीं तोड़ोगे । मैं अपने पति की यादगार में एक स्कूल खोलूंगी। उस स्कूल के द्वारा शिक्षा दान करूंगी ।
कल्पना की बात को सुनकर वह बोला -तुम्हारे अच्छे काम में हर तरह से सहयोग करूंगा। यह कहकर चला गया ।कुछ दिनों के बाद दोनों की बड़ी धूमधाम से शादी हुई और बलदेव ने विधवा बहू का कन्यादान लिया। दोनों के नाम अपनी पूरी संपत्ति रजिस्ट्री कर दी। जिससे भविष्य में कोई अड़चन ना डालें। ठाकुर साहब ने चली आ रही विधवा विवाह न होने की कुरीत को तोड़ दिया । कस्बा में विशाल समारोह आयोजित कर ध्रुव सिंह और कल्पना की शादी बडी धूमधाम से कर दी।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी