स्वच्छ चिन्तन, स्वस्थ जीवन

Jun 13, 2024 - 08:07
 0  10
स्वच्छ चिन्तन, स्वस्थ जीवन
Follow:

स्वच्छ चिन्तन, स्वस्थ जीवन

घर में कोई भी झाड़ू पोंछा तो सबसे पहले करते हैं क्योंकि घर कोई भी गंदा नहीं रखना चाहते हैं। झाड़ू पोंछा करते हुए पता चलता है कि एक ही दिन में कितनी गंदगी इकट्ठी हो गई है। इसी तरह हम जरा सोचें हमारी आत्मा का घर यानि ‘अंतरपट्ट’ पर भी तो रोज विषाक्त विचारों व भावनाओं की गन्दगी जमा होती ही रहती है।

यह गन्दगी हमारे चिन्तन को भी तो दुषित करती है।इसकी भी तो रोज सफाई करनी आवश्यक है। हमारी दैनिक दिनचर्या का सीधा असर हमारे तन व मन पर पड़ता है यदि करना हमें अपने दूषित विचारों का परिँष्कार करना हैं तो ध्यान, जप , प्राणायाम, सद्साहित्य पठन, साधु संतों का मिलन आदि कारगर हो सकते हैं क्योंकि स्वच्छ चिन्तन से स्वस्थ जीवन होता है । जो महान होते है वे हर बात से शिक्षा लेते है, बच्चे को भी गुरु बना लेते है और जो अच्छी बात होती है उसे आत्मसात भी कर लेते है।

सुकरात के पूर्वार्द्ध की घटना का उल्लेख और अचार्य महाप्रज्ञा जी के कथन याद आ जाते है कि - ज्ञात का जगत बहुत छोटा है अज्ञात का जगत बहुत बड़ा है और यह एक वाक्य कभी भी अहंकार को आने नही देता। गोत्र कर्म के बन्ध में 8 प्रकार के मद की चर्चा की गई है उसमे एक मद ज्ञान को, श्रुत को भी माना है। सुकरात के उत्तरार्द्ध को एक घटना प्रसंग सुनने को मिलता है, पता नही वास्तविक है या रूपक की भाषा मे पर बड़ा ही मार्मिक व्यक्त हुआ है ।

 कहते है आकाशवाणी हुई कि सुकरात सबसे ज्ञानी व्यक्ति है। लोगो ने आकर सुकरात को बताया तो उसने कहा जाकर कह दो की सुकरात तो सबसे बड़ा अज्ञानी है। तो कहते है कि पुनः आकाशवाणी हुई की जो अपने अज्ञान को जानता है वही सबसे बड़ा ज्ञानी है।इस तरह श्रम-समर्पण,सेवा-मदद से परिपूर्ण मन , स्वस्थ-स्वच्छ तन , शुद्ध वातावरण ,सहज मन और आनन्दित , नन्ही-छोटी बातों में न रहें अन-बन , विवेकशील हो, संतुष्ट हो,हाय-तौबा से दूर-आत्मतोष आदि का हो तो आत्मतोष होता है । इसलिये स्वच्छ चिन्तन, स्वस्थ जीवन होता हैं । प्रदीप छाजेड़

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow