सर्वोत्तम मानवीय सफलता
सर्वोत्तम मानवीय सफलता
सर्वोत्तम मानवीय सफलता सर्वोत्तम
मानवीय सफलता यह नहीं है कि आपने कितना - कितना धन अधिक कमाया व्यापार से और कितनो को काम दे रहे हो और इसी तरह आपने उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े पद को प्राप्त कीया व ऊँचे पद पर अच्छी खासी तनख़्वाह पर आ गये । अपने नीचे सैंकड़ों हजारों को काम में लगा दिया है। अपने पद और अच्छे व्यवहार के लिए सबके आदर का पात्र बन जाते है।
सर्वोत्तम मानवीय सफलता वह है जिसमे आपने अपने जीवन में कितने लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठाया व सुधारा हैं । आर्थिक, सामाजिक व आध्यात्मिक दृष्टि से कितना उनका जीवन स्तर आगे बढाया हैं । कितना उससे अपना पारिवारिक व सामाजिक दायित्व आदि निभाया हैं । आपने अपने परिवार व दूसरे किसी के दुःख में बिना बोले कितनो के लिये हाथ बढ़ाया व उसका जीवन स्तर सुधारा यह सर्वोत्तम मानवीय सफलता होती है ।
संसार में बहुधा यह बात कही और सुनी जाती है कि व्यक्ति को ज्यादा सीधा और सरल नहीं होना चाहिए। सीधे और सरल व्यक्ति का हर कोई फायदा उठाता है। यह भी लोकोक्ति कही जाती है कि टेढे वृक्ष को कोई हाथ भी नहीं लगाता ,सीधा वृक्ष ही काटा जाता है। दुनिया में जितना भी सृजन हुआ है वह टेढ़े लोगों से नहीं सीधों से ही हुआ है।कोई सीधा पेड़ कटता है तो लकड़ी भी भवन निर्माण में या भवन श्रृंगार में उसी की ही काम आती है।
मंदिर में भी जिस शिला में से प्रभु का रूप प्रगट होता है वह टेढ़ी नहीं कोई सीधी शिला ही होती है। सहजता ही सबसे बड़ी सभ्यता है। जो शिष्ट नहीं है वो कभी विशिष्ट नहीं बन सकता हैं।
सरलता + सजगता + सहजता = सफलता । क्योंकि ये ही सर्वोत्तम मानवीय सफलता के वास्तविक मापदण्ड हैं ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )
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