ओम् अर्हम सा ! प्रणाम सा ! नवरात्रि पर्व ।( अश्विन )

Oct 14, 2023 - 15:39
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ओम् अर्हम सा ! प्रणाम सा ! नवरात्रि पर्व ।( अश्विन )
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ओम् अर्हम सा ! प्रणाम सा !

नवरात्रि पर्व ।( अश्विन ) नवरात्रि पर्व आध्यात्मिक पर्व है । आत्मा तक पहुँचने का पर्व हैं । अपने अस्तित्व की यात्रा करने का पर्व है । एक है अस्तित्व और एक है व्यक्तित्व । आत्मा है , वह हमारा अस्तित्व हैं । शरीर है , वह हमारा व्यक्तित्व बन गया । जहाँ शरीर नहीं होता , कोरा अस्तित्व होता हैं , वहाँ व्यक्तित्व नहीं होता ।

जहाँ शरीर है , वहाँ अस्तित्व व्यक्तित्व में बदल जाता है । अभी हमारे सामने व्यक्तित्व है , अस्तित्व हमारे सामने नहीं है , क्योंकि आत्मा हमारे सामने नहीं हैं । यही कारण है कि जितनी चिंता हम व्यक्तित्व की करते है , उतनी अस्तित्व की नहीं करते । जितनी चिंता शरीर की करते है , उतनी चिंता आत्मा की नहीं करते ।

नवरात्रि पर्व हमें एक स्मृति दिलाता है कि केवल शरीर तक सीमित मत रहो । आत्मा की चिंता करो । आत्मा के बारे में चिंतन करो । आत्मा का संबोध प्राप्त करो और आत्मा तक पहुँचने का प्रयत्न करो । एक बहुत बड़ा प्रश्न है हमारे सामने शरीर से भिन्न आत्मा को समझने का । अभी तो हमारी मति बनी हुई है कि सब जगह शरीर से शरीर सामने आता हैं ।

आत्मा का कही पता नहीं है । यह स्वाभाविक है कि जो स्थूल हैं , दृश्य है , वह सामने आता हैं । जो सूक्ष्म हैं , अदृश्य है , वह हमारे सामने नहीं आता और जो सामने नहीं आता , उस पर हमारा ध्यान भी नहीं जाता । हम उसकी ज्यादा चिंता भी नहीं करते और उस पर सहज विश्वास भी नहीं होता । ध्यान उसी पर जाता हैं , जो सामने आता हैं और आँखों के सामने दिखाई देता है । इसी कठिनाई को समझने के लिये नवरात्रि पर्व शक्ति जागरण का पर्व हैं ।चेतना को जगाने वाला पर्व हैं । इससे हम इस पर्व का महत्व समझ सकते हैं ।

मानो की पर्व के दिनों तक एक प्रकार से शरीर को गौण कर सारा प्रयत्न आत्मा के उत्थान की दिशा में प्रस्थान का हो ।इससे शरीर तो स्वस्थ होगा ही साथ में आत्मिक लाभ भी होगा । हम अधिक से अधिक आत्मोनुखी बने तो यह पर्व के दिन भावी जीवन की दिशा को बहुत स्पष्ट कर देंगे और उनका मार्ग प्रशस्त होगा । भारतीय परम्परा मेँ वर्ष मेँ दो बार नवरात्र आते है - चैत्रीय एवं शारदीय | नवरात्र पर्व शक्ति उपासना एवं स्वयं को शक्ति सम्पन्न बनाने का विशिष्ट पर्व है | संकल्प शक्ति एवं संयम की शक्ति के द्वारा व्यक्ति अध्यात्म सम्पन्न बनने की साधना करता है |

दुनिया में अनेक शक्तियाँ है किन्तु सर्वोपरि शक्ति है - अध्यात्म की शक्ति | अध्यात्म के अभाव में सारी शक्तियाँ निष्प्राण मानी गयी है | अतः प्रत्येक व्यक्ति को अध्यात्म शक्ति सम्पन्न की दिशा में बढ़ने का प्रयास करना चाहिए | हम इस पर्व पर सबके प्रति मंगल कामना करते है परन्तु मंगलकामनाओ के साथ मंगलकार्य करे जिससे सर्वत्र मंगल की स्थापना हो सकेगी | व्यक्ति स्वयं मंगल बने तथा सब जीवो के प्रति मंगलमय रहे यही काम्य है | प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)