नवरात्रि : मातृशक्ति का दैवीय उत्सव, संस्कृति का प्रकाश
नवरात्रि : मातृशक्ति का दैवीय उत्सव, संस्कृति का प्रकाश
नवरात्र का पावन पर्व हमारी सनातन संस्कृति का अनुपम उत्सव है, जो मातृशक्ति की दिव्य महिमा और उनकी बहुआयामी छवि का प्रतीक है। यह पर्व केवल उपासना का ही नहीं, अपितु नारी के अदम्य साहस, करुणा, ममता एवं सृजनशीलता के जागरण का प्रतीक है। मातृशक्ति का स्वरूप जहाँ परिवार में स्नेह और संवेदना का आधार है, वहीं राष्ट्र की रक्षा में वह दुर्गा, काली और चामुंडा के रूप में अन्याय व अत्याचार का विनाश करती है।
आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर इस दिव्य शक्ति का सम्मान करें और समाज में नारी को उसका यथोचित स्थान प्रदान करें। नवरात्रि हमें स्मरण कराती है कि बिना नारी के समाज अधूरा है और उसके सशक्तिकरण के बिना प्रगति का मार्ग संभव नहीं। इस पावन अवसर पर मैं समस्त नगरवासियों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ देती हूँ। माँ दुर्गा सभी को उत्तम स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और शौर्य का वरदान दें तथा समाज में नारी गरिमा और शक्ति का प्रकाश निरंतर फैलता रहे।





