शब्दम् के बीसवें स्थापना दिवस पर साहित्यकार ममता कालिया एवं डाॅ. अनामिका का हुआ सम्मान
शब्दम् के बीसवें स्थापना दिवस पर देश के दो बड़े साहित्यकार ममता कालिया एवं डाॅ. अनामिका का हुआ सम्मान।
जिंदगी एक रफ ड्राफ्ट है - डाॅ. अनामिका
सोशल मीडिया के दौर में हिंदी भाषा को बचाने की जरूरत - ममता कालिया
कला संगीत और साहित्य की संस्कृतियाँ युगों तक अपना प्रभाव ड़ालती हैं - किरण बजाज
शिकोहाबाद। साहित्य, संगीत और कला को समर्पित शिकोहाबाद की शब्दम् संस्था ने अपना बीसवां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया। एक भव्य कार्यक्रम में हिंदी की प्रख्यात कथाकार ममता कालिया और प्रख्यात कवयित्री अनामिका को हिंदी साहित्य सेवी सम्मान प्रदान किया गया। शाॅल, नारियल, बैजयंती माला और सम्मान राशि शब्दम् परिवार ने भेंट की।
इस अवसर पर शब्दम् अध्यक्ष किरण बजाज ने मुम्बई से भेजे अपने वीडियो संदेश में शब्दम् से जुड़े सभी लोगों का आभार प्रकट किया और कहा कि इतिहास साक्षी है कि सत्ता की राजनीति के उद्देश्य भले ही दूरगामी न हों लेकिन कला संगीत और साहित्य की संस्कृतियां युगों तक अपना प्रभाव ड़ालती हैं और ड़ालती रहेंगी।
20वर्षों के कार्यकाल में शब्दम् के माध्यम से अनेक महानविभूतियां साहित्यकारों, संगीतकारों, कथाकारों के जो अविस्मरणीय अवसर हमें मिले हैं उनके लिए संस्था इनका आभार प्रकट करती है। शेखर बजाज ने अपने सम्बोधन में सभी का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर दीपक औहरी द्वारा संस्था के बीस वर्षों का लेखाजोखा भी पीपीटी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
हिंदी साहित्य सेवी सम्मान से सम्मानित प्रख्यात कथाकार ममता कालिया ने कहा कि इस सोशल मीडिया के दौर में हिंदी भाषा को बचाने की जरूरत है। मानवीय संवेदनाओं को आज हम इमोजी के द्वारा व्यक्त कर रहे हैं, यह भाषा के लिए बड़ी चुनौती है। जीवन में जब संकट आता है तो हमें साहित्य ही संबल देता है। कहानी की बदलती विषय वस्तु पर बोलते हुए ममता कालिया ने कहा, आज कहानी में स्त्री आंसू बहाती हुई स्त्री नहीं है। आजादी के कई दशक बीतने और शिक्षा के प्रसार ने स्त्री को शक्तिशाली बनाया है। उन्होंने समकालीन लेखकों का जिक्र करते हुए बताया किस तरह हिन्दी कहानी की विषय वस्तु बदल रही है। आजकल कहानी में नए तरीके से यथार्थ आता है। उन्होंने शब्दम् संस्था और किरण बजाज का सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया।
प्रख्यात कवयित्री और कथाकार अनामिका ने कहा आजकल हिंदी की विभिन्न विधाओं में आवाजाही हो रही है। आजकल समाज से चिट्ठियां गायब हैं लेकिन कहानी में चिट्ठियां उपस्थित हैं। साहित्य सबको जीवित रखता है। कहानी में कविता आ रही है और कविता में कहानी। जिंदगी एक रफ ड्राफ्ट है और साहित्य इसी रफ ड्राफ्ट से मुकम्मल रचना देता है। विशिष्ट अतिथि डाॅ. सुबोध दुबे ने कहा कि यह देश कहानी का जन्मजाता देश है, हमारे वेद, पुराण, उपनिषध, रामायाण महाभारत असंख्य कहानियों के खजाने हैं। उन्होंने कालजयी कथाकार कमलेश्वर को उल्लेख करते हुए कहा कि कमलेश्वर ने कथा संस्कृति की पहली लाइन में ही लिखा कि यह कहना प्रमाणिक और उचित ही होगा कि भारतवर्ष संसार का प्रथम और सर्वक्षेष्ठ कथापीठ रहा है।
प्रसिद्ध व्यंग्यकार अरविन्द तिवारी ने ममता कालिया का परिचय प्रस्तुत किया और कहानी की परिचर्चा का हिस्सा भी बने। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंजर उलवासै ने की।
धन्यवाद ज्ञापन रजनी यादव ने दिया कार्यक्रम का सफल संचालन प्रसिद्ध कवि महेश आलोक ने किया। कार्यक्रम में हिंदी के विद्वानों की उपस्थिति रही।