मैनपुरी की शीतला मां का चमत्कार

Oct 13, 2024 - 15:49
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मैनपुरी की शीतला मां का चमत्कार
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 मैनपुरी की शीतला मां का चमत्कार 

 वर्षा ऋतु के विदाई होते शरद ऋतु के सुहावना मौसम का आगमन होता है।आशिवन कार्तिक महीना मे पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के जीवन चरित्र पर आधारित लीलाओं का रंगमंच मोचन होने लगता है। भक्त जन श्रद्धालु बड़े लगव से रामलीला को देखते हैं। ज्ञान और धार्मिक शिक्षाएं भी लेते हैं ।

इस माह में नवदुर्गा व्रत भी भक्तजन बड़ी श्रद्धा से रखते हैं और 9 दिन मां दुर्गा की पूजा अर्चना उपासना करते हैं । इस महीना में दीपावली त्यौहार भी पड़ता है । 70 वर्षीय पंडित बलदेव दुबे इसलिए आजकल बहुत खुश है कि नवरात्र पर्व दिवाली त्योहार पर पर3 वर्ष के बाद उन का छोटा लड़काअपनी पत्नी के साथ लंबी छुट्टी लेकर घर आ रहा है। पंडितबलदेव नेअपने छोटे लड़के सुधीर मोहन प्राचार्य श्री देवी डिग्री कॉलेज दिल्ली की शादी 4 साल पहले नेता सुभाष बोस महिला इंटर कॉलेज दिल्ली की प्रधानाचार्य सुषमा के साथ धूमधाम से की थी । कुछ दिन घर पर रहने के बाद दोनों जहां वो जॉब कर रहे थे वही लौट गए थे ।

पिछली दिवाली के दिन केवल 3दिन के लिए आए थे और दिवाली करके फौरन लौट गए थे। इस बार नवरात्रि दुर्गा जी के पूजन अवसर तथा दिवाली त्योहार पर एक माह की छुट्टी लेकर आ रहे हैं । सभी मिल जुल कर मैनपुरी की रामलील देखेंगे और नवरात्र में मां शीतला देवी की पूजा अर्चना करेंगे और दिवाली का त्योहार करके दिल्ली वापस चले जाए गे ।बड़े भाई सुमेर ने छोटे भाई के आने की खुशी में शहर जाकर परिवार के लिए अच्छे-अच्छे वस्त्र खरीदें वही छोटे भाई तथा उसकी पत्नी के लिए के लिए स्पेशल बहुत सुंदर कीमती वस्त्र खरीद के लाए थे। जिन्हें देखकर माता-पिता दोनों भाइयों के प्रेम को देखकर बहुत खुश हुए .।

नवरात्रि के ठीक 3 दिन पहले पंडित बलदेव दुबे का छोटा लड़का सुधीर मोहन कुर्ता धोती पहने हुए अंगोछा गले में डाले हुए तथा सुधीर की पत्नी सुषमा खादी रंगीन धोती को पहने हुए आधा घुंघट काढेहुये कीमती मारुति गाड़ी से कोठी के सामने आकर उतर पड़े । सुधीर ने आगे बढ़कर कोठी के चबूतरे पर खड़े हुए अपने पिता ताऊ बड़े भाई तथा खड़े हुए बुजुर्गों के पैर छुए और कोठी के अंदर चला गया । सुधीर की पत्नी गाड़ी से उतर कर चबूतरे पर खड़े हुए अपने ससुर चचिया ससुर जेठ' जी तथा अन्य बुजुर्ग लोगों के पैर छूकर जैसे ही कोठी की ओर आगे बढ़ी वैसे ही कोठी के अंदर से सुधीर की मां तथा भाभी तथा अन्य बुजुर्ग स्त्रियां आ गई ।।

सुधीर की छोटी बहन ने आकर भाभी की आरती उतारी। आई हुई स्त्रियों के नई नवेली सुधीर की पत्नी ने सभी के पैर छुए और आशीर्वाद लिया ।सुधीर की पत्नी के सुंदर आचरण को देखकर कुछ बुजुर्ग स्त्रियां सुधीर की मां से कहने लगी- जैसी तुम्हारी बड़ी बहू सब का मान सम्मान करती है उसी तरह से तुम्हारी छोटी बहू भी है । एक स्कूल की प्रिंसिपल होते हुए भी इसके अंदर कितनी नम्रता सज्जनता अच्छे आचरणगुण है ।अपनी प्रशंसा सुनकर सुधीर की पत्नी सुषमा मुस्काते हुए सभी स्त्रियों के साथ कोठी के अंदर चली गई ।कोठी के अंदर पहुंचकर सुषमा अपनी सास जिठानी से बोली -आप लोगों की हमेशा याद आती रही है ।

यह स्कूल की नौकरी ऐसी है इस में छुट्टी मिलना बड़ा कठिन होता है । इस बार बड़ी कठिनाई से एक महीना की छुट्टी मिली है। स्कूल की सभी व्यवस्थाएं करके स्कूल की चाबी उप प्रधानाचार्य को देकर कुछ दिनों के लिए छुट्टी मिल गई है । तभी पास खड़े हुए सुधीर के बड़े भाई का 8 वर्ष का लड़का अनूप बोल पड़ा - चाची जी यहां आगरा रोड रामलीला मैदान में बड़ी रोचक रामलीला हो रही है। हम आपके साथ रामलीला देखने चलेंगे ।आपके पास बैठकर रामलीला देखेंगे । सुषमा ने बालक अनूप को अपनी गोदी ने उठा लिया और सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- हां तुम्हारे पास बैठकर रामलीला देखूंगी तुमसे अच्छी तरह से कथा सुन सकूंगी और समझ भी लूंगी। तुम मुझे बताते रहना । चाची की बातों को सुनकर अनूप बड़ी जोर से हंस पड़ा ।

पास पड़ोस गांव की औरतें रात के समय अपने घरोंको चली गई ।तबसुषमा ने पलंग पर अटैची खोलते हुए सास जेठानी से कहा -आप सभी।के लिए शुद्ध कॉटन रेशमी वस्त्र लाई हूं ।जिससे नवरात्रि के व्रत रखने के समय पहना जा सके ।क्योंकि यह वस्त्र शुद्ध माने जाने वाले कपड़े है । वस्त्रों को देखकर सुधीर की मां भाभी खुश हो गई । तभी सुधीर के पिताजी तथा बड़े भाई अंदर आ गए और बोले छोटी बहू हम लोगों के लिए क्या लाई है ।बड़ी बहू ने सास ससुर के सामने लाए गए सभी वस्त्रों को रख दिया । वस्त्रों को देखकर सभी खुश हो गये।ससुर की ओर देखते हुए बड़ी बहू बोली -छोटी बहू भारतीय संस्कृति संस्कारों में पली है ।ताऊ ताई के लिए त पास पड़ोस के लिए भी अच्छे-अच्छे वस्त्र लाई है।

तभी बड़े लड़के की ओर देखते हुए पिता ने कहा-- छोटी बहू तथा छोटे भाई जो आपसी प्रेम है उसे देख कर मैं बहुत खुश हूं । छोटी बहू के भारतीय सभ्यता आचरण को देखकर ससुर बोले '‐मुझे भगवती देवी ने सब कुछ दे दिया है ।एक पिता को क्या चाहिए ? खुशहाल आपसी मेलजोल का परिवार चाहिए ।अब हम सभी मिलकर नव दुर्गों के दिन नव दिन व्रत रखेंगे और विद विधानसभा से पूजा अर्चना करेंगे। पंडित बलदेव यह सब कह कर सोने के लिए चले गए। आज पूरी रात सास बहू बेटों ने मिलकर बातों में ही रात गुजार दी ।दूसरे दिन बहु को देखने मिलने के आने वाली स्त्री केवल एक ही बात पूछती --अभी तक छोटी ब'हू की औलाद नहीं हुई। छोटी बहू इन बातों को सुनकर दुखी हो जाती । जिठानी सभी औरतों से ऐसी बातें ना करने के लिए मना करती और कहती अभी छोटी बहू की उम्र ही क्या है ?

एक प्रधानाचार्य की नौकरी कोई मामूली नौकरी होती है ।जब चैन से नौकरी करने लगेगी तो औलाद भी हो जाएगी ।बड़ी बहू देवरानी को समझाती- इन अशिक्षित औरतों की बातों में दुखी मत हो। इनमें जितनी अक्ल है उतनी ही बात कर रही हैं ।यह केवल बच्चा पैदा करना और उनको पालना ही जानती हैं । नवरात्र व्रत और दिवाली के बाद जब सुधीर और उसकी पत्नी दिल्ली जाने की तैयारी कर रही थी तो सुषमा के पास आकर जेठानी देवरानीसुषमा से बोली- बहन एक बात सच ब ताना क्या अनूप तुम्हारा बेटा नहीं है ?सुषमा बोली दीदी अनूप मेरा भी बेटा है ।मै बहुत प्यार करती हूं। जेठानी बोली- अब तुम अगली बार जब आओगीतो अनूप को अपने छोटे भाई को साथ लेकर आओगी। मां भगवती दुर्गा जी से मैंने यही मांगा है।

मैं शीघ्र ही शीतला देवी के मंदिर तुम्हें लेकर जाऊंगी। पूजा अर्चना करके तुम्हारी गोद भरने की बात शीतला मां के मांगूंगी । मैनपुरी की मां शीतला देवी 500 वर्ष से अधिक प्राचीन इतिहासिक देवी है। शीतला मां से जिसे जो मांगा है शीतला मां ने उसको वह दिया है। यह मंदिर मैनपुरी कुरावली मार्ग पर स्थित है ।पृथ्वी राज चौहान वंश के राजा जगत मणि गुरुदेव द्वारा मानिकपुर जिला फतेहपुर की कडा देवी को लाए थे। शैतान ने भयंकर रूप से मैनपुरी में चेचक रोग फैला दिया ।तब मां शीतला देवी ने एक ब्राह्मणी के रूप में यहां की जनता को बताया की नीम का झोरा शरबत देवी पर चढ़ाओ शीतला रोग ठीक हो जाएगा ।तभी कड़ा देवी का नाम शीतला देवी हो गया। शीतला देवी के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और देवी से जो मिन्नत मांगते हैं वह उनकी पूरी होती है बहन तुम्हारी भी प्रार्थना पूरी होगी। दूसरे दिन जेठानी के साथदेवर देवरानी के साथ शीतला देवीके मंदिर पर पहुंची।

 पूजा अर्चना करने के बाद शीतला मां से जेठानी ने यही कहा कि मेरी देवरानी की गोद मां भर दो ।देवर देवरानी के जाने के 8 महीना बाद अचानक रात को मोबाइल की घंटी बज उठी । जिठानी ने मोबाइल ऑन किया ।उधर से आवाज आई। दीदी मैं सुषमा बोल रही हूं। दीदी तुम यहां आ जाओ। मुझे तुम्हारी आवश्यकता है। मां जी को बता देना। मैया ने आपके मन की बात सुन ली है ।जिठानी सुषमा से बोली -मां शीतला देवी सच्ची देवी है जो सच्चे मन वचन से उनकी पूजा-अर्चना करता है। देवी उसकी हर बात को पूरी करती है ।मैं दो-चार दिनों में ही तुम्हारे जेठ के साथ आ जाऊंगी ।एक बरस के बाद जब सुषमा अपने पति के साथ नवदुर्गा के दिनों में अपने गांव आई तो अपनी गोद में एक सुंदर सा लड़का भी लाई ।मां शीतला देवी दुर्गा की कृपा सेअनूप के छोटे भाई के साथ आई। घर में खुशहाली फैल गई।

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावीकचहरी रोड मैनपुरी