Barabanki Loksabha: जानें क्या है राजनैतिक इतिहास और किसका है कब्जा
चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़ों पर गौर करें तो इस सीट पर कुल 17 लाख 21 हजार 278 मतदाता हैं जिनमें से 9 लाख 25 हजार 944 पुरुष और 7 लाख 95 हजार 265 महिलाएं हैं।
Barabanki Loksabha: उत्तरप्रदेश के 80 संसदीय क्षेत्रों में से एक बाराबंकी संसदीय क्षेत्र पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बीजेपी उपेंद्र रावत, बाराबंकी संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करती हैं। चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़ों पर गौर करें तो इस सीट पर कुल 17 लाख 21 हजार 278 मतदाता हैं जिनमें से 9 लाख 25 हजार 944 पुरुष और 7 लाख 95 हजार 265 महिलाएं हैं।
Barabanki Loksabha: कौन कब जीता चुनाव?
साल | पार्टी | जीतने वाला/जीती गई |
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1952 | INC | मोहनलाल सक्सेना |
1957 | INC | स्वामी रामानन्द |
1962 | समाजवादी पार्टी | रामसेवक यादव |
1967 | SSP | श्री यादव |
1971 | INC | कुंवर रुद्र प्रताप सिंह |
1977 | भारतीय लोकदल | राम किंकर |
1980 | जनता पार्टी | राम किंकर |
1984 | INC | कमला प्रसाद रावत |
1989 | JD | रामसागर रावत |
1991 | समाजवादी जनता पार्टी | रामसागर रावत |
1996 | समाजवादी पार्टी | रामसागर रावत |
1998 | BJP | बैजनाथ रावत |
1999 | SP | राम सागर रावत |
2004 | BSP | कमला प्रसाद रावत |
2009 | INC | पी एल पुनिया |
2014 | BJP | प्रियंका सिंह रावत |
2019 | BJP | उपेंद्र रावत |
Upendra Singh Rawat (उपेन्द्र सिंह रावत) Political Career
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पिता का नाम | श्री राज कुंवर |
मां का नाम | श्रीमती सरोजनी देवी |
जन्म स्थान | बाराबंकी, उत्तर प्रदेश |
पति/पत्नी का नाम | श्रीमती उर्मिला देवी |
बेटे | 1 |
राज्य का नाम | उत्तर प्रदेश |
स्थायी पता | गांव बाड़ुआ माजरे वहाबपुर, पी.ओ. अच्छेच्छा, तहसील राम नगर, जिला बाराबंकी-225208, उ.प्र. |
वर्तमान पता | बी-403, गोमती, बीकेएस मार्ग, नई दिल्ली-110001 |
शिक्षा योग्यता | एम.ए. समाजशास्त्र, एल.एल.बी. जेएनपीजे कॉलेज, बाराबंकी, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद और एलएलबी डीएवी महाविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय |
बाराबंकी लोकसभा का इतिहास(Barabanki Loksabha History)
सन 1952 के लोकसभा चुनाव से यह संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया। पहली बार जब इस प्रतिष्ठित सीट पर चुनाव हुए तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता मोहनलाल सक्सेना ने अपना कब्जा जमाया और लोकसभा पहुंचे। उसके बाद, सन 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने स्वामी रामानन्द को यहां से मौका दिया, जो चुनाव जीत गए। फिर 1962 में हुए चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामसेवक यादव ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली और लोकसभा में दाखिल हुए। फिर 1967 में श्री यादव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर निर्वाचित हुए।
लेकिन सन 1971 में कांग्रेस नेता कुंवर रुद्र प्रताप सिंह ने यहां बाजी मारी। किंतु,1977 में चली देशव्यापी गैर कांग्रेसी लहर में भारतीय लोकदल के नेता राम किंकर यहां से विजयी हुए। उसके बाद 1980 में हुए मध्यावधि चुनाव में जनता पार्टी सेक्युलर की टिकट पर राम किंकर की दोबारा लोकसभा पहुंचे। फिर सन 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस नेता कमला प्रसाद रावत ने यहां से चुनाव जीता और लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे।
फिर, सन 1989 में जनता दल नेता रामसागर रावत ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। उसके बाद 1990 में चली राम मंदिर लहर के बावजूद सन 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी जनता पार्टी की टिकट पर दूसरी बार भी निर्वाचित होकर विरोधियों को अपना लोहा मनवाया। सन 1996 में समाजवादी पार्टी की टिकट पर उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई और लोकसभा पहुंचे।
लेकिन, सन 1998 में हुए संसदीय चुनाव में बीजेपी नेता बैजनाथ रावत ने यह सीट अपने नाम कर ली। फिर, सन 1999 के लोकसभा चुनाव में सपा नेता राम सागर रावत ने बीजेपी से यह सीट छीनकर अपना बदला चुका लिया। उसके बाद, वर्ष 2004 में बीएसपी नेता कमला प्रसाद रावत ने सपा से यह सीट छीनकर बसपा के नाम कर लिया। हालांकि सन 2009 में कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने उन्हें पछाड़ कर यह सीट अपने नाम कर ली। उसके बाद, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेत्री प्रियंका सिंह रावत ने यहां से जीत हासिल की। लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें बेटिकट कर दिया।
देखा जाए तो इस सीट पर अबतक 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमें 5 बार कांग्रेस और 2-2 बार बीजेपी और सपा ने जीत हासिल की। जबकि, सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, बीएलडी, जेपीएस, जनता दल, समाजवादी जनता पार्टी और बीएसपी ने एक-एक बार यहां से जीत हासिल की है। इस बार भी यहां बीजेपी, कांग्रेस और सपा-बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के स्पष्ट आसार नजर आ रहे हैं।
यह संसदीय क्षेत्र इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि इसका नेतृत्व दिग्गज कांग्रेसी नेता पी एल पुनिया, समाजवादी नेता रामसागर रावत, राम किंकर और रामसेवक यादव जैसे नेता कर चुके हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार प्रियंका सिंह रावत ने कांग्रेस के उम्मीदवार पी एल पुनिया को मात दी थी। तब प्रियंका सिंह रावत को कुल 4, 54, 214 लाख मत मिले थे, जबकि पी एल पुनिया महज 2, 42, 336 लाख मतों पर ही सिमट गए थे।
2008 में हुए परिसीमन के बाद इस संसदीय सीट का स्वरूप बदल गया। अब 6 विधानसभा क्षेत्र इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं।
6 विधानसभा क्षेत्र इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं। - कुर्सी, जैदपुर, रामनगर, हैदरगढ़, बाराबंकी और दरियाबाद।
खास बात यह है कि इन सभी 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि 1 बाराबंकी विस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। इस समय यूपी और केंद्र दोनों जगहों पर भारतीय जनता पार्टी का ही शासन है। इसलिए बीजेपी की राह यहां आसान दिखाई दे रही है। क्योंकि गत लोकसभा चुनाव में भी सपा और बीएसपी के संयुक्त मतों से तकरीबन लगभग डेढ़ लाख मत बीजेपी को अधिक प्राप्त हुए थे। कमोबेश यही फासला कांग्रेस से भी था, जिससे बीजेपी रिलेक्स मूड में है और अपना उम्मीदवार भी बदल चुकी है।
2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पी एल पुनिया यहां दूसरे नंबर पर रहे थे। जबकि बसपा उम्मीदवार कमला प्रसाद रावत 1, 67, 150 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे।
उत्तर प्रदेश की बाराबंकी लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र रावत ने 5,35,917 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। सपा-बसपा गठबंधन के सपा प्रत्याशी राम सागर रावत 4,25,777 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस के दिग्गज नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया 1,59,611 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 18 लाख से अधिक मतदाता हैं।
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