Shahjahanpur Loksabha: जानें क्या है राजनैतिक इतिहास और किसका है कब्जा
Shahjahanpur Loksabha: जानें क्या है राजनैतिक इतिहास और किसका है कब्जा
Shahjahanpur Loksabha: उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय क्षेत्रों में से शाहजहांपुर संसदीय क्षेत्र पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री अरुण कुमार सागर इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व लोकसभा में करती हैं। 2011 की जनगणना के आधार पर यदि देखें तो इस जनपद की आबादी 13 लाख 46 हजार 103 है। देश में हुए तीसरे लोकसभा चुनाव 1962 से ही यह संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया है।
अरुण कुमार सागर (Arun Kumar Sagar) जीवन
विवरण | जानकारी |
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चुनाव क्षेत्र | शाहजहांपुर |
दल | भारतीय जनता पार्टी |
पिता का नाम | श्री छोटेलाल सागर |
जन्म स्थान | चवर खास, शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश |
जीवनसाथी का नाम | श्रीमती रूपसागर |
बेटों | 2 |
स्थायी पता | सी-20एफ, अभिषेक साउथ सिटी, जिला। शाहजहाँपुर - 242001, उत्तर प्रदेश |
वर्तमान पता | 180, नॉर्थ एवेन्यू, नई दिल्ली-110001 |
शैक्षणिक योग्यता | इंटरमीडिएट, रामशरण सिंह महाविद्यालय, फुलसंदा, बिजनौर, उत्तर प्रदेश |
अन्य सूचना |
i) उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री का दर्जा, 2008; ii) उत्तर प्रदेश राज्य विकास निगम के उपाध्यक्ष, 2008 |
शाहजहाँपुर से भाजपा सांसद अरुण कुमार सागर पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटव समुदाय के लोकप्रिय युवा दलित नेता थे। वह चार बार शाहजहाँपुर जिले के जिला अध्यक्ष और दो बार पार्टी की इकाई के बरेली जोन समन्वयक रहे। 2008 में 32 साल की उम्र में वह राज्य निर्माण निगम (यूपी सरकार के राज्य मंत्री का दर्जा) के उपाध्यक्ष बने। 2012 में उन्होंने बसपा के टिकट पर पवायां निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 4.2 के अंतर से सपा उम्मीदवार शकुंतला देवी से हार गए । 15 जून 2015 को उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निकाल दिया गया
बहुजन समाज पार्टी छोड़ने के बाद सागर तुरंत भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए । पार्टी ने उन्हें इसलिए भर्ती किया क्योंकि उनके पास एक दलित नेता की कमी थी और वे एक दलित नेता की तलाश कर रहे थे। 2015 में उन्हें पार्टी की ब्रज क्षेत्र इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया ।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से अरुण सागर ने जीत हासिल की।
Shahjahanpur Loksabha: कौन कब जीता चुनाव?
1962 | प्रेम कृष्ण खन्ना | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1967 | ||
1971 | जीतेन्द्र प्रसाद | |
1977 | सुरेंद्र विक्रम | जनता पार्टी |
1980 | जीतेन्द्र प्रसाद | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1984 | ||
1989 | सत्यपाल सिंह यादव | भारतीय जनता पार्टी |
1991 | ||
1996 | राममूर्ति सिंह वर्मा | समाजवादी पार्टी |
1998 | सत्यपाल सिंह यादव | भारतीय जनता पार्टी |
1999 | जीतेन्द्र प्रसाद जितिन प्रसाद |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2004 | ||
2009 | मिथलेश कुमार | समाजवादी पार्टी |
2014 | कृष्णा राज | भारतीय जनता पार्टी |
2019 | अरुण कुमार सागर | |
वर्ष | सदस्य | दल |
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शाहजहाँपुर लोकसभा का इतिहास (Shahjahanpur Loksabha History)
जहां तक इस सीट के जातिगत समीकरण की बात है तो मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग 4 लाख है जो कुल मतदाताओं का 20 प्रतिशत है और निर्णायक भी। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य सहित लगभग 7 लाख सवर्ण मतदाता ही यह तय करते हैं कि यहां से कौन जीतेगा। 2 लाख 50 हजार दलित-आदिवासी मतदाता, लगभग 4 लाख 50 पिछड़ी जाति के मतदाता भी यहां के प्रभावशाली वोटर वर्ग समझे जाते हैं, जिनमें यादव, कुर्मी, जाट, गुजर, सैनी आदि जातियां प्रमुख हैं।
2008 में परिसीमन के बाद इस संसदीय सीट का स्वरूप बदल गया।अब 6 विधानसभा क्षेत्र इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं।
वर्तमान में, शाहजहाँपुर लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं - कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पुवायां, शाहजहांपुर और ददरौल।
अगर चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़ों पर गौर करें तो इस सीट पर कुल 19,79,294 लाख मतदाता हैं जिनमें से 11,00,028 लाख पुरुष और 8,79,139 लाख महिलाएं हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के बीच ही होगा। क्योंकि कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद की सियासी किस्मत यहां से जुड़ी हुई है, क्योंकि उनके पिता दो-दो कांग्रेसी प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार थे। जिससे यह सीट हमेशा हाई प्रोफाइल समझी गई और यहां से जीतने वाले नेता की पार्टी की यदि सरकार बनी तो केंद्र में राज्यमंत्री का पद भी मिल ही जाता है।
पहले चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रेम किशन खन्ना लोकसभा पहुंचे, फिर 1967 में भी उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया। 1971 में जीतेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा पहुंचा, परंतु 1977 में जनता पार्टी के सुरेंद्र विक्रम सिंह जीते। 1980 और 1984 में फिर जीतेंद्र प्रसाद को सदन में स्थान मिला।
1989 में भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सिंह यादव और 1991 में भी वे लोकसभा पहुंचे, लेकिन 1996 में समाजवादी पार्टी के राममूर्ति वर्मा ने इस सीट पर कब्जा किया। लेकिन 1998 में भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सिंह यादव ने उन्हें हराया। 1999 में फिर कांग्रेस के जितिन प्रसाद ने यहां जीत हासिल की।
2001 में उनके निधन के बाद उपचुनाव में सपा के राममूर्ति वर्मा ने यहां वापसी की, लेकिन 2004 में कांग्रेस के जितिन प्रसाद ने उन्हें हरा दिया। 2009 में सपा प्रत्याशी मिथिलेश कुमार ने वहाँ जीत हासिल की, लेकिन उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। 2014 में बीजेपी के कृष्णा राज ने इस सीट पर कब्जा किया।
इससे, यहाँ 14 लोकसभा चुनावों और 1 उपचुनाव में 7 बार कांग्रेस, 4 बार समाजवादी पार्टी, और 4 बार भाजपा ने इस सीट पर विजय हासिल की। 2014 में बीजेपी के कृष्णा राज की विजय के साथ ही यह सीट बदल गई, और अब यह छह विधानसभा क्षेत्रों का अंग बन गया है।
शाहजहांपुर लोकसभा सीट से दो बार कमल खिला चुकी बीजेपी ने एक बार फिर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इतिहास रचा था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से अरुण सागर ने जीत हासिल की। जहां बीजेपी के अरुण सागर को 58.53 फीसदी वोट मिले।