पत्नी को खाना बनाना नहीं आता तो तलाक का आधार नहीं, हाईकोर्ट
Divorce Case: केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने तलाक (Divorce) के मामले में एक अहम फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि पत्नी का खाना बनाना नहीं आना क्रूरता (Cruelty) नहीं है. यानी इस आधार पर तलाक की मांग नहीं की जा सकती। अदालत ने ये भी कहा कि पत्नी अपने टूटे हुए वैवाहिक रिश्ते को जोड़ने और उसकी समस्याओं का पता लगाने के बाद उसे सामान्य जीवन में वापस लाने की कोशिश कर रही थी।
डिवीजन बेंच ने पत्नी द्वारा प्राप्त वैवाहिक अधिकारों की बहाली के फैसले के खिलाफ पति की अपील पर उपरोक्त टिप्पणियां कीं. उन्होंने तलाक की उनकी याचिका खारिज करने के आदेश को भी चुनौती दी। पति ने आरोप लगाया कि शादी व्यावहारिक और भावनात्मक रूप से खत्म हो चुकी है और वे पिछले 10 वर्षों से अलग रह रहे हैं और पुनर्मिलन की कोई गुंजाइश नहीं है।
इस पर अदालत ने कहा, "कानूनी तौर पर, एक पक्ष एकतरफा विवाह से बाहर निकलने का फैसला नहीं कर सकता है, जब कानून के तहत तलाक को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं। पति ने क्या आरोप लगाए? पति ने आरोप में ये भी कहा कि पत्नी ने उसके रिश्तेदारों की उपस्थिति में उसका अपमान किया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया।
यहां तक कि उसकी पत्नी ने उस कंपनी के प्रबंध पर्यवेक्षक से शिकायत की जहां वह काम कर रहा था. और तो और वो चाहती थी कि उसकी नौकरी चली जाए। आगे ये भी आरोप लगाया गया कि पत्नी को खाना बनाने नहीं आता था. उसने वनिता सेल और मजिस्ट्रेट कोर्ट में भी शिकायत दर्ज कराई. पत्नी ने सभी आरोपों से इनकार किया. पत्नी ने कोर्ट को बताया कि वो 2013 से अपने पति से अलग रह रही थी, क्योंकि उसके पति ने उसे अपने वैवाहिक घर में रहने की अनुमति नहीं दी थी। हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
अदालत ने कहा कि पत्नी के खिलाफ कथित क्रूरता का मुख्य आधार यह था कि उसने अपीलकर्ता के नियोक्ता को उसकी नौकरी समाप्त करने के लिए एक मेल भेजा था. मेल को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि महिला चाहती थी कि उसका वैवाहिक जीवन ठीक हो जाए, इस मंशा के साथ महिला ने मेल किया था।
अदालत ने आगे कहा कि महिली रिश्ते को ठीक करना चाहती थी और उसे सामान्य जीवन में वापस लाना चाहती थी, और वो उसके उतार-चढ़ाव में उसके साथ रहने के लिए तैयार थी. इसलिए शादी खत्म करने का कोई आधार नहीं है।
अदालत ने आगे कहा कि वनिता सेल के साथ-साथ मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष शिकायत दर्ज करना भी क्रूरता नहीं है क्योंकि ऐसा करना उसका कानूनी अधिकार था, अगर उसका पति उसे आश्रय और रखरखाव प्रदान नहीं कर रहा था। अदालत ने आदेश में कहा कि खाना नहीं बना पाना क्रूरता नहीं है. और ये नहीं तलाक का आधार है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पति की अपील खारिज कर दी।