आई नूतन तकनीक हुई विस्मृत पुरातन लीक

Sep 29, 2023 - 15:52
 0  53
आई नूतन तकनीक  हुई विस्मृत पुरातन लीक
Follow:

आई नूतन तकनीक हुई विस्मृत पुरातन लीक

कहते है कि समय के साथ - साथ में सही विवेकपूर्ण तरीके से नूतन तकनीक को समय की माँग के अनुरूप अपनाना चाहिये । लेकिन हम देखते है कि लोग नूतन तकनीक के लिये पुरानी लीक को विस्मृत कर रहे हैं ।

 आज वैज्ञानिक युग है।सब चीज़ों का अकल्पित विकास हो रहा हैं।क्या हृदय का,क्या दिमाग़ का,क्या बुद्धि का,और क्या सुख सुविधाओं आदि का और इन्हें प्राप्त करना समाज के विकास में प्रतिष्ठा का मान दंड बन गया हैं । विज्ञान की क्रांति ने पूरे परिवेश को बदल दिया हैं ।मानवीय भावनाओ ने नया मोड़ लिया हैं ।

मनुष्यता को अर्थ व सुख-सुविधाओं का आकर्षण लील गया हैं । इंसान विज्ञान के सहारे जीता जागता रोबोट बना सकता हैं भले ही वो हज़ार काम करले पर संवेदना की कमी,घिरता स्वास्थ्य ,अस्त-व्यस्त खान-पान और बिखेरती जीवन शैली आदि का कौन ज़िम्मेदार? हम स्वयं क्योंकि हमारे आविष्कार आज हमें ही मशीन बना रही है। यह साधनों और सुविधाओं में दिल का सुकून छीन रही है। खो गए है कहीं पर विश्वास और अपनापन सुख गयी है भावनाएँ तार-तार हुई हैं संवेदनाएँ।

ख़तरे की घंटी दिन प्रतिदिन बड़ी-बड़ी बीमारियों के रूप में सामने आ रही है महँगाई के इस युग में इंसान काम समय आगे बढ़ने के लिए लूट-पाट चोरी आदि में ख़ुद के किये हुए आविष्कार का ग़लत फ़ायदा उठा रहा हैं। यही हाल रहा तो छठे आरे का चित्रण अभी से सामने आ जाएगा। सोच का विषय? गुरुदेव तुलसी कहते थे कि जीवन-विकास दो शब्द है और इन्हें समझना हैं।

तकनीक साधन जीवन के साध्य नही जीवन साध्य है मानवता।जो है आत्मभय, आत्मयनियंत्रण, आत्मानुशासन और आत्म संयम । जीवन की वास्तविकता तो यह है कि दुनिया के साथ चलते रहने के लिए आवश्यक आधुनिकता को सही से हमे अपनाते रहना भी ज़रूरी है । पर पुरातन को छोड़ने में विवेकपूर्ण निर्णय बिना प्रगति अधूरी है। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow