कहानी --- योगी जी का न्याय

Sep 14, 2024 - 09:43
 0  37
कहानी --- योगी जी का न्याय
Follow:

कहानी -- योगी जी का न्याय

सितंबर महीने की 13 तारीख थी। शाम के 6:00 बज रहे थे। ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी। मैं शेरगढ़की ओर जाने वाली बस से माधवगढ़ में उतर पड़ा और अटैची लिए हुए अपनी ससुराल सबलगढ़ को चल दिया ।अभी माधवगढ़ की गलियों से होकर सबलगढ़ की ओर जा रहा था तभी तेज हवाओं के साथ मूसलाधार वर्षा होने लगी। मैं एक पुरातन गिराऊ कोठी के फाटक के नीचे जाकर खड़ा हो गया ।तभी छाता लगाए हुए 100 वर्ष की उम्र से ज्यादा उम्र के एक व्यक्ति ने आकर कहा-- बेटा यहां खड़ा होना खतरे से खाली नहीं है।

यह भूत कोठी है ।मेरे सामने की दुकान पर चलकर बैठ लीजिए ।बरसा बंद होने के बाद जहां जाना चाहते हो चले जाना । मैं बुजुर्ग के कहने पर सामने के मकान पर आकर टीन के नीचे खड़ा हो गया। बुजुर्ग ने मेरे लिए एक चारपाई डाल दी और कहा --बेटा इस पर बैठो। मैं आराम से चारपाई पर बैठ गया । बुजुर्ग ने मुझसे पूछा बेटा ¡तुम्हें कहां जाना है ? मैंने कहा- बाबा मुझे सबलगढ़ अपनी ससुराल में जाना है ।जो यहां से तीन-चार किलोमीटर दूर है ।

 ठीक है बेटा पानी बंद होने पर चले जना। बेमौसम का पानी बरसाना बंद नहीं हो रहा था ।मुझे बैठे हुए चार-पांच घंटे हो गए थे ।बुजुर्ग ने फिर मुझसे कहा-- अब बेटा रात हो रही है । ऐसी बरसात में रात के समय चलना ठीक नहीं है ।आज यही विश्राम करो। कल सुबह चली जाना। मैंने बुजुर्ग की अपनात्व की बात को सुनकर कहा --हां बाबा आज यही रात में विश्राम करूंगा ।बुजुर्ग मुझसे बात कर ही रहा था तभी बूढी दादी मां चाय के कप कुछ बिस्किट लेकर आकर खड़ी हो गई और बोली- बेटा तब तक इसे खाइए !तब तक मैं खाना बनाएलेती हूं ।तबभोजन करना बेटा किसी बात का संकोच न करना ।मैं एक सूबेदार ठाकुर बलवंत सिंह की मां हूं।

जो सामने प्राचीन गिराऊकोठी देख रहे हो कोठी से जुड़ी हुई मेरी औरकोठी की एक दर्द भरी कहानीहै । अब यह भूत कोठी हो गई है। अभी मैं खाना बनाने जा रही हूं। तुम्हें खाना खिलाने तथा खुद खाना खाने के बाद आराम से तुम्हें कहानी सुनाऊंगी। अब तो केवल यादें रह गईहै ।उन्हें यादों के पीछे जी रही हूं। रात के 12:00 रहे थे। हम सभी खाना खाकर निपट चुके थे। बूढी मां ने आकर मुझे कोठी की कहानी बताने लगी --बेटा यह कोठी गांव के बहुत मालदार कैप्टन ठाकुर जोरावर सिंह की है। जिनके एक होनहार पिता का आज्ञाकारी पुत्र सुमन सिंह तथा एक सुंदर सुशील लड़की कल्पना थी। जिस की शादी हो चुकी थी। लड़का भी मिलिट्री में कैप्टन था।

 रिटायर कप्तान जोरावर सिंह ने अपने प्रभाव से गांव के चार लड़कों को मिलिट्री में सूबेदार बना दिया था ।जिसमें मेरा भी लड़का बलवंत सिंह सूबेदार ठाकुर जोरावर सिंह की दया का फल था। हम सभी का परिवार बड़ी सुखी आनंद से रह रहा था । गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी चल रही थी। गांव की लड़कियां एक दूसरे के घर पर मिलने को जा रही थी। मोहल्ले में चहल-पहल मची हुई थी । ठाकुर जोरावर सिंह का लड़का कैप्टन सुंदर सिंह कल अपने साथियों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के लिए आ रहा था । अचानक गांव से कल्पना गायब हो गई ।

 उस की तलाश शुरू हो गई। रात 2:00 बजे रोती हुई कल्पना कोठी पर आ गई। कोठी पर आकर उसने अपने बूढ़े पिता रिटायर कैप्टन जोरावर सिंह को पूरी अपनी राम कहानी बताई कि उसे जिम्मीदार ठाकुर साहब ने शराब के नशे में दरोगा को परोस दिया था। इज्जत लूटने के बाद अब घर आने दिया । यह सुनकर बूढ़े ठाकुर जोरावर सिंह का खून खौल गया । वह बदला लेने के लिए जमीदार की कोठी पर जाने ही वाले थे कि गांव के कुछ ठाकुरों ने उसे रोक लिया औरकहा --सुबह हो जाने दो बदला लिया जाएगा ।कल सुबह तक आपके लड़के ठाकुर सुमन सिंह भी आ जाएंगे ।

यह सभी बातें चल ही रही थी तभी कोठी के अंदरऔरतों की रोने की आवाज आने लगी ।बताया गया कल्पना ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है । बेटा तब देश गुलाम था। अंग्रेजों का राज था । राजा महाराजा जमीदार तालुकदार अफसर शाही का बोलबाला था। अय्याशी के अत्याचार होते रहते थे। जनता को बर्दाश्त करना पडते थे। सुबह का सूर्य ललमा बिखरते हुए पूर्व में उदय हो रहा था ।तभी आकाश में हेलीकॉप्टर की आवाज गूंज उठी। गांव के लोग कहने लगे कैप्टन सुमन सिंह हेलीकॉप्टर से अपने चारों साथियों के साथ आ गए हैं और कोठी की ओर आ रहे ।

जब सुमन सिंह कोठी के अंदर आए और उनको यह सव पता चला तो उनका खून खौल उठा और बोले --बहन की अर्थी तब उठेगी जब बदला ले लिया जाएगा । गांव के बुजुर्ग प्रिंसिपल साहब के कहने पर पहले कल्पना का दाह संस्कार शांति पूर्वक हो जाने दो उसके बाद कोई खूनी कार्रवाई करना ।अभी तुम किसी को मार दोगे तो पुलिस आएगी दाह संस्कार में व्यवधान उत्पन्न हो जाएगा। रिटायर प्रिंसिपल की सभी ने बात मानी। कल्पना का दाह संस्कार होने की कार्यवाही होने लगी। दाह संस्कार होने के बाद कैप्टन सुमन सिंह ने अपने पिता से कहा --अब आप माताजी सब परिवार को लेकर पुलिस कप्तान मोहर सिंह मामा के यहां सुरक्षा की दृष्टिकोण से चले जाइए ।कोठी में ताला लगाकर सामने की कोठी में रहने वाली चाची को चाबी देकर जाइए ।

लड़के की बात को मानकर ठाकुर जोरावर सिंह अपने साले पुलिस कप्तान के यहां चले गए । मेरे लड़के ने भी मुझसे यही कहा कि वह नौकरी पर कैप्टन साहब के साथ जा रहा है । दूसरे दिन श्रावणी का त्योहार गांव में शोक वातावरण मन रहा था तभी गांव में खबर फैल गई ठाकुर कैप्टन सुमन सिंह ने जमीदार के घर पर जाकर जमीदार तथा उनके पहरेदारों को गोली मारकर हत्या कर दी और मिलिट्री में जाने की बात कहकर गांव से चले गए हैं । हत्या के बाद जमीदार के परिवार में हाहाकार मच गया। पुलिस में कैप्टन सुमन सिंह के खिलाफ रिपोर्ट हुई। कैप्टन सुमन सिंह मिलिट्री में जाकर अपनी उपस्थित दर्ज कर दी। यहां की पुलिस की कार्रवाई धारी की धरी रह गई ।

इस हत्याकांड के बाद थाना इंचार्ज दरोगा थरथर कांपने लगा और उसे अपनी हत्या की आशंका होने लगी। अभी 2 महीना ही बीते थे रिटायर कैप्टन तथा उनकी पत्नी की हृदयगत रुक जाने से उन कीमौत हो गई। इस खबर को पाकर कैप्टन सुमन सिंह अपने पिता का दास संस्कार करने के लिए कप्तानमामा के यहां पहुंचे । दाह संस्कार करने के बाद लौटकर ड्यूटी पर नहीं गए और बदले की आग में चंबल के बागी डकैतों की शरण में पहुंच गए । एक दिन मुख्वर की सूचना पर पूरे गैंग के साथ दरोगा के मकान पर पहुंच गए ।दरोगा के हाथ पैर काटे फिर जिस अंग से उसने काम बसना शांत की थी उस अंगको काट दिया और दरोगा को अधमरा करके छोड़ दिया।

 उसके बाद गांव में आकर ऐलान कर दिया कि अब बहू बेटियों की सुरक्षा के लिए वह डकैत बन गया है ।गांव के लोग अब संभल कर रहे हैं ।डोकरी आंसू बहते हुए बोली --उसके बाद सुमन सिंह और उनका लड़का गांव में लौट कर नहीं आया। इन दोनों के डर से गांव में शांत का माहौल बन गया ।देश आजाद हुआ अपनी सरकार बनी। डकैत समर्पण का माहौल बना । लेकिन इन दोनों ने समर्पण नहीं किया ।डकैत जीवन में ही दोनों की मौत हो गई। जनता उनके आदर्श आचरण कामों को आज भी याद करती है। कैप्टन डकैत सुमन सिंह जीवन पर्यंत गरीबों की लड़ाई लड़ता रहा ।उसका कहना था कि कोर्ट कचहरी से न्याय नहीं मिलता है ।

आंसू पौछते हुए डोकरी बोली-- हमारे मुख्यमंत्री योगी जी भी इसी तर्ज पर अपराधियों को सजा दे रहे हैं। आज अगर यह दोनों डकैत जिंदा होते तो योगी जी कासम्मान करते ।अच्छे आचरण रखने वाले बाहुबलीयो का फर्ज बनता है गरीब जनता को न्याय दिलाने के लिए योगी जी की नीतियों का समर्थन करें ।अहिंसा का जब बल हिंसा पर नहीं चलता है तो अहिंसा भी हिंसा बन जाती है । देश में ऐसे कानून बने जिसमें तत्काल सजा दी जा सके । डोकरी से कहानी सुनाने के बाद सुबह मैं अपनी ससुराल चला गया।

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी