जीवन क्या है
जीवन क्या है
प्रश्न क्या खाना ,पीना ,सोना ,उठना ,घूमना - फिरना आदि - आदि जीवन हैं ।नहीं जीवन की सही परिभाषा है जीवन में आने वाले संघर्षों से विवेक पूर्वक, संयत भाव व पूर्ण आत्मविश्वास से लड़ना क्योंकि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसके जीवन में कष्ट आते ही नहीं।भगवान राम हो, चाहे हो कृष्ण या हो मोक्षगामी वीर प्रभु महावीर आदि - आदि मुश्किलों से कोई नहीं बच पाया है।
यह तो पुर्व जन्मों में किए कर्मों का फल उदय में आया है अगर हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें दर्द को अपना दोस्त बनाना होगा, कॅरियर भी कुछ-कुछ जिंदगी जैसा ही होता है, जिंदगी की तरह ही कॅरियर में भी काफी उतार-चढ़ाव, सफलता-विफलता देखने के बाद ही हमको कामयाबी मिलती है हालांकि जिंदगी में जैसे-जैसे हम अपने सफर पर आगे बढ़ेंगे,वैसे ही हम स्वयं को ज्यादा खोया हुआ और निराश महसूस करेंगे।
ऐसे समय में हम अपने लक्ष्य से पीछे हटना चाहेंगे क्योंकि हमारा आत्मविश्वास डगमगा रहा होगा, यही वह समय होगा जब हमें अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहना होगा और स्वयं को प्रोत्साहित करना होगा, अतः असफलता ही सफलता की जननी है। हम अपने सहज स्वभाव में रहें क्योंकि घर में,समाज में सब मनुष्यों के स्वभाव मिलना सम्भव ही नहीं है ।
क्योंकि अपने अपने कर्मसंस्कारों के अनुरूप कोई किस गति से अवतरित हुए है और कोई किस गति से तो सब एक जैसे कर्मसंस्कारों से युक्त हो ये सम्भव नहीं लेकिन हम सबके विचारो को महत्व दें अपने विचारों का आग्रह न हो हम में ये हमें अनेकांत का सिद्धांत सीखाता है जो भगवान महावीर की हम पर अनुकम्पा करके दी हुई महत्वपूर्ण पद्दति है ।सब जगह सामंजस्य बैठाने में बहुत उपयोगी है ।अनाग्रही चेतना के विकास से ये सब सम्भव है।हम अपने साथ साथ दूसरे के साथ तालमेल बैठाकर सहज जीवन का लाभ ले सकते है सहजता से।
प्रदीप छाजेड़