हरिऔध स्मृति’ १५ अप्रेल २०२५ अंतरार्ष्ट्रीय काव्य विमर्श

Apr 18, 2025 - 12:27
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हरिऔध स्मृति’ १५ अप्रेल २०२५ अंतरार्ष्ट्रीय काव्य विमर्श

‘हरिऔध स्मृति’ १५ अप्रेल २०२५ अंतरार्ष्ट्रीय काव्य विमर्श——————————————————————— एवं कवि सम्मेलन ———————-

गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी पंडित अयोध्या सिंह उपाध्याय “हरीऔध” जी के जन्म दिवस १५ अप्रैल को एक अंतर्राष्ट्रीय साहित्य विमर्श एवं काव्य पाठ का आयोजन ज़ूम पर किया गया। “हरीऔध” जी की लेखन शैली, साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान पर शिक्षाविद भगवान सिंह जी की अध्यक्षता में एवं हरिऔध परिवार की संस्था ‘थियेटर ऑन डिमांड’ ने यह आयोजन सहयोगी संस्थाओं ‘भारत आस्ट्रेलिया साहित्य सेतु’,‘ साहित्य संध्या’ मेलबर्न पत्रिका ‘आस्ट्रेलियांचल’ सिडनी के सहयोग से किया । सम्मेलन का आरम्भ “हरीऔध” जी की पौत्री श्रीमती आशा शर्मा जी के व्यक्तव्य से हुआ।

उन्होंने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा "मेरा आग्रह है कि आप सभी अपने साथ अपने आने वाली पीढ़ियों को भी कार्यक्रम से जोड़ें, जिससे वे अपनी संस्कृति, संस्कारों, तथा साहित्य को अधिक से अधिक समझें, और उसे आगे बढ़ाने में अपना पूर्ण योगदान दें।” विषय : “हिंदी धारा प्रवाह” पर भाव विभोर करनेवाले व्यक्तव्यों, काव्य पाठ ने उपस्थित सम्मानित दर्शक, श्रोताओं तथा प्रतिभागियों को आत्मीयता, भारतीयता से ओत प्रोत कर दिया। देश विदेश से जुड़े साहित्यकारों, कवियों, लेखकों, दिग्गज विद्वानों ने अपने व्यक्तव्यों, काव्य पाठ से सबको आनंदित कर समा बांध दिया। आयोजन अध्यक्ष भगवान सिंह जी ने कहा कि “हरीऔध” जी के जीवन व साहित्य पर आप सभी अपने अपने विचार, स्मृतियों को जोड़ के एक पुस्तक प्रकाशित कीजिए हरिऔध जी का हिंदी साहित्य को प्रोत्साहन अति विशेष रहा है जिसे हमेशा याद किया जायेगा मुख्य वक्ता प्रॉंजल धर ने कहा दर्पण से छील दीजिए अपनी छवि को, तब मिलेंगे हरिऔध जी उनका वक्तव्य गूढ़ार्थ रहा । कहानीकार तेजेंद्र शर्मा - लंदन - विशिष्ट अतिथि , ने ग़ज़ल के माध्यम से अपनी बात कही ।

लंदन की वरिष्ठ लेखिका जय वर्मा जी ने हरिऔध जी को याद करते हुऐ कहा कि मैं अपने छोटे भाई को “ उठो लाल अब ऑंखें खोलो ,कविता पढ़कर सुबह जगाती थी उन्होंने हरिऔध के जीवन पर गहन प्रकाश डालते हुऐ अपने विचार रखे डा० नीलम भटनागर - विशिष्ट अतिथि, ने कहा अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। खड़ी बोली में महाकाव्य प्रिय प्रवास रच कर सिद्ध कर दिया कि खड़ी बोली की कविता में भी सरसता एवं मधुरता आ सकती है।राधा कृष्ण को विश्व सेवी महापुरुष के रूप में चित्रित कर के अपनी मौलिकता का परिचय दिया। उनकी बूँद कविता मुझे अत्यंत प्रिय है—- ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी सोचने फिर-फिर यही मन में लगी आह क्यों घर छोड़ कर मैं यों बढ़ी। डॉ विमल कुमार शर्मा - सारस्वत अतिथि,ने काव्य पाठ करते हुऐ सुनाया , मजा अब आ रहा है दर्द का दवाई रहने दो। आदत पड़ चुकी है क़ैद की रिहाई रहने दो। तुम्हारी याद के साये में इतने दिन गुज़रे हैं। अच्छी लग रही है मुझको ये तन्हाई रहने दो। डा० कुसुम चतुर्वेदी ने यह मधुर गीत सुनाया ,गीत मैंने तुम्हारे लिए जो लिखे वे परस पा तुम्हारा भजन हो गए अश्रु जितने तुम्हारे दृगों से झरे प्राण मेरे लिए आचमन हो गए डा० शैलजा चतुर्वेदी ने कहा ,कवियों के कवि श्रद्धेय हरिऔध जी ने विरासत में एक विशाल साहित्यक संसार ही नहीं छोड़ा है एक ऐसे परिवार की श्रंखला छोड़ी है जो आजीवन उनके यशगान के माध्यम से हिंदी भाषा, संस्कृति व साहित्य का दीपक प्रज्वलित करते रहेंगे। 

ऐसा कुछ करके हम जायेगे इस जमाने मे लगेगी आपको सदियां हमें भुलाने में’ भौतिक विज्ञान के अमेरटिस प्रोफेसर राजेश्वरी माथुर सिडनी ने ग़ज़ल पाठ किया आओ चलें एसी जगह जहाँ हम है तुम हो बहार हो जहाँ मुन्तज़िर हो सब तेरे तेरा ही इंतज़ार हो वंदना रानी दयाल ने कहा कि अपने परिवार और पूर्वजों की साहित्यिक विरासत का अलख अगर तीसरी या चौथी पीढ़ी जगाती है तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि हिंदी भाषा का भविष्य सुरक्षित हाथों में है और उज्ज्वल है। ख़ुशबू गुप्ता, ने गीत सुनाया हे कृष्ण! तुम्हें फिर आना होगा अपनी लीला दिखलाना होगा, मानवता की रक्षा करने कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा! वनीता शर्मा ने कहा हिंदी साहित्य जगत के परम पुरोधा,खड़ी बोली को स्थायित्व दिलाने वाले विद्वानों, मनीषियों की उज्ज्वल कड़ी थे--- *साहित्य प्रज्ञा भाषा के सुविज्ञ ज्ञान महारथी ।वरद पुत्र मां शारदा के अपार स्नेह गुण गाथ थे।। साहित्य सृजन सेवा हेतु ह्रदय भरा अपार उत्साह । साथी साहित्यकारों हित हेतु पावन सुपाथ थे ।। स्नेहिल ओजस्वी वाणी में प्रवाह गंगा धार जैसा। राष्ट्रभाषा उत्कर्ष नैतिक सृजन में आप अद्भुत कलमकार थे।।

सोनम झा,ने गीत सुनाया , अलका दुबे, ने कहा शंखनाद करो,आगाज़ करो, परवाज़ भरो, परवाज़ भरो । कर लो ऊंची उड़ान अपनी, आसमान पर राज करो । तुम नारी हो नवीन भारत की, नव भारत निर्माण करो । डा शशिकांत शर्मा,ने सुनाया भले ही चूल्हे ज़ुदा-ज़ुदा हों अभी ये आँगन बँटा नहीं है जुदा हुई हों भले टहनियाँ ये पेड़ जड़ से कटा नहीं है।। .. महेन्द्र तिवारी ‘अलंकार’, प्रतिभा मिश्रा ‘ख़्वाहिश’, ने काव्श्रीय पाठ किया ।श्रीमती प्रियंका अग्निहोत्री,ने सुनाया क्या खोया क्या नहीं पा सके सोचना होगा अपने भीतर की कमियों को खोजना होगा विश्व गुरु बनने का है सामर्थ्य तो फिर "गीत" हिन्दी को वैश्विक स्तर पर पूजना होगा वरिष्ठ कवि बलराम गुमाश्ता भोपाल ने अपने संदेश में लिखा परमश्रद्धेय श्री हरिऔध जी की पावन स्मृति को सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि, द्विवेदी युग की महान विभूति के रचनात्मक अवदान का हिंदी और देश सदा ऋणी रहेगा । कार्यक्रम को सफल बनाने में डा प्रवीण गुप्ता,अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति , विनय गुप्ता एशिया खबर , अंग्रेज़ी भाषा कवि राजीव खंडेलवाल, डा शैलजा चतुर्वेदी का विषेश सहयोग रहा कार्यक्रम का संचालन हरीऔध जी की छोटी प्रपौत्री अपर्णा वत्स तथा भारत आस्ट्रेलिया साहित्यिक सेतु के संस्थापक अध्यक्ष लेखक - कवि अनिल कुमार शर्मा द्वारा सराहनीय रहा। हरीऔध जी की बड़ी प्रपौत्री अंगिरा वत्स जो मुंबई में सिनेमा जगत से जुड़ी हैं ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। यह अद्भुत महाद्वीपीय अंतरराष्ट्रीय आयोजन गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ ।