पेपर खराब होने पर छात्र छत पर गया... 22वीं मंजिल से कूदकर दी जान

Feb 23, 2024 - 18:25
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पेपर खराब होने पर  छात्र छत पर गया... 22वीं मंजिल से कूदकर दी जान
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परीक्षा के तनाव की वजह से ग्रेनो वेस्ट की महागुन मायवुड सोसाइटी में रहने वाले 12वीं के छात्र अदवित मिश्रा (19) ने गुरुवार शाम 22वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली।

अंग्रेजी का पेपर खराब होने से वह तनाव में था। पिछले साल भी वह 12वीं में फेल हो गया था। अदवित माता-पिता का इकलौता बेटा था। अदवित सेंट्रल बोर्ड ऑफ सीनियर सेकेंडरी (सीबीएसई) बोर्ड का छात्र था। उसके पिता आईटी सेक्टर में काम करते हैं।

परिजन ने पुलिस को बताया कि गुरुवार को अदवित अंग्रेजी का पेपर देकर आया था। उसने यह पेपर खराब होने की बात कही थी। इसके बाद से ही वह कुछ असहज महसूस कर रहा था, हालांकि उसे समझाया गया और बाद में वह सोसाइटी की छत पर बैठ गया। करीब 20 मिनट बाद वह अचानक नीचे कूद गया।

जरा भी अंदाजा होता तो अकेला न छोड़ते घटना के बाद से परिजनों का बुरा हाल है। परिजनों ने पुलिस को बताया कि उसे समझाया गया था कि ठीक है, जो होगा देखा जाएगा, लेकिन वह तभी से बेचैन था और छत पर चला गया। अगर जरा भी इसका अंदाजा होता कि तो उसे अकेला नहीं छोड़ते। वहीं, अदवित की बड़ी बहन रोते हुए कह रही थी कि अब राखी किसके बांधेगी।

घटना के बाद पूरा परिवार बदहवास है। जांच में यही पता चल रहा है कि छात्र का अंग्रेजी का पेपर ठीक नहीं गया। वह दूसरी बार 12वीं की परीक्षा दे रहा था। पेपर खराब होने से बेहद तनाव में था। अचानक नहीं बनती आत्महत्या की स्थिति: मनोचिकित्सक जिम्स की वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. किरन जाखड़ कहती हैं कि आत्महत्या की स्थिति अचानक नहीं पैदा होती है।

इसके पीछे पूरा घटनाक्रम रहता है। 10 महीने ठीक से पढ़ाई नहीं की और अब एक महीने में सब कुछ खत्म करने का दबाव है तो छात्र तनाव में आ जाते हैं। कुछ मामलों में शिक्षकों और टीचर्स और अभिभावक 90 फीसदी से अधिक अंकों का दबाव बताते हैं, यह ठीक नहीं। परीक्षा को लेकर क्या करें, क्या न करें (मनोचिकित्सक डॉ. जाखड़ के अनुसार)

◆ परीक्षा की तैयारी पूरे साल करें और पाठ्यक्रम को महीनों में बांटें। ◆ शेड्यूल बनाकर पढ़ेंगे तो अंत में तनाव नहीं होगा और नंबर भी अच्छे आएंगे। ◆ अभिभावक की जिम्मेदारी है कि वह परीक्षा के दौरान ही नहीं शुरू से निगरानी रखें। ◆ प्रत्येक बच्चे की अलग क्षमता है और उन पर 90 फीसदी अंकों का दबाव न रखें।

◆ अगर कम नंबर आएं तो उसको भी स्वीकार करें। पढ़ाई के अलावा भी जीवन है। ◆हर साल वर्ष परीक्षा के समय ऐसी घटनाएं होती हैं ऐसे में अभिभावकों को सावधानी बरतनी चाहिए।

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