Viral Video : महिला ने ट्रैन में किया सीट के लिए झगड़ा, जानिए पूरा मामला
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हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी अपने जुनून को पूरा करना चाहते हैं। कुछ लोग अपने सांसारिक कार्यों से अधिक अपने जुनून को प्राथमिकता देते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गजरौला कस्बे में रहने वाले सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी रामसिंह बलदव ने। इसने एक रेडियो संग्रहालय बनाने के लिए दस वर्षों में सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा की है, जो बहस का विषय है।
ऐसा रेडियो संग्रहालय अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। हाईवे किनारे मोहल्ला नाईपुरा निवासी राम सिंह बौद्वा ने बताया कि वह 2016 में उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन विभाग में वरिष्ठ अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए और फिर पांच साल तक उपभोक्ता न्यायालय में सचिव के पद पर भी काम किया। काम के साथ-साथ मुझे रेडियो सुनने का बहुत शौक था। इसी शौक ने उन्हें ऐसा संग्रहालय बनाने के लिए प्रेरित किया. इसे पूरा करने के लिए उन्होंने 2010 से काम करना शुरू किया। अब संग्रहालय में 1300 से अधिक रेडियो हैं।
यह संग्रहालय सिद्धार्थ इंटर कॉलेज, नाईपुरा की दूसरी मंजिल पर बना है। राम सिंह बौद्ध का दावा है कि देश में शायद ही किसी और के पास उनसे ज्यादा रेडियो हों। सबसे पुराना रेडियो 1900 का है। यही वजह है कि अब वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पूरी प्रक्रिया शुरू कर दी है. इंग्लैंड से पत्र भेजकर म्यूजियम की वीडियो, फोटो आदि जानकारी मांगी गई है।
वर्ष 2010 में संग्रहालय बनाने के बाद राम सिंह बौड़ाव ने आसपास के जिलों के प्रमुख कांवरियों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि ये रेडियो मुरादाबाद, मेरठ, कालपी, कानपुर आदि में कबाड़ियों से संपर्क कर जुटाए गए हैं। यहां विभिन्न मॉडलों के 1300 रेडियो हैं, जो अब नजर भी नहीं आते। खास बात यह है कि राम सिंह बौधू खुद कबाड़ी वालों के पास जाते हैं और कीमत तय कर रेडियो खरीदते हैं। संग्रहालय में एक टेबल रेडियो, एक पॉकेट रेडियो और एक बच्चों का रेडियो भी है।