पोषण, आयुर्वेद और पर्यावरण का करें संरक्षण -संदीप, सहायक निदेशक सूचना

Jul 2, 2025 - 20:23
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पोषण, आयुर्वेद और पर्यावरण का करें संरक्षण -संदीप, सहायक निदेशक सूचना

पोषण, आयुर्वेद और पर्यावरण का करें संरक्षण -संदीप, सहायक निदेशक सूचना

अलीगढ़ । उत्तर प्रदेश सरकार के वार्षिक वन महोत्सव अभियान के अंतर्गत इस वर्ष भी पूरे राज्य में वृक्षारोपण का भव्य कार्यक्रम प्रारंभ हो चुका है। वन विभाग के अनुसार जिले में 39 लाख 38 हजार 600 से अधिक पौधे लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विशेष बात यह है कि इनमें 70 हजार से अधिक पौधे सहजन (वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा) के रोपित किए जाएंगे। सहायक निदेशक संदीप कुमार ने जिला प्रशासन की इस विशेष पहल की सराहना करते हुए बताया है कि सहजन पौष्टिकता, औषधीय गुणों और पर्यावरण संरक्षण तीनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सहजन एक चमत्कारी आरोग्य वृक्ष है, महिलाओं के लिए तो इसे प्रकृति का वरदान बताया गया है। सहजन: बहुउपयोगी पौधा: एडी सूचना संदीप कुमार ने बताया कि सहजन को हिन्दी में सहजना, सुजना, मुनगा और अंग्रेजी में ड्रमस्टिक ट्री कहा जाता है। यह पेड़ तेज़ी से बढ़ने वाला और सूखा प्रतिरोधक है, जो हमारे राज्य के पर्यावरणीय परिदृश्य के लिए उपयुक्त भी है। सहजन का लगभग हर भाग पत्तियाँ, फलियाँ, फूल, बीज, डाली, छाल और जड़ें पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। सहजन की हरी फलियाँ और पत्तियाँ सब्जी और पारंपरिक औषधि दोनों रूपों में उपयोगी हैं। आप इसकी सब्जी बनाकर या पत्तियों के पराठे-रोटी बनाकर इसे अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं। औषधीय गुणों का भंडार: सहायक निदेशक सूचना संदीप कुमार बताते हैं कि आयुर्वेद एवं यूनानी पाठ्यक्रम के अनुसार सहजन में 90 तरह के मल्टीविटामिन्स, 45 प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट, 35 दर्द निवारक तत्व और 17 एमिनो एसिड पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर में इम्यूनिटी मज़बूत होती है, पाचन-तंत्र बेहतर बनता है, उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है, किडनी और लिवर स्वस्थ रहते हैं तथा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम करने में भी सहायक होता है। सहजन की पत्तियों की गोलियाँ हड्डियों को मज़बूती प्रदान करती हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सहजन के पौधों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण मौजूद हैं। हालांकि, मधुमेह रोगियों को इसके सेवन पर चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है।

पोषण, आयुर्वेद और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण वन महोत्सव के दौरान सहजन के पौधों का रोपण न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा बल्कि जनमानस को पोषण और आयुर्वेदिक स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करेगा। दक्षिण भारत सहित कई देशों में सहजन का उपयोग पारंपरिक भोजन और औषधि के रूप में किया जाता रहा है। जिले में सहजन के पौधों का रोपण अभियान प्रदेश सरकार के पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। एडी इनफार्मेशन ने आमजन से अपील की है कि वे सहजन के पौधों को रोपें, उनकी देखभाल करें और अपने आहार में इसे शामिल कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।