नकारात्मकता-सकारात्मकता
नकारात्मकता-सकारात्मकता
नकारात्मकता एक ऐसा अँधा कुआँ है जिसमे जितना आप जाओगे उतना आप उसमें धँसते जाओगे क्योंकि मानव सही चिन्तन से ही जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकता है न की नकारात्मकता के चिन्तन से । स्थान हो जीवन हो मोबाइल हो या मन आदि इन सबको वक्त - वक्त पर साफ करना बहुत जरूरी है।
बेमतलब का कचरा-सामान-डाटा या गलतफहमियां भर जाती हैं तो अवरोध पैदा करती हैं आगे बढ़ने या बढ़ावाने आदि में रुकावट होती हैं।इसलिए अप्रियता नकारात्मकता के विचारों का कचरा सबसे पहले डिलीट करे और अच्छे - अच्छे विचारों को डाउनलोड करे क्योंकि समय 'सर्जन' में ही लगता है 'विसर्जन' में नहीं फिर चाहे वो कोई 'एप्लिकेशन' हो या 'रिश्ते' या जीवन ।
मन कपड़ा नही फिर भी मैला हो जाता हैं और दिल काँच नही फिर भी टूट जाता हैं क्यूँकि अप्रियता नकारात्मकता कटु यादों का पुलिंदा सबसे पहले हावी हो जाती हैं । इसलिए हमें अपने अंदर की कटुता को दर्द को अच्छी यादों में आशा और विश्वास की सकारात्मकता से समाप्त करना है ताकी लाइफ कभी हेंग ना हो ख़ुशियों की राह पर सरपट दौड़ती रहे।।
एक ही दिन में बिगडने वाले दूध में कभी नहीं बिगडने वाला घी छिपा है| इसी तरह आपका मन भी अथाह शक्तियों सै भरा है |उसमें सही से कुछ सकारात्मक विचार डालो, नकारात्मकता को पास ही न आने दें फिर अपने आपको मथो अर्थात चिंतन करो अपने जीवन को और तपाओ और तब देखना आप कभी हार नहीं मानने वाले सदाबहार व्यक्ति बन जाओगे |
प्रदीप छाजेड़