भिंड में पुलिसिया तानाशाही: माफियाओं पर नरमी, पत्रकारों पर सख्ती! SP पर मीडिया को दबाने का आरोप

भिंड में पुलिसिया तानाशाही: माफियाओं पर नरमी, पत्रकारों पर सख्ती! SP पर मीडिया को दबाने का आरोप भिंड, मध्यप्रदेश - जिले में कानून व्यवस्था की हालत बिगड़ती जा रही है, लेकिन पुलिस अधीक्षक (SP) माफियाओं पर शिकंजा कसने की बजाय उन पर मेहरबान नजर आ रहे हैं। वहीं, अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए उन्होंने अब मीडिया को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
हाल ही में सामने आई घटना में SP पर आरोप है कि उन्होंने जिले के कुछ पत्रकारों को थाने बुलाकर बदसलूकी की और मारपीट भी की। **माफियाओं को खुली छूट, पत्रकारों पर गाज** भिंड में अवैध खनन, शराब माफिया और अन्य आपराधिक गतिविधियाँ खुलेआम फल-फूल रही हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रशासन इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा। इसके उलट, जो पत्रकार इन मुद्दों को उजागर कर रहे हैं, उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की जा रही है। **SP की नाकामी छुपाने की कोशिश?** विशेषज्ञों का मानना है कि SP की कार्यप्रणाली पर उठते सवालों और लगातार बढ़ते अपराधों की रिपोर्टिंग से परेशान होकर ही यह कदम उठाया गया। पत्रकारों के अनुसार, जब उन्होंने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया।
**मीडिया जगत में आक्रोश** इस घटना से पत्रकारों में भारी आक्रोश है। मध्यप्रदेश पत्रकार संघ और अन्य मीडिया संगठनों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए राज्य सरकार से SP को तत्काल निलंबित करने की मांग की है। आने वाले दिनों में जिले से लेकर राजधानी तक विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा बनाई जा रही है। **लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर चोट** यह मामला सिर्फ पत्रकारों पर अत्याचार का नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर चोट का प्रतीक बन चुका है। जब सच बोलने वालों को दबाया जाने लगे, तो यह संकेत है कि सत्ता जवाबदेही से डरने लगी है।