नोयडा के वृद्ध आश्रम में जानवरों जैसा व्यवहार

नोयडा के वृद्ध आश्रम में जानवरों जैसा व्यवहार
संजय सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर-55 में स्थित आनंद निकेतन वृद्ध सेवा आश्रम, जो जन कल्याण ट्रस्ट द्वारा संचालित है और सरकार से अच्छा खास अनुदान भी मिलता है,वहां से अब वृद्धजनों के साथ हैवानियत की चौंकाने वाली घटना सामने आई । यह आश्रम, जो बुजुर्गों की देखभाल और सम्मान का वादा करता था, अब अमानवीय व्यवहार और उपेक्षा के आरोपों से घिरा है। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला को मिली गुप्त सूचना के आधार पर आश्रम पर छापेमारी की गई। जो दृश्य सामने आए, वे किसी के भी दिल को झकझोर देने वाले थे।छापेमारी के दौरान आश्रम में रहने वाले 39 बुजुर्गों को दयनीय हालत में पाया गया। कुछ बुजुर्गों के हाथ-पैर बंधे हुए थे, तो कुछ को तहखाने जैसे अंधेरे और गंदे कमरों में बंद रखा गया था। एक बुजुर्ग महिला को तो कपड़े से बांधकर रखा गया था, जिसके कारण उसकी शारीरिक स्थिति और भी खराब हो चुकी थी। कई बुजुर्ग बीमार थे, लेकिन उनकी देखभाल के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। खाने-पीने की सुविधाएँ न के बराबर थीं, और स्वच्छता का स्तर इतना खराब था कि वहाँ रहना किसी सजा से कम नहीं था। यह आश्रम, जो बाहर से बुजुर्गों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल प्रतीत होता था, अंदर से एक भयावह सच्चाई को छिपाए हुए था। यहाँ रहने वाले अधिकांश बुजुर्ग समाज के उन तबकों से थे, जिन्हें उनके परिवारों ने छोड़ दिया था। वे इस आश्रम में प्यार, देखभाल और सम्मान की उम्मीद लेकर आए थे, लेकिन बदले में उन्हें उपेक्षा और क्रूरता मिली। छापेमारी के दौरान पाया गया कि आश्रम का प्रबंधन न केवल लापरवाही बरत रहा था, बल्कि बुजुर्गों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार कर रहा था।
राज्य महिला आयोग, पुलिस और समाज कल्याण विभाग की संयुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई की। सभी 39 बुजुर्गों को रेस्क्यू कर अन्य सुरक्षित आश्रमों में स्थानांतरित किया गया। आनंद निकेतन वृद्ध सेवा आश्रम को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। इस घटना ने न केवल नोएडा, बल्कि पूरे देश में हड़कंप मचा दिया। लोग यह सवाल उठाने लगे कि क्या अन्य निजी आश्रमों में भी ऐसी अमानवीयता हो रही है।यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है। बुजुर्ग, जो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं, उनकी देखभाल और सम्मान हमारी जिम्मेदारी है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जन कल्याण ट्रस्ट जैसे संगठनों पर भरोसा करने से पहले उनकी कार्यप्रणाली की गहन जाँच जरूरी नहीं है। इस घटना ने यह भी उजागर किया कि सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर ऐसी संस्थाओं पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है,लेकिन दुख की बात यह भी है कि अभी तक वृद्ध आश्रम चला रहे किसी कर्मचारी के खिलाफ गिरफ्तारी जैसी कोई कार्रवाई नहीं हुई है,जबकि ऐसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार करके जेल के पीछे डाल देना चाहिए था।