बाबूगंज मार्केट में 'सोंगरा वाले': आड़ी-तिरछी बाइकें बन रही जाम का कारण

बाबूगंज मार्केट में 'सोंगरा वाले': आड़ी-तिरछी बाइकें बन रही जाम का कारण
एटा। बाबूगंज — का ऐतिहासिक और व्यस्ततम बाजारों में से एक, बाबूगंज मार्केट, यहां पर सबसे ज्यादा लोग खरीददारी करने आते हैं । इन दिनों ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। इस अव्यवस्था का एक प्रमुख कारण बन चुके हैं स्थानीय दुकान ‘सोंगरा वाले’, जिनकी दुकान के सामने आड़ी-तिरछी खड़ी बाइकें आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन चुकी हैं। यह समस्या न सिर्फ स्थानीय दुकानदारों, बल्कि राहगीरों, ग्राहक और ट्रैफिक पुलिस के लिए भी सिरदर्द बन गई है।
### दुकानदारों की मनमानी
बाबूगंज मार्केट में हर दिन हजारों की संख्या में लोग खरीदारी के लिए आते हैं। यह बाजार कपड़े, जूते, ब्यूटीपार्लर, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोजमर्रा की चीजों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में यातायात का सुचारु संचालन अत्यंत आवश्यक है। लेकिन ‘सोंगरा वाले’ दुकान के बाहर अक्सर बाइकें इस तरह खड़ी की जाती हैं कि बाकी सड़क पर चलना तक मुश्किल हो जाता है। यह बाइकें फुटपाथ पर चढ़ी होती हैं, कई बार सड़क के बीचोंबीच तक खड़ी कर दी जाती हैं, जिससे आवागमन बाधित होता है। स्थानीय दुकानदारों का आरोप है कि ‘सोंगरा वाले’ खुद ही ग्राहकों को बिना किसी ट्रैफिक नियम की परवाह किए अपनी बाइक दुकान के ठीक सामने खड़ी करने की इजाजत देते हैं। कुछ लोग तो दुकान के कर्मचारियों से बाइक खड़ी करवाते हैं, जिससे यह एक नियमित व्यवस्था बन चुकी है।
### आम जनता हो रही परेशान
बाजार में आने वाले ग्राहक बताते हैं कि ‘सोंगरा वाले’ की दुकान के सामने सबसे अधिक भीड़ और जाम का नजारा देखने को मिलता है। पैदल चलने वालों को जगह नहीं मिलती, और कई बार छोटे वाहन भी फंस जाते हैं। फड़ वाले पूरी तरह से जाम लगवाने में दुकानदारों का सहयोग करते हैं। राहगीरों को जबरन दुकान पर चढ़ने को मजबूर करते हैं? जाम की स्थिति होने पर महिलाओं को इधर उधर के मनचलों के श्लोक सुनने पड़ते हैं जिससे लड़ाई झगड़े की नौबत आ जाती है लेकिन महिलाये शर्मसार होते हुए यहाँ से निकलना पड़ता है। इस पर कोई ध्यान नहीं देता है। आसपास के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया हैं, *“हर दिन मार्केट से होकर गुजरना मुश्किल होता है। बाइकें सड़क के बीच में खड़ी होती हैं, जिससे ट्रैफिक रुक जाता है। कई बार बाईक वालों से बहस हो जाती है, और कभी-कभी हल्की झड़पें भी हो जाती हैं।”* दुकानदार भी बाइकें खड़ी करवाने में भूमिका निभाते हैं। ग्राहकों को परेशान करते हैं।
★ ट्रैफिक पुलिस की अनदेखी?
इस समस्या की शिकायत कई बार स्थानीय ट्रैफिक पुलिस से भी की गई है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक सामने नहीं आई है। सुबह 11 बजे से शाम 9 बजे तक का समय बाजार में सबसे व्यस्त रहता है, पर उस दौरान ट्रैफिक पुलिस की उपस्थिति न्यूनतम रहती है। ट्रैफिक/थाना पुलिस केवल वार्निग देकर चली जाती है कि सभी लोग अपना अतिक्रमण हटाले लेकिन दुकानदारों के कानों पर इसका कोई असर नहीं होता है,पुलिस वाले बताते हैं *“हम कई बार चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन दुकानदार और ग्राहक मानते नहीं। बिना नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन के सहयोग के यह समस्या नहीं सुलझ सकती।”* स्थानीय समाजसेवियों और व्यापार मंडल के सदस्यों का मानना है कि यदि दुकानदार खुद जिम्मेदारी लें और बाइक पार्किंग के लिए निर्धारित स्थान निर्धारित करें, तो समस्या बहुत हद तक हल हो सकती है। लेकिन वे सभी व्यापार मंडल के सदस्य इसीलिए बने है कि वे प्रशासन को भी आंखे दिखा सके? नगर निगम की मदद से एक छोटे पैमाने की पार्किंग व्यवस्था की जा सकती है। साथ ही, अगर ‘सोंगरा वाले’ जैसे प्रतिष्ठानों पर विशेष ध्यान देकर उन्हें नियमों के पालन के लिए बाध्य किया जाए, तो बाजार की यातायात स्थिति सुधर सकती है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस समस्या की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। इससे अन्य दुकानदार भी यही रवैया अपना सकते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। बाबूगंज मार्केट का महत्व सिर्फ व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि की सांस्कृतिक विरासत से भी जुड़ा है। इस तरह की ट्रैफिक अव्यवस्था न केवल आम जनता की परेशानियों को बढ़ा रही है, बल्कि बाजार की प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर रही है। 'सोंगरा वाले' जैसे दुकानदारों को चाहिए कि वे अपने ग्राहकों को जागरूक करें और नियमों का पालन सुनिश्चित करें। वहीं, प्रशासन और ट्रैफिक विभाग को मिलकर सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि बाबूगंज बाजार फिर से सुगम, सुरक्षित और ग्राहकों के लिए सुविधाजनक बन सके।