अपने देश इंडिया का असली नाम है भारतवर्ष इसमें क्या है 'वर्ष' का मतलब

इंडिया का असली नाम भारतवर्ष है। प्राचीन काल में इसे इसी नाम से जानते थे। सिकंदर जब यहां आया तो उसने हमारे देश को इंडिका कहा। अंग्रेजों ने इसे इंडिया कहा। फारस की ओर से आने वालों ने इसे हिन्दुस्तान कहा। मुगलों ने भी इसे हिंदुस्तान का नाम दिया। हम सभी अपने देश को भारत के नाम से बुलाते हैं। अक्सर इसे भारतवर्ष भी कहा जाता है। क्या आपको मालूम है कि भारत के आगे वर्ष क्यों लगाया जाता है। स्वतंत्रता के बाद, 1950 में भारत के संविधान में देश का आधिकारिक नाम भारत और India दोनों को मान्यता दी गई। संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है: “भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा।" इस प्रकार, “भारत” नाम को आधिकारिक रूप से अपनाया गया और “भारतवर्ष” का उपयोग धीरे-धीरे औपचारिक और साहित्यिक बोलचाल तक सीमित हो गया।
लेकिन देश का असल नाम भारतवर्ष ही है और इसमें वर्ष का क्या मतलब है, ये आप समझ ही गए होंगे। भारतवर्ष देश के बारे में क्या बताता है। भारतवर्ष ना केवल हमारे देश की भौगोलिक सरहदों के बारे में बताता है बल्कि ये हमारी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को भी समेटे हुए है। यह नाम भारतीय सभ्यता की गहरी जड़ों और इसके गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। लेकिन “भारतवर्ष” में "वर्ष” का क्या अर्थ है ? और समय के साथ यह नाम केवल "भारत" क्यों रह गया ? भारतवर्ष का नाम कैसे आया भारतवर्ष” शब्द दो भागों से मिलकर बना है: भारत और वर्ष । "भारत" शब्द का संबंध प्राचीन भारतीय ग्रंथों और पौराणिक कथाओं से है। इसकी उत्पत्ति के लिए दो प्रमुख बातें कही जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, “भारत” नाम का संबंध चक्रवर्ती सम्राट भरत से है, जो हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे। यह कथा महाकवि कालिदास के नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम् और महाभारत में कही गई है।
भरत एक महान शासक थे, जिन्होंने विशाल भू-भाग पर शासन किया। उनके नाम पर इस क्षेत्र को “भारतवर्ष” कहा गया। जैन परंपरा में "भारत" नाम का संबंध प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ पुत्र भरत से है। जैन ग्रंथों के अनुसार, ऋषभनाथ ने अपने पुत्र भरत को इस क्षेत्र का शासक बनाया और उनके नाम पर इसे “भारतवर्ष” कहा गया। आदिपुराण जैसे जैन ग्रंथों में इसका जिक्र है। वर्ष का मतलब क्या है संस्कृत में “वर्ष” शब्द का अर्थ है “ भाग” या “विभाग”। प्राचीन भारतीय भूगोल में, पृथ्वी को कई "वर्षों” या क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, जिनमें से एक जंबूद्वीप का हिस्सा था। जंबूद्वीप को नौ "वर्षों" में बांटा गया था, और इनमें एक वर्ष यानि एक भाग को भारतवर्ष कहा गया। “वर्ष" का अर्थ भौगोलिक क्षेत्र या खंड से है। प्राचीन ग्रंथों जैसे पुराणों (विशेष रूप से विष्णु पुराण और भागवत पुराण) में भारतवर्ष को जंबूद्वीप के दक्षिणी भाग के रूप में बताया गया है। इस प्रकार, भारतवर्ष का शाब्दिक अर्थ है “भरत के शासन वाला क्षेत्र" या "भरत का देश "। यह नाम न केवल एक भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाता है, बल्कि उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी जाहिर करता है। ग्रंथ भारतवर्ष के बारे में क्या कहते हैं।
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भारतवर्ष का उल्लेख एक पवित्र और समृद्ध क्षेत्र के रूप में किया गया है। विष्णु पुराण में भारतवर्ष को कर्मभूमि कहा गया है, जहां व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर मुक्ति प्राप्त कर सकता है। यह क्षेत्र न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह सभ्यता, धर्म, दर्शन और संस्कृति का केंद्र भी था। महाभारत में भारतवर्ष का उल्लेख एक विशाल और एकीकृत क्षेत्र के रूप में किया गया है, जिसमें हिमालय से लेकर दक्षिणी समुद्र तक का क्षेत्र शामिल था। पुराणों में भारतवर्ष को जंबूद्वीप के नौ खंडों में एक के रूप में बताया गया है। इसमें गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियां और हिमालय, विंध्य जैसे पर्वत शामिल हैं। मनुस्मृति में भारतवर्ष को आर्यावर्त के रूप में भी बताया गया है। क्या थीं भारतवर्ष की भौगोलिक सीमाएं प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, भारतवर्ष की सीमाएं हिमालय से लेकर दक्षिणी सागर तक और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से लेकर पश्चिम में अरब सागर तक थीं।
समय के साथ “भारतवर्ष” का नाम संक्षिप्त होकर केवल "भारत" रह गया। भारत का इतिहास विभिन्न राजवंशों, साम्राज्यों और विदेशी शासनों से भरा पड़ा है। मौर्य, गुप्त, मध्यकालीन राजपूत, मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान इस क्षेत्र को विभिन्न नामों से जाना गया। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को India (इंडिया) के नाम से संबोधित किया, जो ग्रीक और लैटिन शब्द Indus (सिंधु नदी) से लिया गया था।
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