कानपुर स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गूंज: डीएम की सख्ती के बाद सीएमओ पर गहराया संकट

कानपुर स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गूंज: डीएम की सख्ती के बाद सीएमओ पर गहराया संकट
कानपुर, 15 जून* – जिले के स्वास्थ्य महकमे में मचे घमासान ने एक बार फिर सरकारी कार्यप्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही की पोल खोल दी है। कानपुर के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त नेमी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उनके तत्काल तबादले और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति प्रमुख सचिव को भेजी है। डीएम द्वारा भेजे गए पत्रों में स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़े, लापरवाही और मनमाने तबादलों की बात कही गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत रिक्त पदों के विज्ञापन सार्वजनिक न करने से लेकर चिकित्सकों के बार-बार किए जा रहे तबादलों तक, भ्रष्टाचार के कई संकेत इन आरोपों में छिपे हैं।
10 दिन में 9 तबादले: तबादला उद्योग का संकेत?** डीएम के मुताबिक, 10 दिनों में 9 बार डॉक्टरों के तबादले के आदेश जारी करना न केवल नियमों की अनदेखी है, बल्कि इससे "तबादला उद्योग" की बू आ रही है। वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी डॉ. वंदना सिंह को हटाकर एक गैर-वित्त कर्मी को जिम्मेदारी देना भी संदिग्ध निर्णयों की फेहरिस्त में है। **औचक निरीक्षण में खुली पोल** जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद से डीएम लगातार सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। निरीक्षणों में मिलीं खामियों को लेकर दिए गए निर्देशों पर भी सीएमओ ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। मरीजों के रिकॉर्ड में फर्जी एंट्री, लापरवाह डॉक्टरों पर कार्रवाई न होना, प्रशासनिक ढांचे की शिथिलता — इन सभी को डीएम ने "गंभीर लापरवाही" करार दिया है। **ऑडियो क्लिप्स ने बढ़ाया विवाद** इस बीच वायरल हुईं तीन ऑडियो क्लिप्स ने विवाद को और हवा दी है। इनमें कथित तौर पर मीटिंग, वसूली और महिला कर्मचारियों की बैठक में ऊब जैसे मसलों पर चर्चा हो रही है। हालांकि इनकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सरकारी महकमे में इनकी चर्चा ज़ोरों पर है।
क्या बोले अधिकारी** **डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह** का कहना है, *"स्वास्थ्य विभाग में सुधार की लगातार कोशिशें हो रही हैं, लेकिन सीएमओ की कार्यशैली में लापरवाही स्पष्ट है। विभागीय कार्रवाई जरूरी है।"* वहीं **सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी** ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, *"डीएम के हर निर्देश का पालन हुआ है। पहले भेजे गए पत्र का उत्तर भी दे दिया गया था। लगाए गए आरोप निराधार हैं।"*
**निष्कर्ष:** कानपुर स्वास्थ्य विभाग में चल रही यह तनातनी न केवल प्रशासनिक असंतुलन को दर्शाती है, बल्कि इस बात की ओर भी इशारा करती है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की अब पहले से कहीं अधिक जरूरत है। अगर आरोप सही हैं, तो यह भ्रष्टाचार के उस तंत्र का हिस्सा हो सकता है जो सीधे-सीधे जनता की सेहत और हक से जुड़ा है।