IPS आशीष गुप्ता का ऐच्छिक सेवानिवृत्ति आवेदन: यूपी पुलिस में एक नई दिशा की ओर कदम
IPS आशीष गुप्ता का ऐच्छिक सेवानिवृत्ति आवेदन: यूपी पुलिस में एक नई दिशा की ओर कदम

आशीष गुप्ता का ऐच्छिक सेवानिवृत्ति आवेदन: यूपी पुलिस में एक नई दिशा की ओर कदम लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के एक प्रतिष्ठित आईपीएस अधिकारी, आशीष गुप्ता, जिन्होंने अपनी सेवाओं से जनता के बीच विश्वास और सम्मान अर्जित किया, ने अब ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन किया है। उनका यह कदम यूपी पुलिस की कार्यशैली और व्यवहार से असंतुष्ट होने के बाद आया है, जो कई सवाल खड़े करता है।
आशीष गुप्ता का विदाई समारोह 10 जून को पुलिस मुख्यालय के अमर शहीद भगत सिंह लाउंज में आयोजित किया जाएगा। 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष गुप्ता ने अपने आवेदन में स्पष्ट किया कि वह किसी भी प्रकार के विवाद में नहीं फंसे हैं, बल्कि यह एक व्यक्तिगत निर्णय है, जो उनकी अंदरूनी असंतोष और कार्यशैली से संबंधित है। उनका कार्यकाल अभी दो वर्षों के लिए शेष था, लेकिन इस निर्णय ने उन्हें अब सेवानिवृत्ति की ओर अग्रसर किया।
★ कर्मचारी कल्याण और शासन के खिलाफ अनौपचारिक संदेश** नैट ग्रिड के सीईओ रहे आशीष गुप्ता की कार्यशैली की कुशलता को देखते हुए उन्हें 2022 में अचानक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस उत्तर प्रदेश भेजा गया था। लेकिन उत्तर प्रदेश लौटने के बाद उन्हें छह महीने तक प्रतीक्षारत रखा गया, जिसका गहरा असर उनके मानसिक स्थिति पर पड़ा। जुलाई 2023 में उन्हें डीजी रूल्स ऐंड मैनुअल्स के पद पर तैनात किया गया, लेकिन तब भी उन्होंने महसूस किया कि प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। यह घटनाक्रम कई सवाल खड़ा करता है। क्या यह संकेत है कि यूपी पुलिस की कार्यशैली में बदलाव की आवश्यकता है? क्या अधिकारी इस तरह की स्थिति से जूझ रहे हैं, जो उन्हें इस कड़े निर्णय तक पहुंचने के लिए मजबूर कर रहे हैं?
★ नई शुरुआत की ओर कदम** अपने कार्यकाल में आशीष गुप्ता ने अनेक सुधारात्मक कदम उठाए थे, लेकिन व्यक्तिगत असंतोष और प्रशासनिक असफलताओं के कारण उन्होंने यह निर्णय लिया। उनका यह कदम न केवल एक अधिकारी के लिए, बल्कि पूरे विभाग के लिए विचारणीय है। आशीष गुप्ता का ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेना उस परिवर्तनीय दौर की ओर इशारा करता है, जिसमें यूपी पुलिस के अधिकारियों को अपनी कार्यशैली में बदलाव और सुधार की आवश्यकता महसूस हो रही है। यह घटना न केवल यूपी पुलिस, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे के लिए एक संकेत हो सकता है कि समय आ गया है कि वो भी अपने कार्य करने के तरीकों पर पुनर्विचार करें। अब देखना यह होगा कि आशीष गुप्ता के इस कदम के बाद क्या उत्तर प्रदेश पुलिस में कुछ सकारात्मक बदलाव आएंगे और क्या अन्य अधिकारी भी अपनी असंतोष को खुलकर सामने लाने का साहस दिखाएंगे।
★ अंतिम विचार:** आशीष गुप्ता का यह कदम प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। उनकी विदाई के बाद यूपी पुलिस के लिए एक नई शुरुआत की उम्मीद की जा रही है, ताकि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करने की स्वतंत्रता मिले।