शादी होते ही दूल्हे से बोली- पत्नी नहीं मैं तुम्हारी बहन बनकर रहूंगी
शादी होते ही दूल्हे से बोली- पत्नी नहीं मैं तुम्हारी बहन बनकर रहूंगी

Love story : शादी की रौनक और खुशियों के बीच सागर जिले में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने न केवल दोनों परिवारों को हैरान कर दिया, बल्कि सामाजिक दबावों पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। शादी के कुछ घंटे बाद ही दुल्हन ने अपने पति से कहा, 'मैं इस रिश्ते से खुश नहीं हूं, यह शादी मैंने पारिवारिक दबाव में की है, और अगर तुम मुझे घर ले जाओगे, तो हमें भाई-बहन की तरह रहना होगा।
मामला सागर जिले के बड़ा बाजार निवासी युवक से जुड़ा है, जिसकी शादी ललितपुर की एक युवती से बड़े धूमधाम से कराई गई थी। शादी भोपाल रोड स्थित एक मैरिज गार्डन में सम्पन्न हुई, दूल्हे की इच्छा के अनुसार, दुल्हन के पूरे परिवार ने सागर आकर विवाह समारोह में भाग लिया। सभी रस्में पारंपरिक ढंग से संपन्न हुईं और शादी विधिवत पूरी हो गई। शादी के कुछ ही घंटे बाद, जब दूल्हा अपनी नवविवाहिता पत्नी से बात कर रहा था, तभी उसने चौंकाने वाला खुलासा कर दिया। दुल्हन ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'मैं इस शादी से खुश नहीं हूं। मैंने इसे अपने परिवार के दबाव में आकर स्वीकार किया है। अगर तुम मुझे अपने घर ले जाते हो, तो हमें भाई-बहन की तरह ही रहना होगा।' यह सुनकर दूल्हा और उसके परिवार वाले अवाक रह गए। दुल्हन के परिवार के लिए भी यह खुलासा अप्रत्याशित और असहज था।
घटना के बाद दोनों परिवारों के बीच लंबी बातचीत हुई, और अब यह तय किया जा रहा है कि आगे इस विवाह को लेकर क्या निर्णय लिया जाए। कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, दुल्हन के बयान को स्वतंत्र इच्छा के रूप में लिया जा रहा है, दोनों पक्ष शांति से समाधान निकालने की कोशिश में लगे हैं। यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि जब रिश्तों में सामाजिक दबाव भावना पर हावी हो जाता है, तो न केवल दो व्यक्तियों का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे परिवारों में मानसिक असमंजस पैदा हो जाता है। सवाल सिर्फ इस शादी का नहीं है। सवाल यह है कि क्या हम आज भी युवाओं की व्यक्तिगत पसंद को नजरअंदाज कर पारिवारिक सम्मान को प्राथमिकता दे रहे हैं? सागर जिले में एक विवाह समारोह के कुछ ही घंटे बाद, दूल्हा और दुल्हन के बीच हुई एक बातचीत ने पूरी शादी को पलट कर रख दिया। कार में बैठकर विदाई के बाद, दुल्हन ने अपने पति को जो बात बताई, वह न सिर्फ चौंकाने वाली थी, बल्कि रिश्तों और सामाजिक व्यवस्था पर भी सवाल उठा गई। दूल्हा अपनी नवविवाहिता पत्नी को लेकर मैरिज गार्डन से निकला ही था, कुछ किलोमीटर का सफर तय किया था कि दुल्हन ने गंभीर स्वर में कहा,'मैं यह शादी नहीं चाहती थी।
मैंने सिर्फ परिवार के दबाव में आकर माला पहनाई और शपथ ली। लेकिन अगर आप मुझे अपने घर ले जाते हैं, तो मैं आपकी पत्नी नहीं, बल्कि आपकी बहन की तरह रहूंगी। यह सुनकर दूल्हा सन्न रह गया। उसने एक पल की भी देर नहीं की और कार का रुख फिर से मैरिज गार्डन की ओर मोड़ दिया, जहां दुल्हन के परिवार वाले अब भी मौजूद थे। मैरिज गार्डन पहुंचकर दूल्हे ने दुल्हन के माता-पिता और रिश्तेदारों को सारी बात बताई। घटना से स्तब्ध दोनों पक्षों ने आपस में शांतिपूर्वक बैठकर चर्चा की। इस बातचीत के बाद आपसी सहमति से यह निर्णय लिया गया कि इस रिश्ते को यहीं समाप्त कर दिया जाए। कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई और दोनों पक्षों ने सम्मानजनक ढंग से अलग होने का फैसला लिया। यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि विवाह एक सामाजिक नहीं, व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए। जब मन की स्वीकृति न हो, तो संस्कार केवल औपचारिकता बनकर रह जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक, दुल्हन का दिल किसी और के लिए धड़कता था, लेकिन उसका परिवार इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहा था। शादी के दिन उसका व्यवहार असामान्य था-उसने अपने हाथों में मेहंदी तक नहीं लगाई, जिससे कई मेहमान हैरान रह गए।
शादी समारोह के दौरान दुल्हन ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। काफी समझाने और रिश्तेदारों के दबाव के बाद ही वह मंडप तक पहुंची और विवाह की रस्में पूरी कीं। दूसरी ओर, दूल्हे के दोस्तों ने उसे पहले ही इस स्थिति को लेकर आगाह कर दिया था। लेकिन सामाजिक दबाव, परिवार की प्रतिष्ठा और मेहमानों के सामने शर्मिंदगी के डर ने उसे शादी के फैसले से पीछे नहीं हटने दिया। यह शादी सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि भावनाओं, परिवारिक मान्यताओं और सामाजिक दबाव का एक जटिल संगम बन गई। शादी की रस्मों के बाद, जब दूल्हा-दुल्हन कार में सवार होकर लौट रहे थे, तभी दुल्हन की बातों से एक असहज सच्चाई सामने आई कि वह यह विवाह नहीं चाहती थी। दूल्हे को एहसास हुआ कि यह रिश्ता आगे चलाना दोनों के लिए एक बड़ी गलती साबित हो सकती है। दुल्हन के परिवार ने बाद में स्थिति को संभालते हुए माफी मांगी और शादी से जुड़े सभी तोहफे, उपहार और खर्च को खुद से वहन करने की पेशकश की। मगर दूल्हे के परिवार ने किसी भी तरह की वित्तीय भरपाई लेने से इनकार कर दिया।
उन्होंने केवल इतना सुनिश्चित किया कि भविष्य में किसी प्रकार का कानूनी विवाद या सामाजिक तनाव न पैदा हो। दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से एक शांतिपूर्ण समाधान की राह अपनाई। लिखित सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए और विवाह के शांतिपूर्ण समापन की पुष्टि के लिए एक वीडियो रिकॉर्डिंग भी तैयार की गई।