GST कलेक्शन में तेजी: पांचवीं बार 1.60 लाख करोड़ के पार, जुलाई में मिले 1.65 लाख करोड़ रुपये

टैक्स कलेक्शन के मामले में सरकार को बड़ा फायदा हुआ है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन जुलाई, 2023 में 11 प्रतिशत बढ़ गया है।

Aug 2, 2023 - 15:19
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GST कलेक्शन में तेजी: पांचवीं बार 1.60 लाख करोड़ के पार, जुलाई में मिले 1.65 लाख करोड़ रुपये
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर है। टैक्स कलेक्शन के मामले में सरकार को बड़ा फायदा हुआ है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन जुलाई, 2023 में 11 प्रतिशत बढ़ गया है। जुलाई में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.65 लाख करोड़ रुपये का रहा। यह पांचवीं बार है, जब जीएसटी कलेक्शन 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। वित्त मंत्रालय के अनुसार जुलाई में कुल 1,65,105 करोड़ रुपये के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई, जिसमें सीजीएसटी 29,773 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 37,623 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 85,930 करोड़ रुपये, 11,779 करोड़ रुपए की उपकर राशि शामिल है। जुलाई 2023 महीने का राजस्व पिछले साल के इसी महीने में प्राप्त जीएसटी राजस्व से 11 प्रतिशत अधिक है।

5 महीने के हाई 8.2 प्रतिशत पर पहुंचा कोर सेक्टर उत्पादन
मोदी राज में भारतीय अर्थव्यस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। जून 2023 में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 8.2 प्रतिशत बढ़ा है। यह पिछले पांच माह में सबसे अधिक है। इसके पिछले महीने मई 2023 में ग्रोथ रेट 4.3 प्रतिशत थी। कोर सेक्टर में ग्रोथ जून 2022 के मुकाबले जून 2023 में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल जून में पिछले साल की तुलना में कोयला का उत्पादन में 9.8 प्रतिशत, बिजली उत्पादन में 3.3 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 9.4 प्रतिशत, इस्पात में 21.9 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 4.6 प्रतिशत,फर्टिलाइजर उत्पादन में 3.4 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस उत्पादन में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जून में सबसे बड़ी छलांग 21.9 प्रतिशत के साथ स्टील सेक्टर में देखने को मिली है।

FPI ने जुलाई में किया 45,365 करोड़ रुपये का निवेश
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से देश में कारोबारी माहौल अच्छा हुआ है और पूंजी बाजार में देश के ही नहीं, विदेश के निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। मंदी की आहट के बीच भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI- एफपीआई) भारतीय शेयर बाजार में दिल खोल कर पैसा लगा रहे हैं। जुलाई 2023 में अबतक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 45,365 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में पैसा लगाना सुरक्षित मान रहे हैं। यह निवेश इस बात का संकेत है कि FPI देश की मजबूत आर्थिक स्थिति, कंपनियों के बेहतर नतीजों और चीन की अर्थव्यवस्था के सामनेष चुनौतियों के बीच भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा रहे हैं। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि एफपीआई का शेयरों में निवेश का आंकड़ा 40,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। एफपीआई ने मई में शेयरों में 43,838 करोड़ रुपये और जून में 47,148 करोड़ रुपये का निवेश किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अबतक शेयर बाजारों में एफपीआई का निवेश 1.36 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

रिकॉर्ड स्तर पर सेंसेक्स और निफ्टी
 19 जुलाई, 2023 भारतीय शेयर बाजार के लिए ऐतिहासिक दिन रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई लेवल पर बंद हुआ। शेयर बाजार में शुरुआत के साथ ही जोरदार तेजी देखने को मिली और कारोबार के दौरान सेंसेक्स 67,171 के लेवल पर पहुंच गया और बाद में 302 अंक बढ़कर 67,097.44 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी भी 83 अंक से ज्यादा की छलांग लगा अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 19,833 पर बंद हुआ।

अगर शेयर बाजार के रिकॉर्ड पर नजर डाला जाए तो इसके पहले सेंसेक्स 14 जुलाई को 66 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 66060.90 पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 3 जुलाई को 65 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 65, 205.05 पर बंद हुआ था और 30 जून, 2023 को 64 हजार के पार पहुंच 64,718.56 के लेवल पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

इसके पहले सेंसेक्स ने 18 अगस्त 2021 को 56,000 और 13 अगस्त, 2021 को 55,000 अंक के स्तर के पार किया। सेंसेक्स इसी महीने 4 अगस्त को पहली बार 54000 के आंकड़े को पार किया। यह 22 जून को 53,000 के लेवल को पार कर नए शिखर पर पहुंचा था। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार के बीएसई सेंसेक्स ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।

भारत बना दुनिया का 5वां सबसे बड़ा शेयर बाजार
29 मई का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी अहम रहा। शेयर मार्केट में जारी तेजी के चलते भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर दुनिया का ‘पांचवां सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट’ बन गया है। अडाणी ग्रुप का मार्केट कैप ऊपर जाने और भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ने से भारत ने 5वीं रैंकिंग हासिल कर ली है। इसके साथ ही भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप 3.3 ट्रिलियन डॉलर (272 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया है। अमेरिका 44.54 लाख करोड़ डॉलर के साथ पहले स्थान पर, जबकि चीन 10.26 लाख करोड़ डॉलर के साथ दूसरे, जापान 5.68 लाख करोड़ डॉलर के साथ तीसरे और हांगकांग 5.14 लाख करोड़ डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है। फ्रांस 3.24 लाख करोड़ डॉलर के साथ एक पायदान फिसल कर छठे स्थान पर पहुंच गया है।

8 साल के निचले स्तर -4.12% पर थोक महंगाई
महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों को एक बार फिर बड़ी राहत मिली है। खुदरा महंगाई के बाद थोक महंगाई में भी गिरावट आई है। थोक कीमतों पर आधारित महंगाई (WPI) जून में घटकर 8 साल के निचले स्तर -4.12 प्रतिशत पर आ गई। इससे पहले अक्तूबर 2015 में यह -3.81 प्रतिशत पर थी। यह लगातार तीसरा महीना है जब थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर शून्य से नीचे है। अप्रैल में यह -0.92 प्रतिशत और मई में -3.48 प्रतिशत थी। खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों की कीमतें कम होने से थोक मुद्रास्फीति की दर में 4.12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि जून में थोक महंगाई की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, खाद्य उत्पादों, बुनियादी धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और वस्त्रों की कीमतें कम होने के कारण है।

खुदरा महंगाई दर दो साल के निचले स्तर पर
मई,2023 में खुदरा महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज हुई है। यह घटकर 4.25 प्रतिशत रही, जो 2 साल का न्यूनतम स्तर है। इसके पहले अप्रैल, 2023 में खुदरा महंगाई दर 4.7 प्रतिशत पर थी। खाने-पीने के सामान के दामों में गिरावट, बिजली और ईंधन की महंगाई घटने के कारण यह गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान सब्जियों के दाम में भी नरमी देखने को मिली है।

आम आदमी को राहत,अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर कम होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। इससे तेल, दाल और आम जरूरत की चीजें सस्ती होने लगती हैं। जो आम जनता के जेब पर पड़ रहे बोझ को कम करती है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। महंगाई से मिली राहत के लिए मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ की जा रही है। कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है।

मई में तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा IIP ग्रोथ
आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन से मई में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर बढ़कर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह तीन महीने में सबसे अधिक है। सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार Index of Industrial Production मई माह में 5.2 प्रतिशत बढ़ा है। इससे पिछले महीने अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 4.2 प्रतिशत पर रही थी। इस महीने खनन उत्पादन 6.4 प्रतिशत, बिजली उत्पादन 0.9 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा। कोर सेक्टर में ग्रोथ मई में उछलकर 18.1 प्रतिशत पर आ गया है जो कि अप्रैल में 8.4 प्रतिशत रहा था।

प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 प्रतिशत बढ़कर 4.75 लाख करोड़ रुपये
चालू वित्त वर्ष में रिफंड के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 15.87 प्रतिशत बढ़कर 4.75 लाख करोड़ रुपये रहा। यह वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक प्रत्यक्ष कर संग्रह कुल बजट अनुमान के 26.05 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार इस साल 1 अप्रैल, 2023 से 9 जुलाई 2023 के दौरान 42,000 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए। यह पिछले साल इसी अवधि में हुई कर वापसी के मुकाबले 2.55 प्रतिशत अधिक है। वैसे इस साल 9 जुलाई तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 14.65 प्रतिशत बढ़कर 5.17 लाख करोड़ रुपये रहा।

2022-23 में प्रत्यक्ष कर संग्रह रहा 16.61 लाख करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 16.61 लाख करोड़ रुपये का रहा। यह पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में हुए 14.12 लाख करोड़ रुपये के संग्रह से 17.63 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष करों का ग्रोस कलेक्शन (अनंतिम) रिफंड का समायोजन करने से पहले 19.68 लाख करोड़ रुपये का रहा है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में हुए 16.36 लाख करोड़ रुपये के सकल संग्रह से 20.33 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में कॉरपोरेट कर का सकल संग्रह (अनंतिम) 10,04,118 करोड़ रुपये का रहा जो कि पिछले वर्ष हुए 8,58,849 करोड़ रुपये के सकल कॉरपोरेट कर संग्रह से 16.91 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में व्यक्तिगत आयकर का सकल संग्रह (अनंतिम) 9,60,764 करोड़ रुपये का रहा जो कि पिछले वर्ष हुए 7,73,389 करोड़ रुपये के सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह (एसटीटी सहित) से 24.23 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2022-23 में 3,07,352 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में जारी किए गए 2,23,658 करोड़ रुपये के रिफंड से 37.42 प्रतिशत अधिक है।

जून में 58.5 के साथ लगातार 23वें महीने 50 से ऊपर रहा सर्विसेज पीएमआई
एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सेवा पीएमआई जून में 58.5 रहा है। यह लगातार 23वां महीना है, जब सर्विसेज पीएमआई 50 से ऊपर है। सर्विसेज पीएमआई करीब दो वर्षों से ब्रेकईवन से ऊपर है, जो अगस्त 2011 के बाद सबसे लंबी अवधि है। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलियाना डी लीमा ने कहा कि जून में सर्विसेज डिमांड में बढ़ोतरी जारी रही, सभी चार निगरानी सब-सेक्टर्स में नए बिजनेस इन-फ्लो में तेजी से ग्रोथ दर्ज की गई. ग्रोथ मोमेंटम में इस तेज बढ़ोतरी ने बिजनेस एक्टिविटी में और तेज उछाल का सपोर्ट किया और रोजगार के आंकड़ों में एक और बढ़ोतरी को भी बढ़ावा दिया, निकट अवधि की विकास संभावनाओं के लिए अच्छा संकेत है.

मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेज रफ्तार जारी, जून में पीएमआई 57.8 पर पहुंचा
कारोबार में बढ़त के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। मांग बढ़ने से जून के महीने में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में बंपर तेजी आई है। जून में एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (PMI) 57.8 पर रहा। पीएमआई पिछले 24 महीनों से लगातार 50 से ऊपर बना हुआ है। जून में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में वृद्धि फरवरी 2021 के बाद आई बढ़त में सबसे मजबूत में से एक है। हालांकि मई में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का आंकड़ा कुछ ज्यादा 58.7 पर रहा था। नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां तेज रफ्तार से चल रही है। इससे यह भी पता चलता है कि रोजगार के मोर्चे पर स्थिति बेहतर हो रही है।

11 करोड़ अधिक हुई डीमैट खातों की संख्या
देश में डीमैट खातों की संख्या 11. 82 करोड़ के पार पहुंच गई है। शेयर बाजार में तेजी और और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही डीमैट अकाउंट की संख्या भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ट्रेडिंग और शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए ये खाते जरूरी होते हैं। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के मुताबिक मई, 2023 में 20 लाख 10 हजार नए डीमैट खाता खोले गए, जो इस साल का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 11.82 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।

विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर
मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बना हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 10 सितंबर, 2021 में 642.45 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन 18.53 प्रतिशत बढ़कर 84.8 करोड़ पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आधार समर्थित ई-केवाईसी अपनाने में लगातार प्रगति देखी जा रही है। आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन अक्टूबर से दिसंबर 2022 के बीच तीसरी तिमाही में 18.53 प्रतिशत बढ़कर 84.8 करोड़ हो गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2022 में 32.49 करोड़ ई-केवाईसी के आधार पर लेनदेन किए गए थे, जो नवम्‍बर 2022 की 28.75 करोड़ तुलना में 13 प्रतिशत अधिक थे। अक्टूबर में आधार ई-केवाईसी लेनदेन की संख्या 23.56 करोड़ थी। दिसंबर में वृद्धि अर्थव्यवस्था में इसके बढ़ते इस्तेमाल और उपयोगिता को दर्शाता है।

दिसंबर 2022 के अंत तक, आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन की कुल संख्या 1,382 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। इसके साथ ही लोगों के बीच आधार प्रमाणीकरण लेनदेन भी लोकप्रिय होता जा रहा है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। अकेले दिसंबर महीने में 208.47 करोड़ आधार प्रमाणीकरण लेनदेन किए गए, जो पिछले महीने की तुलना में लगभग 6.7 प्रतिशत अधिक है। आधार के जरिए ई-केवाईसी सेवा तेजी से बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 105 बैंकों सहित 169 संस्थाएं ई-केवाईसी के जरिए लाइव जुड़ी हुई हैं।

पसंदीदा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा भारत
रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी के कारण जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल हाल में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिससे विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना काल में दुनिया भर के अरबपतियों के लिए भारत एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। इस महीने आई यूबीएस बिलियनेर एंबिशंस रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत जल्द ही निवेश का एक गढ़ बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के अरबपति लोग अपना ज्यादा से ज्यादा पैसा भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लगाना चाहते हैं क्योंकि यहां की अर्थव्यवास्था मजबूत होने के साथ उनके अनुकूल है। स्विस बैंक की यह रिपोर्ट 75 बाजारों में 2,500 से अधिक अरबपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 58 प्रतिशत अरबपतियों ने निवेश के लिए अपने चुने हुए बाजारों के रूप में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को चुना। भारत में अरबपतियों की संख्या पिछले साल 140 से बढ़कर 166 हो गई है।

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे तेज
सांख्यियकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय, आईएमएफ और विश्वबैंक जैसे आर्थिक संगठनों के आंकड़ों के मुताबिक इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था ने सबसे तेज दर से तरक्की की। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 11 अक्तूबर को जारी आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में मंदी के बीच सिर्फ भारत से उम्मीद है। 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा। मूडीज ने 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान का 7.0 प्रतिशत जताया। रेटिंग एजेंसी इक्रा और भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा। भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली। इसके अलावा महंगाई पर मोदी सरकार के नियंत्रण ने भी राहत दी।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

चीन को पछाड़कर यूनिकार्न का बादशाह बना भारत
स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में देश ने यूनिकॉर्न के मामले में चीन को पछाड़ दिया। इस दौरान भारत में 14 यूनिकॉर्न बने, वहीं चीन में यह आंकड़ा 11 रहा। भारत में इन यूनिकॉर्न की संख्या शतक पार करके आगे बढ़ गई है। पिछले साल देश को 44 यूनिकॉर्न मिले थे और इस साल सितंबर तक 22 यूनिकॉर्न मिल चुके हैं। भारत में सितंबर 2022 तक यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 107 हो गई। खास बात यह है कि इन 107 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन
वर्ष 2022 में सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है। दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया।