आंदोलन जारी, सरकार के MSP प्रस्ताव पर किसान देंगे जवाब
फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी के मुद्दे पर रविवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बैठक हुई।
केंद्र सरकार चार और फसलों पर एमएसपी देने को तैयार हो गई। केंद्र सरकार की ओर से धान और गेहूं के अलावा मसूर, उड़द, मक्का और कपास की फसल पर भी एमएसपी देने का प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन इसके लिए किसानों को NCCF, NAFED और CCI से पांच साल का करार करना होगा। किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने का फैसला किया।
किसान 21 फरवरी से पहले सरकार को जवाब देंगे। वहीं, किसान संगठनों ने अभी आंदोलन खत्म करने का ऐलान नहीं किया है। फिलहाल शंभू बॉर्डर और खनौली बॉर्डर पर डटे रहेंगे। प्रस्ताव पर आज अंतिम फैसला बताएंगे किसान केंद्र के प्रस्ताव पर बैठक में मौजूद किसान नेताओं ने कहा कि वह सभी संगठनों से बात कर सोमवार को इस पर अंतिम फैसला बताएंगे।
करीब पांच घंटे चली बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों के साथ वार्ता सद्भावनापूर्ण माहौल में हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (NCCF) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय कपास निगम (CCI) द्वारा MSP पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया गया है। गोयल ने बताया कि किसान नेता सरकार के प्रस्तावों पर अपने निर्णय के बारे में सोमवार तक सूचित करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सहकारी समितियों एनसीसीएफ और नाफेड को एमएसपी पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है।
गोयल ने कहा, ‘‘हमने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) एमएसपी पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करेगा।’’ किसान उपज के एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
चौथे राउंड में बनी बात, किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च जारी केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ बैठक के लिए सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान पहुंचे थे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी बैठक में शामिल हुए। यह बैठक रात करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुई थी।
केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच इससे पहले 8 फरवरी, 12 फरवरी और 15 फरवरी को मुलाकात हुई, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही थी। यह बैठक ऐसे वक्त हुई है, जब हजारों किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू और खनौरी में डटे हुए हैं और किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। इन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान? सभी फसलों की खरीद के लिए MSP गारंटी कानून बनाया जाए।
डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसलों की कीमत तय की जाए। सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी मिले। किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों का कर्जा माफ किया जाए। किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए। 60 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन दी जाए। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए। लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
आरोपियों की जमानत रद्द की जाए। मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए। विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए। मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये मजदूरी दी जाए। किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए।
समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। दिल्ली मोर्चा सहित देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं। 11 नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए। फसल बीमा सरकार खुद करे। 12 मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए। 13 संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।