क्या आपको भी है डिजिटल नेत्र तनाव तो जानें इसका रोकथाम और उपचार

Jun 12, 2025 - 08:24
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क्या आपको भी है डिजिटल नेत्र तनाव तो जानें इसका रोकथाम और उपचार

हममें से ज्यादातर लोग अपने दिन के ज्यादातर घंटे स्क्रीन के सामने बैठकर बताते हैं। चाहे कंप्यूटर स्क्रीन हो या फिर मोबाइल स्क्रीन। घंटों डिजिटल स्क्रीन के सामने बैठने का सबसे बुरा असर हमारी आंखों पर पड़ता है। जिससे तनाव, अनिद्रा और कई दूसरी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है। आंखों से जुड़ी इस तकलीफ को डिजिटल नेत्र तनाव कहते हैं।

डिजिटल नेत्र तनावको ही पहले computer vision syndrome नाम से जाना जाता था । यह बीमारी दिन- प्रतिदिन लोगों में बढ़ती ही जा रही है। पहले सिर्फ कंप्यूटर पर काम होता था लेकिन अब लैपटॉप, टैबलेट्स, स्मार्ट फोन भी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इन चीजों के बहुत अधिक इस्तेमाल से डिजिटल नेत्र तनाव की प्रॉब्लम हो जाती है। इसकी शुरुआत आंखों में हल्के दर्द से हो सकती है। लेकिन समय रहते इलाज नहीं कराया जाए तो भविष्य में आंखों की रोशनी भी जा सकती है। डिजिटल नेत्र तनाव के शुरुआती लक्षण आंखों में खिंचाव महसूस होना, आंखों में पानी आना, दर्द होना, धुंधला दिखना, लाला होना, इसके शुरुआती लक्षण हैं। इसके साथ ही सिरदर्द और घबराहट भी हो सकती है। कई बार ये चिड़चिड़ेपन का कारण भी हो सकता है। हो सकता है सुबह उठकर आपको तकलीफ कम हो लेकिन दिन बढ़ने के साथ ही ये तकलीफ बढ़ने लगती है। 1. डिजिटल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना हमारी जरूरत बन चुकी है। ऐसे में हमें उनके इस्तेमाल का सही तरीका भी पता होना चाहिए। इन चीजों को आंखों के बहुत पास या दूर रखकर यूज करना खतरनाक हो सकता है ।

इन चीजों को दूरी पर रखकर ही इस्तेमाल करना चाहिए। 2. जिस कमरे में बैठकर आप इन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं वहां पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। वरना आंखों पर जोर पड़ेगा। 3.ऑफिस में एसी वेंट के सामने नहीं बैठना चाहिए। इससे आंखों का पानी सूख जाता है। 20-20-20 का नियम फॉलो करना चाहिए। जो लोग ऑफिस में कंप्यूटर और लैपटॉप में देर तक काम करते हैं, उन्हें हर 20 मिनट पर 20 फीट दूर पर रखी चीज को 20 सेकंड के लिए देखना चाहिए। ये आंखों के तनाव को कम करता है। 4. स्क्रीन ज्यादा ब्राइट नहीं होनी चाहिए और फॉन्ट साइज बहुत छोटे नहीं होने चाहिए। 5. जब आप देर तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपकी पलकें एक मिनट में 6-8 बार ही झपकती हैं जबकि 16-18 बार पलकों का झपकना नौर्मल होता है। ऐसे में आवश्यक रूप से हर छह महीने में एकबार आंखों जांच करा लें।

विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब