यूपी पुलिस में 'तोंदधारी' जवानों का गुडवर्क: फिटनेस के फिसड्डी, कार्रवाई में अव्वल!
यूपी पुलिस में 'तोंदधारी' जवानों का गुडवर्क: फिटनेस के फिसड्डी, कार्रवाई में अव्वल!

यूपी पुलिस में 'तोंदधारी' जवानों का गुडवर्क: फिटनेस के फिसड्डी, कार्रवाई में अव्वल!
राम प्रसाद माथुर
जब-जब यूपी पुलिस की बात होती है, एक तस्वीर सबके ज़हन में उभरती है — बड़ी तोंद, धीमी चाल और थकी हुई निगाहें। मगर ये तस्वीर अब पूरी नहीं है। प्रदेश भर में कई ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो भले ही दिखने में फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाएं, लेकिन गुंडों और बदमाशों के लिए उनका नाम ही काफी है। ये 'तोंदधारी' सिपाही गुडवर्क की लिस्ट में टॉप पर हैं, और अपने अनुभव, नेटवर्क और 'जमीनी खुफिया' से अपराधियों की कमर तोड़ रहे हैं।
**मुख्य रिपोर्ट:**
**गुडवर्क बनाम फिटनेस:** कई थानों में देखा गया है कि गुडवर्क — यानी अपराधियों की गिरफ्तारी, गुमशुदा की बरामदगी, लूट व हत्या के मामलों का खुलासा — में सबसे आगे वही पुलिसकर्मी हैं, जिनका बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) मानक से काफी ऊपर है।
कई जिलों में आंकड़े चौंकाने वाले:
मेरठ, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों में पिछले एक साल के गुडवर्क आंकड़े दर्शाते हैं कि टॉप परफॉर्मर पुलिसकर्मियों में से 60% से ज्यादा ने विभागीय फिटनेस टेस्ट पास नहीं किया था।
**अनुभव और लोकल नेटवर्क बनते हैं ताकत:**
स्थानीय मुखबिरों का जाल, अनुभव से मिली सूझ-बूझ और कानूनी प्रक्रिया की बारीक समझ इन पुलिसकर्मियों को ‘फिट’ और ‘यंग’ अफसरों से आगे रखती है। **विशेष बयान:** एक थानाध्यक्ष ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "गुंडों को दौड़ाकर पकड़ना जरूरी नहीं होता, दिमाग से पकड़ना होता है। हमारा ‘वज़न’ हमारा अनुभव है।”
**सरकारी रवैया:**
हालांकि सरकार और पुलिस मुख्यालय फिटनेस पर जोर दे रहे हैं, लेकिन सवाल उठ रहा है — क्या केवल फिटनेस से ही बेहतर पुलिसिंग मुमकिन है?
**निष्कर्ष:**
जहां एक ओर तोंद को पुलिस की ‘बदनामी’ माना जाता है, वहीं कई बार यही तोंदधारी जवान अपराधियों के लिए ‘दहशत’ बन जाते हैं। फिटनेस सुधारना जरूरी है, लेकिन गुडवर्क के असली हीरो को भी पहचानना उतना ही अहम है।