आशीर्वाद दुआओं का फल
आशीर्वाद दुआओं का फल
राधावल्लभ डिग्री कॉलेज में 2 साल पहले बीए एम की डिग्री की लेकर गए हुए डिग्रीकलेज पूर्वछात्रों का सम्मान समारोह आयोजितकिया गया था। कॉलेज के हाल को बहुतसुंदर ढंग से सजाया गया था। कॉलेज के हाल तक आने के लिए पूरे मार्ग को बिजली की रंग बिरंगी झालरों से तथा जगह-जगह केले के केले दरवाजेबनकर मार्ग को बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था।सभी पूर्व छात्र छात्र-छात्राओंको बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई थी ।उन पर पूर्व छात्रछात्राएं बैठे हुए थे। सामने की कुर्सियों पर पर प्राचार्य प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मंत्री बैठे थेऔर इनके इधर-उधर अध्यापक बैठे हुए थे।
समारोह आरंभ होते प्राचार्य माइक आकर बोले- - आज का दिन हमारे कॉलेज के लिए गौरव खुशीका दिन है। विद्यालय के पूर्व छात्रछात्राओं ने कॉलेज का नाय रोशन किया ।पूर्व छात्र छात्राओं में बहुत से ऊंचे पदों पर अब नियुक्त हो चुके है कुछ छात्र-छात्राएं अभी नौकरी की तलाश में है ।उन्हें शीघ्रनौकरी मिलेगी ।,मुझे गर्व है मेरे पूर्व छात्रों में बहुत से पदों पर पहुंचकर कॉलेजक नाम चमका दिया है । अधिकांश छात्र प्रथम श्रेणी यूनिवर्सिटी टॉपर हैं ।। हमारे कॉलेजका हमेशा रिजल्ट 98% रहा है । इससे कॉलेज का मान सम्मान बढ़ा है । हमारे सभी पूर्व छात्र छात्राओं ने अनुशासन में रह कर बड़ी त्याग तपस्या में शिक्षा ग्रहण की है । मुझे आशा है मेरे विद्यालय के निकले हुए सभी छात्र उन्नति के शिखर पर पहुंचकर देश समाज की ईमानदारी से सेवा करके इस विद्यालय का नाम रोशन करेंगे । प्राचार्य के भाषण बाद जब पूर्व छात्र छात्राओं को बुलाया गया तो पूर्व अधिकांश छात्राओं ने कहा वह सरकारी उच्च पदों पर पहुंचकर जनता समाज राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं।कुछ छात्रों ने राजनीति में भाग लेकर मंत्री विधायक बन गए हैं। कुछकॉलेजकी पूर्व छात्रों ने कहा कि वह उच्च पदों पर पहुंच गये है और जनता ईमानदारी से सेव कर रहे है । कुछ छात्र-छात्राओं ने कहाउच्च पदों पर पहुंचकर संवेदनशील अधिकारी बनकर राष्ट्र समाज की ईमानदारी से सेवा करेगे।
कुछ छात्राओं ने कहा नौकरी पाने पर महिला शक्ति को जागृतकरउनमेंआत्मविश्वास आत्मबल जागृत करेगी । छात्र यूनियन के पूर्वअध्यक्ष मदन किशोर बोलना नहीं चाहते थे ।अध्यापक छात्रों के बहुत कुछ कहने पर माइक के पास जाकर सभी गुरुजनों को हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए कहा - मेरे सभी साथियों के अपने अपने सपने बताए हैं और कुछ छात्र छात्राएं अपने सपने पूरे करने में सफल भी हो गई है । लेकिन मेरा कोई सपना नहीं है ।मैं तो केवल अपने बुजुर्ग मां-बाप की सेवा करने के लिए कोई छोटी सी नौकरी तलाश कर रहा हूं । पहले माता-पिता की आर्थिक स्थिति को मजबूत करके उन्हें सुख दूंगा। उनके आशीर्वाद से ही जो मुझे आगे उन्नति के अवसर मिलेंगे उससे राष्ट्र देश समाज की सेवा करूंगा। माता -पिता बुजुर्गों का आशीर्वाद हमेशा लेता रहूंगा ।माता पिता के आशीर्वाद से अगर मुझे गांव के पास किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में अध्यापकी मिल गई तो वहां नौकरी करके माता-पिता की आर्थिक स्थिति मजबूत करूंगा।।। माता पिता के आशीर्वाद से जो मिलेगा उसे ही स्वीकार कर लूंगा ।मैं अपने सभी साथियों से अनुरोध करूंगा कि वह भी अपने बुजुर्ग मां-बाप की सेवा अवश्य करें। बुजुर्ग मां-बाप ही ईश्वर तुल्य होते हैं ।उनका हृदय से दिया गया आशीर्वाद उन्हें उन्नति के शिखर पर पहुंचाएगा . ।
इस से ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं । मैं अपने प्रधानाचार्य तथा अपने गुरुजनों को प्रणाम करके उनसे भी कहूंगा कि कभी भी उन्हें अपने शिष्य की सेवा की आवश्यकता हो तो निसंकोच कहे । वह सेवा के लिए तत्पर रहें गा।गुरु शिष्य का संबंध अटूट होता है । सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।।इतना कहने के बाद मदन किशोर ने मंच पर बैठे हुए सभी गुरुजनों वृद्धजनों के चरण स्पर्श करके अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया। मदन के ओजस्वी भाषण से सभी ्भावुक होकर मदन किशोरकी ओर निहारने लगे । कार्यक्रम समाप्ति के बाद जब सब लोग जाने लगे तो मदन किशोर ने सभी का हाथ जोड़कर अभिवादन करकेसभीकोधन्यवाद दिया । कॉलेज प्राचार्य ने उठकर मदन की पीठ को थपथपा कर धीरे से मदन किशोर से कहा- -तुम बिना मिले मुझसे जाना मत ।मदन मंच से उतरकर अपने सभी साथियों से गले मिलने लगा और सभी को इस बात का धन्यवाद देने लगा कि सभी साथियों ने उसको भरपूर सहयोग दिया। सुधा ने पास आकर मदन किशोरसे कहा- मेरी माता जी ने तुमको याद किया है ।तुम बिना उनसे मिले जाना नहीं ।सुधा की ओर देखकर मदन मुस्काया और बोला- पहले तुम्हारी माता जी से मिलने चल रहा हूं । बाद में आकर प्रधानाचार्य से मिलूंगा ।सुधा के साथ मदन सुधा के घर पहुंचा।
सुधा के माता पिता का चरण स्पर्श किया और एकओर पड़ी कुर्सी पर सुधा के पिता के पास चुपचाप बैठ गया। सुधा के पिता ने सुधा की ओर देखते हुए मदन से कहा- मैंने सुना है कि तुम फर्स्ट डिवीजन एम एकी डिग्री लेने के बाद अभी कोई नौकरी नहीं पा सके हो मेरी मानो इलाहाबाद जाकर आ ईएस की तैयारी करो ।सफलता अवश्य मिलेगी ।सुधा भी इस की तैयारी कर रही है। सुधा इलाहाबाद में अपने मामा के यहां रहेगी ।तुम भी वही रहना । सुधा के मामा अच्छे एडवोकेट धनाढ्य व्यक्तियों में है। उनकी आलीशान कोठी भी है। नौकर चाकर लगे हुए है। सुधा वही रहेगी ।तुम भी उस कोठी में रहना ।खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं होगी ।।पिता की बात सुनकर सुधा के चेहरे पर खुशी दौड़ गई। वह पिता की ओर देखते हुए मदन किशोर से बोली - अब तुम्हें इलाहाबाद रहकर आईएसकी तैयारी करने में क्या परेशानी होगी है? मदन सुधा और सुधा के पिताजी की ओर देखते हुए बोला- -मेरा पहला उद्देश माता पिता के पास रहकर उन्हें खुश रखना है ।लेकिन मेरे बूढ़े मां बाप आर्थिक स्थिति परेशान का क्या होगा? मेरे मां-बाप इतने स्वाभिमानी है। किसी का एहसान नहीं लेना चाहते हैं ।घर का खर्च चलाने के लिए भरी दोपहर में खेतों पर पहुंच जाते हैं ।कहीं खेतों की फसल को नीलगाय हिरण बर्बाद ना कर दे उसकी रखवाली करते हैं । जब से उन्होंने नौकरी छोड़ी है आर्थिक स्थिति से बहुत परेशान हैं । उन्होंने ईमानदारी से नौकरी कीहै। इसलिए अपनी आर्थिक स्थिति नहीं बना सके। वह मुझेभी किसी का एहसान लेने की आज्ञा नहीं देंगे। । मैंने जो निश्चय किया है ।मैं वही करूंगा ।
सुधा के पिता मदन की ओर देखते रह गये।तभी सुधा की मां तीन कटोरा में खीर ले आई और उन्होंने एक एक कटोरा तीनों को पकड़ा दिया। सुधा की ओर देखते हुए मदन ने जल्दी-जल्दी खीर खाकर सुधा के पिताजी से कहा - बाबूजी अब मुझे कॉलेज प्राचार्य से मिलने के लिए जाना है ।क्योंकि वह मेरे इंतजार में बैठे होंगे। इतना कहकर मदन उठा और चल दिया । सुधा भी पीछे पीछेआई ।दरवाजे पर आकर आंसू बहाते हुए सुधा ने कहा- मदन तुम जो कुछ कह रहे हो वह ठीक नहीं है । मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुमसे ही शादी करना चाहती हूं ।तुम्हें हमारे पिताजी की बात मान लेना चाहिए ।मेरे सपनों का तो ध्यान रखो। आज तक जो बात मैंने तुमसे नहीं कही है । वह बात आज तुमसे कह दी है।सुधा के आंसू पोछते मदन बोला- सुधा तुम घबराओ मत। मैं तुम्हारी पिता की बात पर विचार करूंगा ।इतना कहकर प्राचार्य के पास पहुंचा। मदन को देखते ही चपरासी बोला - साहब बहुत देर से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं और उसने प्राचार्य के दरवाजे पर पड़ी चिक उठाई। मदन अंदर पहुंच कर चुप चाप खड़ा हो गया। प्रधानाचार्य ने बैठने का इशारा करते हुए उसे एक लिफाफा पकड़ा दिया बोले- देखो मदन मैं तुम्हारे आचरण व्यवहार से हमेशा खुश रहा हूं ।मैं तुम्हें इस कॉलेज में इसलिए नौकरी नहीं दे सकता हूं ।
मुझ पर जातिवाद का आरोप लग जाएगा। मैं आज के नेताओं जैसा नहीं हूं । मैंने तुम्हें तोमर साहब के लिए चिट्ठी लिखी है । तोमर साहब मेरे मित्र हैं । अच्छे प्रिंसिपल है। तमाम दफे मुझसे यहां मिलने भी आए हैं ।तुम्हें अच्छी तरह से से जानते हैं। तुम्हें वहां अध्यापक की नौकरी मिल ही जायेगी । कॉलेज तुम्हारे गांव के पास है ।तुम अपने पिता की भी देख रहे करते रहोगे। मदन किशोर ्के चेहरे पर खुशी झलक आई। सीधा घर पहुंचा। ।घर पहुंच कर उसने बूढ़ी माता पिता के पैर छुए और उन्हें चिट्ठी दिखाते हुए कहा -मैं तोमर साहब के कॉलेज कल जाऊंगा ।वहां मुझे नौकरी मिल जाएगी। ।आपके आशीर्वाद से यह सब कुछ चमत्कार हुआ है। दूसरे दिन मदन तोमर साहब स्कूल में पहुंचकर वह चिट्ठी तोमर साहब दी। तोमर साहबकहीं बाहर जाने वाले थे। इसीलिए उन्होंने जल्दी में चिट्ठी पड़ी और मदन किशोर से बोले-- तुम जाकर अध्यापकों की उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर कर देना ।मैं आकर तुम्हारा नियुक्ति पत्र दे दूंगा और वाइस प्रिंसिपल से बोले-- कल से कुछ टाइम टेबल चेंज करके इन्हें हिंदी नागरिक शास्त्र पढ़ाने के इन के छह पीरियड नाइंथ क्लास में लगा देना। अगर यह रात में यही रहना चाहे तो इनके ठहरने रुकने खाने का छात्रों के छात्रावास में में इंतजाम कर देना । मदन बोला-- आज मैं चला जाऊंगा और घर से अपने बिस्तर पहनने के कपड़े लेकर कल आ जाऊंगा। प्रतिदिन ना जाकर इतवार के दिन ही जाया करूंगा । मदन की बातें सुनकर तोमर साहब कुछ भी नही बोले और अपनी तैयार खड़ी गाड़ी पर जाकर बैठ कर चले गए। मां बाप बुजुर्गों के आशीर्वाद से जब अच्छे दिन आने का चक्र घुमा तो 4 साल का समय जाते पता नहीं चला।
इन 4 सालों में मदनने तोमर साहब के स्कूलमें रहकर आईएस की तैयारी की। समय-समय छुट्टी लेकर इलाहाबाद भीजाता रहा। सुधा से मिलता रहा ।दोनों ने मिलकर आईएस की परीक्षा दी। दोनों की पांचवी पोजीशन आई ।जंव ईश्वर खुशी देता है तो छप्पर फाड़ के देता है। आईएएस की परीक्षा में मदन की 5 पोजीशनआई I प्रिंसिपल साहब तथा विद्यालय के सभी अध्यापक कर्मचारियों ने मदन के आईएएस होने अध्यापक मदन काभव्य स्वागत करते हुए उन्हें शुभकामनाएं बधाई दी ।मदन ने नम्रता को दिखाते हुए प्रधानाचार्य तोमर के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया ।दूसरे दिन तोमर साहब के कॉलेज से अपने घर आकरमदन अपने वृद्ध मां बाप का आशीर्वाद लेने के बाद सीधा बल्लभ डिग्रीकॉलेज में पहुंचा और अपने गुरुजनों प्राचार्य के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया ।इसके बाद सुधा के घर पहुंच कर सुधाकेऋ माता पिता चरण स्पर्श कर उन्हें अपने आईएएस बनने की खबर सुनाई ।सुधा के माता पिता यह खबर सुनकर बहुत खुश हुए और बोले सुधा भी आई एस हो गई है अब दोनों की शादी धूमधाम से की जएगी। बेटा तुम्हें आशीर्वाद दुआओंका फल मिल गया है।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावीकचहरी रोड मैनपुरी