अक्षय तृतीया (आखा तीज)_,

May 9, 2024 - 12:02
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अक्षय तृतीया (आखा तीज)_,
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अक्षय तृतीया (आखा तीज)_,

अक्षय तृतीया पर्व पर इस जीवन को पावन बनाये । पापों व तापों के हैं घेरे उनको ढहाते हुए चले । संसार सागर को पार कर मोक्ष की और बढ़ते चले । उमड़ती घटाएं है यहाँ कामना की , उफनती हैं नादियाँ यहाँ वासना की , हां , भूले कहाँ ? भूले कहाँ ? छोड़ो बह जाना , ख़ुद को बचाते हम चले ।

निर्लिप्त भाव हो जैसे जल में हो कमल काजल से भी घिरने पर भी रहती ज्यो लौ विमल मन निर्विकार हो , खुद में रमते हम चले । निर्विकार भावना जीवन को देती बदल सब मित्र हो हमारे जो हमारी आगे भव की गति को करते प्रबल । समता का आधार हो , खुद का विकास करते हम चले ।

सुख छीन कर किसी का दुःख नहीं दे कभी सभी समान है सुखकामी के आकांक्षी सभी । सभी का हित हो , खुद चिन्तन कर बढ़ते चले । अवगुण ही देखना हो तो स्वयं की और हम ध्यान दे गुण देख औरो का मन से मान दे । जीवन उन्नत का प्रकार हो , खुद में झाँक कदम चले । अक्षय तृतीया पर्व पर इस जीवन को पावन बनाये ।

प्रदीप छाजेड़