UPI Transactions: अब फ्री नहीं रहेगा यूपीआई, अठन्नी-चवन्नी के ट्रांजेक्शन पर भी लगेगा चार्ज

Jul 26, 2025 - 09:38
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UPI Transactions: अब फ्री नहीं रहेगा यूपीआई, अठन्नी-चवन्नी के ट्रांजेक्शन पर भी लगेगा चार्ज

UPI Transactions: यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिए धड़ाधड़ लेनदेन करने वाले ग्राहक और दुकानदार जान लें कि अब इससे फ्री में लेनदेन खत्म होने वाला है. इसका कारण यह है कि यूपीआई के जरिए फ्री में लेनदेन की प्रक्रिया को समाप्त करने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बड़ा संकेत दिया है।

उनका कहना है कि डिजिटल भुगतान को पूरी तरह से फ्री बनाए रखना दीर्घकालिक रूप से संभव नहीं है. वर्तमान में सरकार बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को सब्सिडी दे रही है, ताकि यूपीआई यूजर्स को फ्री में सर्विस मिलती रहे. लेकिन, भविष्य में इस व्यवस्था में बदलाव होने की संभावना अधिक है और लेनदेन के बदले लोगों को चार्ज भी देना पड़ सकता है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पेमेंट सिस्टम को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, "कोई भी सिस्टम तब तक टिकाऊ नहीं हो सकता, जब तक उसकी लागत की पूर्ति न हो. अभी सरकार ही सब्सिडी के जरिए खर्च उठा रही है, लेकिन यह स्थिति ज्यादा समय तक नहीं चल सकती। यूपीआई का इस्तेमाल भारत में तेजी से बढ़ रहा है. पिछले दो वर्षों में यूपीआई ट्रांजैक्शन्स में दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है. फिलहाल, प्रतिदिन 60 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन यूपीआई के माध्यम से हो रहे हैं. सरकार ने डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अब तक इसे मुफ्त रखा, लेकिन अब आरबीआई की नजर इस सेवा को आत्मनिर्भर बनाने पर है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यूपीआई ट्रांजेक्शन पर अगर चार्ज लगाया भी जाता है तो वह मामूली होगा, ताकि आम यूजर्स पर ज्यादा बोझ न पड़े।

आरबीआई की मंशा यूपीआई को पूरी तरह से आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाना है, न कि इससे मुनाफा कमाना कोई उद्देश्य है. इससे भविष्य में यह सेवा निर्बाध रूप से जारी रह सकेगी। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) पर अंतिम निर्णय सरकार के हाथ में है. एमडीआर वह शुल्क है, जो व्यापारी बैंकों को भुगतान करते हैं, जब ग्राहक उनके स्टोर पर कार्ड या यूपीआई से भुगतान करते हैं. वर्तमान में सरकार ने यूपीआई और रुपे कार्ड ट्रांजैक्शन पर एमडीआर को शून्य रखा है, लेकिन इसमें बदलाव की संभावनाएं बनी हुई हैं। संजय मल्होत्रा ने जोर दिया कि सरकार और आरबीआई डिजिटल भुगतान को आसान, सुरक्षित और सुलभ बनाना चाहते हैं. लेकिन, इसके लिए एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जिसमें सभी हितधारकों की आर्थिक भागीदारी हो. उन्होंने कहा, "किसी न किसी को खर्च उठाना ही होगा." इससे स्पष्ट है कि भविष्य में सरकार सब्सिडी कम कर सकती है और यूज़र्स या व्यापारी वर्ग को शुल्क वहन करना पड़ सकता है।

आरबीआई गवर्नर का यह बयान साफ संकेत देता है कि आने वाले समय में यूपीआई से लेन-देन मुफ्त नहीं रह सकता. हालांकि, चार्ज मामूली हो सकता है, लेकिन यह परिवर्तन डिजिटल भुगतान की दिशा में एक बड़ा मोड़ होगा. इससे जुड़े सभी पक्षों को अब इस संभावना के लिए तैयार रहना होगा. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के संकेत से यह भी साफ है कि अब आपको किसी भी सूरत में यूपीआई से पेमेंट करने पर पैसों का भुगतान करना ही होगा. अन्यथा, आपको नकदी लेनदेन करना होगा।