ऑपरेशन सिंदूर? जिससे बिलबिलाया पाकिस्तान

May 8, 2025 - 07:57
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ऑपरेशन सिंदूर? जिससे बिलबिलाया पाकिस्तान

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी घटना का बदला लेने के लिए भारत ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया है. माना जा रहा है कि इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकी मारे गए हैं और इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान खौफ में है और बिलबिला रहा है। लेकिन आप को जान कर हैरानी हो सकती है कि भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर भले ही नाम नया हो सकता है, लेकिन ऑपरेशन बहुत पुराना है।

 विश्वास नहीं हो रहा तो आइए करीब दस लाख साल पहले त्रेता युग में चलते हैं. पहली बार उसी समय रामायण यानी राम-रावण युद्ध से पहले इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था। महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखित रामायण और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरित मानस की माने तो इस ऑपरेशन को पहली बार भगवान राम के विशेष दूत हनुमान ने अंजाम दिया था. हालांकि उस समय यह ऑपरेशन काफी मुश्किल था. लंका में उस समय तो रडार सिस्टम (लंकिनी) इतना मजबूत था कि मच्छर भी उसकी नजरों से बच नहीं सकता था. उसके मुकाबले पाकिस्तान का रडार सिस्टम कहीं टिकता ही नहीं. प्रसंग आता है कि लंका के रडार सिस्टम को भेदकर हनुमान अंदर घुसे और बड़े इत्मीनान के साथ अपने टारगेट पॉइंट को चिन्हित किया. इस काम में उन्हें 24 घंटे से भी कम का समय लगा था।

भारतीय खुफिया एजेंसी ने भी उसी पैटर्न पर पाकिस्तान में अपने टारगेट चिन्हित किए हैं। अब बात आती है ऑपरेशन को अंजाम देने की. रामायण में कथा आती है कि उस समय हनुमान ने केवल उन्हीं टारगेट को नष्ट किया था, जो अधर्म के पक्ष में थे. धर्मानुलंबी विभीषण समेत कई अन्य के भवनों को उन्होंने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था. यह बातें गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीराम चरित मानस और महर्षि वाल्मिकी ने रामायण में अक्षरस: लिखी है. तुलसीदास जी ने श्रीराम चरित मानस में साफ तौर पर लिखा है कि जब रावण हनुमान जी से पूछता है तो वह कहते हैं कि ‘जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। तेहि पर बांधेउं तनय तुम्हारे॥ मोहि न कछु बांधे कइ लाजा। कीन्ह चहउं निज प्रभु कर काजा । जहां तक अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की बात है तो, उस समय भी हनुमान ने उच्चकोटि की तकनीक का इस्तेमाल किया था।

श्री रामचरित मानस में प्रसंग आता है कि जब राक्षसों ने हनुमान की पूंछ में कपड़ा लपेट दिया तो उन्होंने सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल करते हुए भगवान राम से मार्गदर्शन मांगा था और भगवान राम ने उन्हें अनुमति भी दी थी. दरअसल आज तो मोबाइल फोन केवल एक तरंग से ऑपरेट होती है, लेकिन हनुमान जी के पास 49वेव तरंगों वाला सेटेलाइट फोन था. तुलसीदास जी ने लिखा भी है कि ‘हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास। अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास॥’. इसी नेटवर्क से हनुमान ने भगवान राम से संपर्क किया। भारतीय सेना को तो इस ऑपरेशन में 25 मिनट लग गए, लेकिन राम की अनुमति मिलते ही हनुमान ने रॉफेल से कई गुना तेज गति वाले संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए महज कुछ ही पलों में पूरी लंका को जलाकर खाकर कर दिया।

इन्हीं तथ्यों को भारत सरकार ने सार्वजनिक तौर पर माना भी है. खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा है कि हनुमान के सिद्धांतों का पालन करते हुए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है. हालांकि इन दोनों ऑपरेशन के समय में अंतर जरूर नजर आता है. हनुमान ने यह ऑपरेशन चतुर्मास के बाद शरद ऋतु में अंजाम दिया था, लेकिन भारतीय सेना के वीर जवानों ने गर्मी के मौसम में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है।