जीवन की वास्तविकताएँ

Jun 26, 2024 - 06:43
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जीवन की वास्तविकताएँ
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जीवन की वास्तविकताएँ

जीवन की यात्रा में चलते-चलते कुछ बातें ऐसी सुनने पढ़ने में आ जाती हैं जो मन में घर कर जाती हैं।वह साथ में लगता है कि आज के जीवन की वास्तविकता उजागर करती हैं।जैसे - निर्धन कही गिर गया तो उसको पूछने वाला कोई भी नहीं है क्योंकि उसके पास पैसा नहीं है इसके विपरीत धनी के मामूली खरोंच भी आयी तो हजार लोग उसको पूछने आ जाते हैं ।

हम अपने सहज स्वभाव में रहें क्योंकि घर में,समाज में सब मनुष्यों के स्वभाव मिलना सम्भव ही नहीं है क्योंकि अपने - अपने कर्मसंस्कारों के अनुरूप कोई किस गति से अवतरित हुए है और कोई किस गति से तो सब एक जैसे कर्मसंस्कारों से युक्त हो ये सम्भव नहीं लेकिन हम सबके विचारो को महत्व दें अपने विचारों का आग्रह न हो हम में ये हमें अनेकांत का सिद्धांत सीखाता है जो भगवान महावीर की हम पर अनुकम्पा करके दी हुई महत्वपूर्ण पद्दति है ।सब जगह सामंजस्य बैठाने में बहुत उपयोगी है ।

अनाग्रही चेतना के विकास से ये सब सम्भव है।हम अपने साथ साथ दूसरे के साथ तालमेल बैठाकर सहज जीवन का लाभ ले सकते है सहजता से और जिसके चाह मिटी, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह हो गया जिसको कछु ना चाहिए, वो ही शहंशाह होता है ।

सरल-शांत-सौम्य शीतल-श्वेत दूध समान हो व्यक्तित्व,अमृतम जलम जैसे जीवन का आधार है उसी रूप दुग्ध-जल सम हर रिश्ते का अस्तित्व हो, कभी उसमें छल-कपट-लोभ-लालच-की खटास ना आने पाए इसलिए नम्रता एक सर्वोत्तम माध्यम है रिश्ते निभाने का जो उसको निभा गया वो फरिश्ता हैं । सुनने में आता है कि किसी गिरगिट ने आत्महत्या कर ली सुसाइड नोट छोडकर अब इंसान से ज्यादा मैं भी रंग नहीं बदल सकता हैं।

प्रदीप छाजेड़