किसी के छूते ही लग रहा आपको करंट? जानें इसके पीछे कौन सा साइंस

Apr 5, 2025 - 19:02
 0  389
किसी के छूते ही लग रहा आपको करंट? जानें इसके पीछे कौन सा साइंस

क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है कि आप ऑफिस में बैठकर काम कर रहे हैं और आपको किसी चीज को छूते ही करंट लग जाता है? ऐसा अक्सर हमें तब भी होता है, जब कोई शख्स छू लेता है या हम किसी को टच करते हैं। यह बिजली के शॉक जैसी समस्या इन दिनों काफी लोगों के साथ हो रही है। ये झटके बिल्कुल वैसा ही लगता है जैसे किसी को बिजली के शॉक लगने पर होता है। मगर इस शॉक में वैसा कोई नुकसान या फिर सेहत पर उसका असर वैसा नहीं होता है।

ये झटके पलभर के लिए ही आते हैं, मगर आपको एकदम खौफजदा कर देते हैं। चलिए, यह तो करंट लगने की स्थिति की बाते हो गई लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है? बता दें कि यह कोई बीमारी नहीं है इसलिए, आपको ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। मगर यह जानना चाहिए कि आखिर यह क्यों हो रहा है? आइए जानते हैं विस्तार से। आपने स्कूल में फिजिक्स तो पढ़ी होगी? फिजिक्स नहीं तो साइंस तो हर कोई पढ़ता है। आपको अगर याद हो, तो विज्ञान की किताबों में हमें एटम के बारे में पढ़ाया जाता था। Atom का अर्थ होता है कि एक रासायनिक पदार्थ, जो ठोस, गैस और लिक्विड में भी हो सकता है। एटम में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन शामिल होते हैं। ये तीनों हम सभी के शरीर में भी मौजूद होते हैं। इनकी भूमिका करंट लगने वाली स्थिति को पैदा करने में अहम भूमिका निभाती है।

करंट लगने में इन एटम की भूमिका अधिक रहती है। एटम के इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन होते हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉन पॉजिटिव (+) और प्रोटॉन नेगेटिव(-) चार्ज के होते हैं। वहीं, जो न्यूट्रॉन हैं, वह न्यूट्रल चार्ज के होते हैं। आमतौर पर प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन की संख्या सामान्य होती हैं। मगर कभी किसी के शरीर में इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्यादा हो जाती हैं तो वह नेगेटिव चार्ज करने लगती है। ऐसे में जब भी हमारा शरीर किसी पॉजिटिव चार्ज के संपर्क में आता है, तो खुद को वहां तेजी से अट्रैक्ट करने लगता है। उस स्थिति में करंट लगता है। करंट 2 तरीके से लग सकता है। पहला, अगर आपके अंदर पॉजिटिव चार्ज होता हैं और आप किसी नेगेटिव चार्ज वाली सतह को छू रहे हैं। अगर आप कोई नेगेटिव चार्ज वाला व्यक्ति भी आपको टच करता है, तो दोनों लोगों तो करंट लग सकता है। दूसरा, अगर आप नेगेटिव चार्ज से इंपैक्ट हो गए है, तो पॉजिटिव चार्ज वाली बॉडी या सरफेस को छूने से ऐसा होता है। शरीर के अंदर नेगेटिव चार्ज किसी सतह को छूने से भी आ सकता है, यदि वह नेगेटिव चार्ज में हो।

इलेक्ट्रिक शॉक वाली समस्या मौसम पर भी निर्भर करती है। सर्दियों में यह प्रॉब्लम ज्यादा होती है। दरअसल, लोगों के शरीर में नेगेटिव चार्ज बनने का सिलसिला सर्दियों में ज्यादा होता है, जिस वजह से करंट लगता है। गर्मियों में हवा में मौजूद नमी निगेटिव चार्ज वाले इलेक्ट्रॉन को नष्ट कर देती है, जिस वजह से इस मौसम में इलेक्ट्रिक चार्ज या करंट कम महसूस होता है। लोगों के बीच बढ़ रही इस समस्या पर विस्तारित विश्लेषण लंदन के न्यूरोसर्जन डॉक्टर नाथन केजर (Dr Nathan Keiser) बताते हैं कि यह एक आम समस्या है जो कई लोगों को अनुभव हो रही है। इसमें शरीर को बिजली के झटके या झटके की अनुभूति होती है। खास तौर पर हाथ, पैर और सिर में। इस घटना का पहली बार 1920 के दशक में वर्णन किया गया था और यह अक्सर सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ा होता है। हालांकि, इसके पीछे मेडिकल हेल्प तब जरूरी होती है, जब समस्या प्रतिदिन बार-बार परेशान करती है। साइंस में इसे स्टैटिक करंट कहते हैं। शरीर में इस करंट लगने के पीछे नेगेटिव चार्ज जिम्मेदार होता है।

नेगेटिव चार्ज बढ़ने के पीछे मौसम का हाथ होता है लेकिन इसके अलावा भी कुछ चीजें होती हैं, जिस कारण ऐसा होता है। ये हैं कुछ मुख्य कारण:- पैरों का जमीन पर टच में न रहने से शरीर में इलेक्ट्रॉन का काउंट डिसबैलेंस हो जाता है। शरीर में बहुत ज्यादा ड्राइनेस होने से भी ऐसा होता है। क्या है स्टैटिक करंट? स्टैटिक करंट तब बनता है जब दो वस्तुएं आपस में रगड़ती है। इससे ये एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉन लेते या देते हैं, जिससे एक वस्तु में नेगेटिव चार्ज और दूसरी में पॉजिटिव चार्ज बन जाता है। यह इलेक्ट्रिक चार्ज जमा हो जाता है और जब दोनों वस्तुएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं, तो करंट का एहसास होता है, जैसे किसी धातु को छूने पर झटका लगना। जमीन से पैरों का संपर्क बनाए रखें। शरीर में मॉइश्चर बनाए रखें। लिनन और कॉटन के कपड़े पहनें। मेडिटेशन और ध्यान लगाएं। वॉक और जॉगिंग करें।