कल्पित कहानी - भारतीयसभ्यताऔरपश्चातसभ्यताकाअंतर

Jan 12, 2025 - 20:23
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कल्पित कहानी -  भारतीयसभ्यताऔरपश्चातसभ्यताकाअंतर
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कल्पित कहानी - भारतीयसभ्यताऔरपश्चातसभ्यताकाअंतर ==÷÷÷=====

अंधकार को चीरता हुआ बदली मे छिपा हुआ नव वर्ष20 25 का सूर्य धीरे-धीरे अपनी किरणों को बिखेरता हुआ निकल रहाथा ।वृद्धा आश्रम के पार्क की हरी हरी दूब घास पर कुर्सियों पर बैठे हुए 85 वर्षीय कैप्टन बलबीर सिंह अपनी 8 0 वर्षीय पत्नी रामादेवी से अतीतकी यादों को लेकर वार्तालाप कर रहे थे और अपने जवानी के दिनों को याद कर रहे थे । 

कैप्टन साहब ने अपनी पत्नी रामादेवी से कहा -- तुम्हें वह दिन याद है । जब कोई औलाद नहीं हुई थी ।तुम औलाद के लिए तरस रही थी ।तो हम तुमने औलाद को पाने के लिए जाने कितने तीर्थ की यात्रा की थी । कितने देवी देवताओं की मनौती की थी ।तब कहीं जाकर रत्नेश सिंह कुंवर पैदा हुआ था। उसके पालन पोषण पढ़ाई लिखाई शिक्षा पर 60 बीघा खेत भी बेचने पड़ी थी। तब कहीं जाकर वह अमेरिका में डॉक्टर की पढ़ाईकरके अमेरिका में एक अच्छा डॉक्टर भी बन गया था और अमेरिका में ही अंग्रेजी मैम से शादी करके वही का बसींदा भी बन गया ‌‌। अमेरिका की पश्चात सभ्यता में रहकर सबको भूल गया। कुछ दिनों के बाद एक दिन अचानक आया ‌।

 गांव की कोठी बची हुई जमीन को बिकवा कर हमलोगों को अमेरिका लेगयाथा।अमेरिका मे आकर अपना मकान क्लीनिक बनवाने का बहाना करके हम लोगों कोवृद्ध आश्रम में छोड़ गया ।आज 7 साल हो चुके हैं। वह वृद्धाआश्रम में देखने को भी नहीं आया है ।फोन करने पर फोन भीअब नहीं उठा रहा है। कैप्टन साहब का दुखी चेहरा देखकर कैप्टन साहब की पत्नी बोली- व्यर्थ में अफसोस कर रहे हो । शादी के बाद अपना लड़का अपना नहीं रहता है। पश्चात सभ्यतामें पली हुई कुलक्षिनी बहू जो घर में आ गई थी ।फिर उस घर में हम लोगों का कैसे ठीकाना हो सकता था। दिन-रात उसने अपने पति के कान भरे और उसके कहने पर ही मेरा लड़का हम तुम को वृद्ध आश्रम में छोड़ गया था। कैप्टन साहब बोले --कुछ तो खता तुमने भी थी । तुम बहूके आने जाने उसके मिलने जुलनेवाले लोगों के साथ घूमने की ज्यादा टोका टाकी करती रही हो ।

इससे वह हम लोगों से चढ़ने लगी थी। पत्नी रामा देवी बीच में ही बोल पड़ी --पराए मर्दों के साथ घूमना का कोईअच्छी बात थी। उसी की भलाई के लिए मैं उसे रोका टोकी करतीथी ।कैप्टन साहब बोले जब उसके पति को यह सब अच्छा लग रहा था तो तुम्हें क्या परेशानी थी ? जो कुछ हो रहा था उसे होने देती ।शादी के बाद लड़का अपनी पत्नी के कहने पर ही चलता है । फिर मां बाप की कोई बात नहीं सुनता है । जब कैप्टन बलबीर सिंह और उनकी पत्नी रमा देवी के बीच आपसी दुख भरी बातें हो रही थी। तभी विद्या आश्रम के मित्र जयदेव सिंह मिठाई का डब्बा पकड़े हुए कैप्टन साहब के पास आकर बोले-- मुंह मीठा करो !मेरा नाती मुझे लेने आ गया है । मैं नाती के साथ नाती के घर जा रहा हूं ।मेरा नाती अमेरिका से डॉक्टरी पढ़कर अब अमेरिका के एक सरकारी अस्पताल में नौकरी पा गया है ।क्वार्टर भी मिल गया है। मैं उसी क्वार्टर में जा रहा हूं ।

 कैप्टन साहब ने मिठाई का टुकड़ा खाते हुए कहा --बहुत अच्छी खुश खबरी है ।अब तुम्हें बहू बेटा भी मिल जाएंगे । जयदेव मित्र बोला- मेरा लड़का बहू भारत में ही रहेंगे वहां की खेती कारोबार को करते रहेंगे। अमेरिका में मिले क्वार्टर पर उसकी बहू और मैं ही रहूंगा। अब उन दोनों के बीच मेरा बुढ़ापा अच्छी तरह से कटेगा । कैप्टन साहब हंसे और बोले --कुछ दिनों बाद नाती बहू फिर तुम्हें इसी वृद्धाश्रम में भेज देगे। मित्र जयदेव बोला --नहीं ऐसा नहीं होगा ।वह लड़की मेरे जाने पहचाने मेरे मित्र की लड़की है ।जो भारतीय सभ्यता संस्कार में पली है । मैं उसे बचपन से जानता हूं । उसी के कहने पर ही नाती मुझे बुलाने आया है ।मेरे लड़के की पत्नी तो बड़े रईस की बेटी पश्चात सभ्यता में पढ़ी लिखी मॉडर्न लड़की थी ।

इसलिए वह मुझे बर्दाश्त नहीं कर सकी थी और मेरा लड़का मुझे वृद्ध आश्रम में छोड़ गया था ।मेरा नाती भारतीय सभ्यता संस्कार का है। उसने अमेरिका में शादीनहींकीऔरभारतजाकरअपने साथ पढ़ने वाली लड़की से शादी की है ।कैप्टन साहब बोले -तुम सच कहते हो। वास्तव में भारतीय सभ्यता में पली हुई लड़कियां आज भी अपने सास-ससुर को निभाती है । तुम खुशी खुशी से जाओ ।मेरी तुम्हें शुभकामनाएं हैं । सूर्य देव भगवान फिर धीरे-धीरे बदली कोहरा के आगोश में जा रहे थे और ठंडी हवा के झोंके बढ़ रहे थे। कैप्टन साहब और उनकी पत्नी रमा देवी जब वृद्धा आश्रम के अंदर जाने वाले थे । तभी उन के गांव सुखेर पुर का हट्टा कट्टा एक नौजवान युवक दलबीर सिंह ने आकर कैप्टन साहब और उन की पत्नी के पैर छुए ।ठाकुर साहब ने देखते ही उसे पहचान गए और बोले- बहुत दिनों के बाद अचानक तुम्हारा कैसे आना हुआ । गांव में सब ठीक-ठाक है । ठाकुर साहब के हाथों में मिठाई का पैकेट पकड़ते हुए कहा- हां सब ठीक-ठाक है । मैं आपको भारत ले जाने के लिए आया हूं । आपने जो अपनी कोठी अपने नौकर महावीर के नाम बैनामा कर दी थी । तुम्हारे नौकर महावीर ने वह कोठी अब खुशी खुशी वृद्धा आश्रम के नाम बैनामा कर दिया है। वृद्धा आश्रम का नाम कैप्टन बलदेव सिंह वृद्ध आश्रम नाम रखा गया हैऔर इसका उद्घाटन आपके द्वारा होगा । इसीलिए मैं अमेरिका आपको लेने आया हूं ‌‌। अमेरिका आकरभैया डॉक्टर रत्नेश द्वारा पता चला कि आप वृद्धा आश्रम में है। मैं वहां से सीधा आपके पास चला रहा हूं । उन्हों ने बताया था पिताजी को यहां अच्छा नहीं लगता था। कोठी पर अकेले पड़े रहते थे।

एकांत बास से दुखी रहते थे। क्योंकि हम पति पत्नी अपने क्लीनिक पर निकल जाते थेऔर मजबूरी में उन्हें घर परअकेला छोड़ जाते थे। इसी लिए उन्होंने वृद्धा आश्रम में जाने की अपनी इच्छा बताई तो मुझे लाचारी में ना चाहते हुए भी उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ना पड़ा। वृद्ध आश्रम में बहुत खुश रहते हैं। मैं अक्सर उनसे मिलने जाता रहता हूं और उनकी खैरियत लेता रहता हूं । कैप्टन साहब मुस्काए और बोले-- आज सात वर्ष हो चुके हैं। तब से उनकी मैंने शक्ल भी नहीं देखी है। वह जो कुछ कह रहे हैं सब झूठ है। मेरे पुत्र साहबजादे रत्नेश ने मेरे साथ छल कपट किया ।गांव की सब संपत्ति बिकवा कर अमेरिकालाया। नए मकान बनाने का बहाना बनाकर मुझे वृद्ध आश्रम में छोड़ गया ।अब मोबाइल पर बात भी करना नहीं चाहता है ।मैं नहीं जानता था मेरे खून का पुत्र इतना कपूत निकलेगा। मैं अब वृद्ध आश्रम में बड़ा खुश रहता हूं। जो तुम लोग वृद्धाश्रम खोल रहे हो उसका उद्घाटन और किसी से करा लेना ।अब मैं गांव में जाकर क्या करूंगा ?मेरा गांव में अब क्या रखा है ?मैं सब कुछ बेच चुका हूं। गांव से आया दलबीर मुस्काया और बोला आपने गांव को तो नहीं बेचा है । वह तो आपका आज भी है। वहां के रहने वाले सभी आप के हैं। फिर आप गांव में क्यों नहीं चलेंगे ?

अब मैं गांव में तभी लौटूंगा जब आप को साथ ले चलूंगा । कोठी के वृद्ध आश्रम में रहकर पूरे गांव का मार्गदर्शन करना ।पहले भी करते रहे अब गांव वालों को आपकी जरूरत है। मेरी बात मान जाइए ।गांव चलिए -मातृभूमि को कभी छोड़ा नहीं जाता है ।मातृभूमि आपको बुला रही है । कैप्टन बलदेव सिंह ने जब गांव से आए हुए दलबीर सिंह के भावपूर्ण शब्द सुने तो वह द्रवित हो गए ।उन्हें मजबूरी में कहना पड़ा। अब मैं गांव जरूर चलूंगा। अपनी मातृभूमि में रहकर आप लोगों केबीच रहूंगा। अपना पराया कुछ नहीं होता है जो काम में आए वही अपना है। ठाकुर कैप्टन बलदेव सिंह अपनी पत्नी रामादेवी के साथ गांव आ गए ।वृद्ध आश्रम का बड़े समारोह के बीच उद्घाटन हुआ और उसी वृद्ध आश्रम में तमाम वृद्धजनों के साथ कैप्टन साहब और उनकी पत्नी रहने लगे । कैप्टन साहब ने अपनी पेंशन तथा गांव वालों के सहयोग से गांव में अस्पताल में खुलवा दिया ।सुखर पुर एक आदर्श गांव बन गया ।गांव वालों ने ठाकुर साहब को मान सम्मान देने के लिए उन्हें अपनी गांव सभा का ग्राम प्रधान भी चुन लिया। गांव वालों के स्नेह प्रेम के कारण कैप्टन बलदेव सिंह अपने पुत्र पुत्रवधू को भी भूल गए।

 बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी