बाल दिवस

Nov 13, 2023 - 12:13
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बाल मन हैं जीवन का अलग ही आधार इसमें आते रहते हैं नित-नए उर्वर विचार हम पढ़ते है महत्व बाल मन का मगर हम सही से अपनाए इसको जीवन आचरण में तो बन जायेंगे हमारे निर्मल आचार ।

बाल मन की तरह हमारी सुंदर सोच है तो सारा संसार हमको सुंदर नज़र आएगा । ज़िंदगी में हम कभी भी अपने किसी भी , तरह के हुनर पर किंचित घमंड ना करे । क्योंकि बाल मन की तरह निर्मलता जब खत्म होती है तो पत्थर के पानी में गिरने के समान अपने ही कर्म रूपी वजन में हम भारी हो जाते है ।

बाल मन पल - पल में हंसना पल - पल में रोना और रूठ जाना हर पल को अपने ढंग से जीता हैं । लम्बी डोर न किसी बात की खिंचता भूल भूत को,वर्तमान में ही जीता। नहीं परिभाषा मैं दुश्मनी की जानता सब मुझे अपने से ही प्यारे प्यारे लगते अपना पराया क्या होता ? मिल बांटकर साथ सबके खाता पीता खेला करता। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )