ज्यादा सोने से याददाश्त जाने का खतरा

May 30, 2025 - 10:09
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ज्यादा सोने से याददाश्त जाने का खतरा

यह बात तो जगजाहिर है कि नींद पूरी न होने से याददाश्त जाने का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि बहुत ज्यादा नींद लेना भी इस मामले में उतना ही हानिकारक हो सकता है। शोध में पाया गया है कि नौ घंटे या उससे ज्यादा नींद लेने से याददाशत में गिरावट देखने को मिली है। यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि लंबी नींद की अवधि याददाशत के लिए जोखिम कारक हो सकती है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस शोध में 27-85 वर्ष की उम्र के 1,853 स्वस्थ वयस्कों का चयन किया गया। यह देखने की कोशिश की गई कि उनकी नींद की अवधि उनके दिमाग को कैसे प्रभावित करती है। इसके बाद हर चार साल में प्रतिभागियों की याददाश्त, तर्कशक्ति और 'दृश्य - स्थानिक जागरूकता व प्रतिक्रिया के मानकों की जांच की गई। हर चार साल में प्रतिभागियों ने एक सर्वेक्षण में भी हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने बताया कि वे हर रात कितने घंटे सोए। जांच और सर्वेक्षण से पता चला कि जो लोग दो दशक के अध्ययन के दौरान हर रात नौ या उससे ज्यादा घंटे सोए, उन्होंने चारों परीक्षणों में काफी खराब प्रदर्शन किया। शोध में इसी आधार पर लंबी नींद को अल्जाइमर के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है। अल्जाइमर रोग याददाश्त का सबसे आम कारण है। यह रोग चिंता, भ्रम और अल्पकालिक स्मृति हानि का कारण बन सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि सबसे खराब परिणाम उन लोगों में देखे गए जिनमें अवसाद के लक्षण दिखाई दिए और उनमें जो औसतन रात में नौ या उससे ज्यादा घंटे सोते थे । क्यों खतरनाक है ज्यादा सोना विशेषज्ञ पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं कि अत्यधिक नींद डिमेंशिया में कैसे योगदान दे सकती है। हालांकि स्वीडन के एक शोध ने सुझाव दिया है कि इसका कारण हमारे 'सकैंडियन' लय पर पड़ने वाले प्रभाव में छिपा हो सकता है।

 सकैंडियन लय यानी हमारे सोने और जागने का प्राकृतिक चक्र जो शरीर के कई कायीं को निर्धारित करता है। स्टाकहोम में कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि दिन के समय सोने से दिमाग की दिन के दौरान जमा होने वाले अपशिष्ट को साफ करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा कि यह भी संभव है कि शुरुआती अल्जाइमर के कारण होने वाली मस्तिष्क क्षति अत्यधिक नींद की आवश्यकता को बढ़ावा दे सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो सभी वयस्कों को रात में कम से कम सात से आठ घंटे की गहरी नींद लेनी चाहिए, ताकि दिमाग दिनभर की जानकारी को अच्छी तरह से रख सके।

अगर लोगों को पर्याप्त नींद नहीं मिलेगी तो इससे दिमाग की सेहत पर असर पड़ सकता है। तमाम शोध के आधार पर कहा जा सकता है कि अच्छी नींद दिमाग के लिए बेहद लाभकारी है और यह हमारी याददाश्त को तेज करने में मदद करती है। मालूम हो कि नींद के दौरान दिमाग सक्रिय रहता है, जिससे हम दिनभर की जानकारी को अच्छे से समझ और याद रख सकते हैं। मगर, जरूरत से ज्यादा नींद लेना हानिकारिक है। विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब