युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का 63 वां जन्मोत्सव
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का 63 वां जन्मोत्सव -
नव - नव इतिहास कर्ता , शक्ति सम्पन्न महापुरूष, महातपस्वी , युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के चरणो में मेरा भावों से शत्-शत् वन्दन ! आज के इस अवसर पर मेरे भाव - आचार्य श्री महाश्रमण जी को वन्दन ! गण के है आप जयोतिर्धाम ।
अभिनव चिन्तन गहरा मंथन । प्राप्त हुए हमको ग्याहरवें गण सरताज । नेमा प्यारे झूमर नन्दन, है गण के देदिप्यमान सितारे। झूमरकुल उजियारे , है गण के दुलारे । मनमोहक है आकर्षण , लाखों - लाखों के है तारे । प्रातः वन्दनीय , स्मरणीय , प्रभो ! हमारे संघ नायक । चुम्बकीय है आकर्षण , मन मंदिर के गुरू घनश्याम । गुरूवर से पा रहे पावन पथ - दर्शन , बढ़ता सतत जनता में आकर्षण ।
संयम जीवन की अकथ कहानी , गुरू के तप तेज की है निशानी । ज्ञान की सरिता सदा बहा रहे । अंधकार में ज्योति जलाई । पग - पग पर संयम जीवन की गाथा , करता गुरू को सारा विश्व सलाम । जन्मोत्सव दिवस हम गुरू का मनाएं । भावों का हम अर्ध्य चढ़ाएं । प्रदीप छाजेड़