नवरात्रि पर्व (चैत्र)-
नवरात्रि पर्व (चैत्र)-
धन्य आज का मंगल क्षण है । भुवाल माता को वन्दन है ।
भुवाल माता के दर्शन भरते है प्राणो में पुलकन ढूँढ रहा पर भुवाल माता को व्रजाहत
- सा यह विरही मन । भुवाल माता का साया सबको मन में सुहाया किन्तु कहाँ वह माँ है जिसने श्रम से हमको बनाया ।
- भुवाल माता गौरवशाली फलावनत जिसकी हर डाली जिसने फसले नई उगाई नहीं दिखती वह स्वयं इकतारी ।
- भुवाल माता ने सबको समाया माता से कुछ नहीं छिपा उड़ते प्राण हँस को रोके क्या ऐसा गुर हमको नहीं सिखाया । धन्य आज का मंगल क्षण है भुवाल माता को वन्दन है ।
- प्रदीप छाजेड़